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धान स्टॉक और प्रासंगिक व्यय पर हंगामा : धान ख़रीद केंद्रों में पड़ा है 21 लाख मीट्रिक टन धान.. उठाव और केंद्र की प्रदत्त राशि पर बवाल

धान स्टॉक और प्रासंगिक व्यय पर हंगामा : धान ख़रीद केंद्रों में पड़ा है 21 लाख मीट्रिक टन धान.. उठाव और केंद्र की प्रदत्त राशि पर बवाल
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By NPG News

रायपुर, 30 जुलाई 2021। समर्थन मूल्य पर धान ख़रीदी के बाद संग्रहण केंद्रों में धान के स्टॉक 21 लाख मीट्रिक टन धान के अब तक उठाव ना होने और प्रासंगिक व्यय कम दिए जाने को लेकर विपक्ष ने जमकर हंगामा किया।
प्रश्नकाल में भाजपा के शिवरतन शर्मा ने संग्रहण केंद्र में शेष धान को और नुक़सान को लेकर प्रश्न किया था, इसी में यह प्रश्न भी समाहित था कि,धान उपार्जन हेतु शासन द्वारा उपार्जन केंद्र को किस किस मद पर कितनी कितनी राशि प्रदान की जाती है।
इस पर राज्य सरकार के लिखित जवाब में यह उत्तर आया कि 21 लाख मीट्रिक टन धान संग्रहण केंद्रों में है। नियम से 72 घंटे के भीतर उठाव होना चाहिए जो नहीं हो पाया है। मंत्री प्रेमसाय सिंह ने सदन में कहा

”72 घंटा में उठाव होना चाहिए,नहीं हुआ लेकिन कोई दोषी नहीं है..”

भाजपा की ओर से सवाल हुआ

”सात महीने से उपर का समय हो गया.. धान जो नुक़सान हुआ.. उसका ज़िम्मेदार कौन है.. मंत्री अमरजीत कह चुके है सूखत नहीं लेंगे.. अब धान उपार्जन केंद्र में ही रखा है तो सूखत होगा तो दोषी कौन होगा.. क्योंकि नुक़सान तो ऐसे में धान उपार्जन केंद्र वाली समितियों का होगा.. जवाबदेही कैसे तय नहीं होगी”

इस बहस के बीच में सदस्य धर्मजीत सिंह ने मंत्री अमरजीत और मंत्री प्रेमसाय को देखते हुए टिप्पणी की

”असली समस्या यह दो मंत्री है.. इन दोनों की ओर से यह धान की समस्या आती है.. इन दोनों के फेर में साबूत बचा ना कोए”

सहकारी समितियों की इस समस्या को लेकर आसंदी से डॉ महंत ने भारसाधक दोनों मंत्रियों से पूछा

” जवाबदेह कौन..कौन विभाग सीधे जवाबदेह है और इस नुक़सान से बचने के लिए समिति के लिए क्या व्यवस्था है”

इसके ठीक बाद समितियों के कमीशन के ब्यौरे का मसला आ गया, इस पर प्रासंगिक व्यय का मसला विपक्ष ने उठाया।
इस बीच विधानसभा अध्यक्ष डॉ चरणदास महंत ने व्यवस्था दी

” मैं दोनों मंत्रियों को आग्रह करता हूँ दोनों बैठे और शीघ्रातिशीघ्र इस विषय पर निर्णय करें.. ताकि समितियों को बेवजह का नुक़सान ना हो..”

इसी पर सौरभ सिंह ने प्रासंगिक व्यय को लेकर केंद्र सरकार के द्वारा दी जाने वाली राशि का ज़िक्र करते हुए राज्य द्वारा इस राशि को कम दिए जाने की बात उठाई।
इस पर आसंदी ने व्यवस्था दी

”इस पर आगे आधे घंटे की चर्चा होगी.. “

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