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मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार रूचिर गर्ग ने पूर्व मुख्यमंत्री डाॅ. रमन सिंह को लिखा पत्र, कहा- राज्य सरकारें सीमित संसाधनों से कोरोना का मुकाबला कर रही है, केन्द्र सरकार ने क्या किया…

मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार रूचिर गर्ग ने पूर्व मुख्यमंत्री डाॅ. रमन सिंह को लिखा पत्र, कहा- राज्य सरकारें सीमित संसाधनों से कोरोना का मुकाबला कर रही है, केन्द्र सरकार ने क्या किया…
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By NPG News

प्रधानमंत्री ने सारी जिम्मेदारी देशवासियों पर डाल दी और किसी बड़े ऐलान, कोई आर्थिक पैकेज, बेरोजगारों के लिए राहत की घोषणा नही की

डाॅ. रमन सिंह की चिट्ठी का जबाव देते हुए पूछे कई प्रश्न: केन्द्र सरकार की भूमिका पर उठाए सवाल

रायपुर, 15 अप्रैल 2020। मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार रूचिर गर्ग ने आज पूर्व मुख्यमंत्री डाॅ. रमन सिंह को पत्र लिखकर उनकी मुख्यमंत्री को लिखी चिट्ठी का जबाव देते हुए कुछ डाॅ. रमन सिंह से कुछ प्रश्न पूछे है। उन्होंने अपनी चिट्ठी में लिखा है …सम्माननीय डॉ. रमन सिंह जी,
सादर अभिवादन, मैं सबसे पहले आपके व आपके परिवार के उत्तम स्वास्थ्य की कामना करता हूँ।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के देश को संबोधन के बाद छत्तीसगढ़ के माननीय मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जी के नाम आपका एक पत्र पढ़ने को मिला। आपका पत्र इस अंदाज में आया है मानो छत्तीसगढ़ सरकार ने कोरोना से निबटने के लिए अब तक कुछ किया नहीं, अब आपने चंद सुझाव दे दिए और शासन को अब काम शुरू कर देना चाहिए।

अफसोस इस बात का भी है कि आपके पत्र की शैली भी सामंती किस्म का आभास देती है। छत्तीसगढ़ के एक आम किसान परिवार से आने वाले मुख्यमंत्री को लिखी गई चिट्ठी का यह अंदाज आम छत्तीसगढ़िया को तो खटकेगा डॉ. रमन सिंह जी! यह पत्र एक संकट के समय आया है। आप खुद देख रहे हैं कि कोरोना के खिलाफ देश भर में राज्य सरकारें, अपने ही संसाधनों से मजबूती से मोर्चा संभाले हुए हैं। छत्तीसगढ़ भी उनमें से एक है।

केंद्र सरकार से इस संकट के समय सहायता की सहज अपेक्षा थी, पर वो तो नहीं मिल रही है। मंगलवार को प्रधानमंत्री जी के संबोधन ने भी निराश ही किया। इस बार भी उन्होंने सारी जिम्मेदारी देशवासियों पर डाल दी और किसी बड़े ऐलान, राज्यों के लिए कोई आर्थिक पैकेज, सबसे ज्यादा संकटग्रस्त गरीब नागरिकों या बेरोजगारों के लिए राहत की कोई घोषणा जैसी उम्मीद लगाए बैठे देशवासियों को निराश किया। इस अवसर पर वे लोगों को बता सकते थे कि देश में कोरोना से लड़ने की कैसी तैयारियां सरकार की ओर से की गई हैं, लेकिन उन्होंने कुछ नहीं बताया।

जिस समय छत्तीसगढ़ सरकार और अन्य राज्य सरकारें अपने सीमित संसाधनों से कोरोना का मुकाबला कर रहीं हैं उस समय केंद्र सरकार ने क्या किया? मुख्यमंत्री राहत कोष या कोरोना वायरस के लिए राज्य राहत कोष में दिए जाने वाले दान को मौजूदा नियमों का हवाला देते हुए कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी में शामिल नहीं माना। ऐसा क्या सिर्फ इसलिए कि लोग ‘पीएम केयर्स’ में दान देते रहें और राज्य सरकारें दानदाताओं को तरसें?

संकट के इस समय में बड़े उद्योगपति, व्यावसायिक घराने राज्य सरकारों की बड़ी मदद कर सकते हैं। लेकिन ऐसा लगता है कि सभी को ‘निर्देश’ हैं कि वे सिर्फ पीएम केयर्स में ही दान दें।
और तो और राज्य की जनता की ओर से चुने गए भारतीय जनता पार्टी के सांसदों तक ने अपने एमपीलैड का धन राज्य सरकार के सहायता कोष में देने से परहेज किया।

आप भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं। बतौर नागरिक आप से आग्रह है कि आप केंद्र सरकार को इस बात के लिए राजी करें कि मुख्यमंत्री सहायता कोष या राज्य राहत कोष में दिए जाने वाले दान को कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी में शामिल किया जाए। इससे बड़े उद्योगपति या व्यावसायिक घराने राज्यों की ओर भी मदद का हाथ बढ़ाएंगे। आज जीएसटी की क्षतिपूर्ति, केंद्र के नियमित आबंटन, योजनाओं में केंद्र का हिस्सा जैसी मदद तो मांगने की नौबत ही नहीं आनी चाहिए थी, ऊपर से दानदाता भी राज्यों से दूर रहें तो यह तो अन्याय ही है। राज्य बचेंगे तभी तो देश बचेगा।

अपनी चिट्ठी में आपने राज्य सरकार को बहुत से कदम उठाने की सलाह दी है। छत्तीसगढ़ ने तो केंद्र द्वारा घोषित लॉक डाउन से पहले ही एहतियात बरतना शुरू कर दिया था और अपने ही संसाधनों से इस आपदा के ठोस प्रबंधन के उपाय करने शुरू कर दिए थे। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अपने मंत्रिमंडलीय सहयोगियों और अधिकारियों की प्रतिबद्ध टीम के साथ कोरोना प्रबंधन की खुद ही निगरानी करते हैं और उसके नतीजे भी सामने हैं।

आपने 15 वर्षों तक राज्य का नेतृत्व किया है. आप प्रदेश के संसाधनों को ठीक तरह से जानते हैं. आपसे अपेक्षा है कि आप भी इस संकट की घड़ी में केंद्र सरकार से कहेंगे कि वह छत्तीसगढ़ की जनता की भलाई के लिए कुछ सहायता उपलब्ध करवाए।

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