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शहीदों की मौत का लिया बदला, हिजबुल कमांडर समेत दो आतंकवादी ढेर… पूरा हुआ डोभाल के ऑपरेशन ‘जैकबूट’ का बड़ा मकसद… ऐसे हुआ नायकू ढेर

शहीदों की मौत का लिया बदला, हिजबुल कमांडर समेत दो आतंकवादी ढेर… पूरा हुआ डोभाल के ऑपरेशन ‘जैकबूट’ का बड़ा मकसद… ऐसे हुआ नायकू ढेर
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By NPG News

नईदिल्ली 6 मई 2020। जम्मू-कश्मीर में पुलवामा जिले के बेगपुरा में आतंकियों के साथ मुठभेड़ में सुरक्षाबलों ने हिजबुल मुजाहिदीन के कमांडर रियाज नायकू को मार गिराया है।नायकू मंगलवार को अपने परिवार से मिलने आया था और अवंतिपुरा के बेइघबोरा गांव में छिपा हुआ था। यह उसका गृह क्षेत्र था. ऑपरेशन ‘जैकबूट’ का कमाल है कि आतंक के पोस्टर बॉय बुरहान वानी की जगह लेने वाला रियाज नाइकू भी आज इस दुनिया में नहीं है. नाइकू, ऑपरेशन जैकबूट की लिस्ट का आखिरी बड़ा आतंकवादी था जिसे उसके पैतृक गांव में ही घेरकर सुरक्षाबलों ने मार गिराया.

डोभाल ने ऑपरेशन जैकबूट तब लॉन्च किया जब दक्षिणी कश्मीर के पुलवामा, कुलगाम, अनंतनाग और शोपियां जिलों को आतंकियों की ओर से ‘आजाद इलाका’ घोषित किया जाने लगा। बुरहान वानी के ग्रुप में सबजार भट्ट, वसीम माला, नसीर पंडित, इशफाक हमीद, तारिक पंडित, अफाकुल्लाह, आदिल खांडे, सद्दाम पद्दार, वसीम शाह और अनीस जैसे कई कश्मीरी युवा थे। इन सभी ने मिलकर कश्मीर में आतंकी गतिविधियों को तेज करने की साजिश रचनी शुरू कर दी थी।

विदेशी आतंकवादियों को पृष्ठभूमि में धकेल दिया गया क्योंकि ये कश्मीरी आतंकी स्थानीय युवाओं को आतंकवाद के रास्ते पर ले जाने में लगातार कामयाबी हासिल करने लगे थे। कई पढ़े-लिखे कश्मीरी युवकों के लिए आतंक की राह चुनना एक मकसद सा बनने लगा। ये स्थानीय पुलिसकर्मियों को टॉर्चर करने लगे, उनके परिवारों को तंग करने लगे और कई बार उन्हें मार भी दिया जाता ताकि वो आतंकवादी अभियानों में हिस्सा नहीं लें। बुरहान का यह ग्रुप कई बार अलग-अलग गावों में बिना किसी डर के पार्टियां मनाने लगा था। ग्रुप ने मुखबिरों की ताकतवर फौज खड़ी कर ली थी। लोग उसे सुरक्षाबलों की गतिविधियों की हर खबर इसलिए भी देते क्योंकि वो सभी उनके बीच के ही लड़के थे।

नायकू सुरक्षा एजेंसियों के रडार पर 2016 में पोस्टर ब्वॉय बुरहान वानी की मौत के बाद आना शुरू हुआ था। उसके सिर पर 12 लाख रुपए का इनाम था। अवंतीपुरा के दुरबग के नायकू मोहल्ले का निवासी नायकू घाटी के वांछनीय आतंकियों की A++ श्रेणी में आता था। उसने घाटी में सब्जार भट की मौत के बाद हिजबुल मुजाहिद्दीन के मुखिया का पद संभाला था। नायकू को पूरी घाटी में हिजबुल का कमांडर माना जाता था। सुरक्षा एजेंसियों ने इससे पहले उसे कई बार घेरा था, लेकिन हर बार वह किसी तरह बचकर भाग निकलने में सफल हो जाता था।

नायकू की मौत की पुष्टि करते हुए एक वरिष्ठ सुरक्षा बल के अधिकारी ने कहा, नायकू को उसके सहयोगी के साथ मार दिया गया है. “हमने कहा था कि हमारे बहादुरों, कर्नल आशुतोष शर्मा, मेजर अनुज सूद, लांस नायक दिनेश सिंह, नायक राकेश कुमार और उप-निरीक्षक सकीर खान की शहादत का बदला लिया जाएगा और हमने यह प्रतिज्ञा तीन दिनों के भीतर पूरी कर ली है.”

तीन मई को हंदवाड़ा तहसील के चांजीमुल्ला गांव में आतंकियों के साथ मुठभेड़ में हमारे बहादुर सिपाहियों के अलावा दो आतंकवादी, एक पाकिस्तानी नागरिक और एक स्थानीय आतंकवादी भी मारे गए थे. अधिकारियों ने कश्मीर घाटी में मोबाइल इंटरनेट को बंद कर दिया है और घाटी के अधिकांश प्रमुख शहरों में कर्फ्यू लगा दिया है, ताकि नायकू की मौत के बाद कोई कानून और व्यवस्था को प्रभावित न कर सके.

32 वर्षीय नायकू का दूसरा नाम जुबैर उल इस्लाम और बिन कासिम भी था और वह कश्मीर में सबसे ज्यादा अनुभवी आतंकी था।

सूचना ये थी कि वह अपने गांव में परिवार और संबंधियों से मिलने के लिए गया है। इसके बाद एसओजी यह पता था कि वहां पर उसका ठिकाना होगा। जैसा ही अंधेरा हुआ जम्मू कश्मीर पुलिस और 21 राष्ट्रीय रायफल्स के भारी संख्या में जवानों ने गांव के घेर लिया। एक सीनियर पुलिस ऑफिसर ने कहा कि उसके बाद वे सभी जवान नीचे लेटकर आतंकी नायकू के मूवमेंट का इंतजार करने लगे। गोलीबारी बुधवार तड़के शुरू हुई। नायकू एक ऐसे घर में फंसा था जहां से निकलकर बचने का कोई रास्ता नहीं था। जब गोलीबारी रूकी उसके बाद सुरक्षाबलों ने रियाज नायकू को एक बंकर में देखा, जहां से वह उन सभी के ऊपर फायरिंग कर रहा था। वह और उसके अन्य सहयोगी गोलियों से मारे गए।

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