Unique Love Story: 70 साल लीव-इन में रहे, 90 और 95 की उम्र में रचाई शादी, बुजुर्ग प्रेमियों की अनोखी दास्तां बनी मिसाल
सोशल मीडिया में इन दिनो एक लव स्टोरी की खूब चर्चा हो रही है। एक ऐसी प्रेम कहानी जिसमें एक बुजुर्ग जोड़े ने 90 और 95 साल के उम्र में शादी रचाई। खास बात यह है कि दोनों 70 साल तक लीव इन रिलेशनशिप में भी रहे। बुजुर्ग जोड़े की गाजेबाजे के साथ बारात भी निकाली गई। उनकी शादी में ग्रामीणों के साथ ही उनके बेटे, नाती और पोते भी जमकर थिरके। कपल की फोटो सोशल मीडिया में खुब वायरल हो रही है।

Unique Love Story
सोशल मीडिया में इन दिनो एक लव स्टोरी की खूब चर्चा हो रही है। एक ऐसी प्रेम कहानी जिसमें एक बुजुर्ग जोड़े ने 90 और 95 साल के उम्र में शादी रचाई। खास बात यह है कि दोनों 70 साल तक लीव इन रिलेशनशिप में भी रहे। बुजुर्ग जोड़े की गाजेबाजे के साथ बारात भी निकाली गई। उनकी शादी में ग्रामीणों के साथ ही उनके बेटे, नाती और पोते भी जमकर थिरके। कपल की फोटो सोशल मीडिया में खुब वायरल हो रही है।
सोशल मीडिया में वायरल हो रही तस्वीरें-
राजस्थान के डूंगरपुर जिले से एक अनोखी और दिल छू लेने वाली प्रेम कहानी सामने आई है, जो इन दिनों सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है। यहां 95 वर्षीय रामा भाई खरारी और 90 वर्षीय जीवली देवी ने धूमधाम से शादी रचाई। खास बात यह रही कि दोनों पिछले 70 वर्षों से एक-दूसरे के साथ लीव-इन रिलेशनशिप में रह रहे थे।
गाजे-बाजे के साथ बारात निकाली गई, जिसमें न सिर्फ ग्रामीण बल्कि कपल के बेटे, नाती और पोते भी जमकर थिरके। विवाह समारोह में खुशी का माहौल था, मानो कोई सपना पूरा हो गया हो।
आदिवासी परंपरा के तहत थे साथ-
दरअसल, दोनों राजस्थान के आदिवासी नाता परंपरा के तहत वर्षों से साथ रह रहे थे। ये राजस्थान के आदिवासी क्षेत्रों की एक विशेष परंपरा है। जिसके तहत एक पुरूष और महिला औपचारिक विवाह के बिना भी अपने साथ रहने के लिए एक साथी चुन सकता है। ऐसे विवाह से पैदा हुए बच्चे अपने पिता की पैतृक संपत्ति के हकदार होते हैं हालांकि समाज ऐसी महिलाओं को विवाह समारोह में शामिल होने से दूर रखता है। ऐसे में महिलाएं अपने बच्चे के शादी समारोह, उनकी हल्दी रस्म या बारात स्वागत करने जैसे समारोह में शामिल नहीं हो सकती।
माता-पिता की अधूरी ख्वाहिश बेटे ने की पूरी-
जब प्रेमी जोड़ों की इस अधूरी ख्वाहिश का पता बेटे को चला तो बेटे कांति लाल खरारी ने परिवार और बुजुर्गों से राय-मशविरा किया और फिर पूरे रीति-रिवाज से शादी कराने की ठानी। 1 जून को हल्दी की रस्म और 4 जून को विवाह हुआ, जिसमें गांव वालों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। यह लव स्टोरी सिर्फ एक शादी नहीं, बल्कि इस बात का प्रमाण है कि प्यार और ख्वाहिशों की कोई उम्र नहीं होती।