Qualities of Hanuman : हनुमान जी के यह गुण आपके Professional Life में आएंगे बहुत काम... अमल करें उनके इन गुणों को
हनुमान जयंती के मौके पर हम आपको हनुमान जी के कुछ खास गुण बताने जा रहे हैं, जिससे आप अपने जीवन में सफल हो सकते हैं। हनुमान जी के यह गुण आपके प्रोफेशनल लाइफ में बहुत काम आएंगे।
हनुमान, रामायण के सबसे प्रमुख पात्रों में से एक हैं। श्री राम के परम भक्त हनुमान, साहस, चरित्र, भक्ति और सदाचार के आदर्श प्रतीक हैं। उनके चरित्र में कई ऐसी बातें हैं जो मनुष्य को सीख दे सकती हैं। गोस्वामी तुलसीदास ने हनुमान जी के चरित्र के कारण ही 'सकल गुण निधानं' कहा है।
कलयुग के सबसे प्रमुख देवताओं में से एक माने जाते हैं हनुमान जी। सुंन्दर कांड और हनुमान चालीसा में बजरंगबली के चरित्र को लेकर तमाम व्याख्या की गई है। इसके अनुसार हनुमान जी का किरदार सभी के लिए प्रेरणादायक है।
हनुमान जयंती के मौके पर हम आपको हनुमान जी के कुछ खास गुण बताने जा रहे हैं, जिससे आप अपने जीवन में सफल हो सकते हैं। हनुमान जी के यह गुण आपके प्रोफेशनल लाइफ में बहुत काम आएंगे।
कभी नहीं मानी हार
हनुमानजी एकमात्र ऐसे स्वरूप हैं, जो किसी भी कार्य में कभी भी असफल नहीं हुए। उन्होंने जीवन में जो ठाना वह करके दिखाया। उनका यह गुण मनुष्य को अवश्य सीखना चाहिए। क्योंकि कई लोग जीवन की कठिनाईयों से हार मानकर प्रयास करना छोड़ देते हैं।
साहस के प्रतीक
तमाम बाधाओं को पार कर लंका पहुंचना, माता सीता को अपने राम दूत होने का विश्वास दिलाना, लंका को जलाकर भस्म कर देना- ये सभी घटनाएं उनके सहास और बुद्धि को दर्शाती हैं। इससे सीखने को मिलता है कि अगर साहस किया जाए तो कोई काम मुश्किल नहीं है।
हनुमान जी से सीखें भक्ति
हनुमान जी की भक्ति की मिसाल दी जाती है। श्री रामचंद्र का उनसे बड़ा भक्त धरती पर कोई नहीं हुआ। उन्होंने अपना सबकुछ राम जी को समर्पित कर दिया था। हमें उनसे यह गुण सीखना चाहिए कि किस प्रकार निःस्वार्थ भाव से भक्ति की जाती है।
कार्य कुशलता और निपुणता
हनुमानजी हर कार्य में कुशल और निपुण थे। उन्होंने सुग्रीव की सहायता लिए उन्हें श्री राम से मिलाया। श्रीराम की सहायता करने के लिए अपनी बुद्धि से काम लिया। राम जी की सहायता के लिए उन्होंने सागर तक लांघ दिया था।
नेतृत्व का गुण
हनुमानजी के अंदर नेतृत्व का गुण था, तभी वह वानर सेना के सेनापति बने। वह सभी को साथ लेकर चलने में विश्वास रखते थे। सबकी सलाह सुनकर आगे बढ़ने के कारण ही वह सफल हो पाए। ये सब उनके नेतृत्व गुण के कारण ही संभव हो पाया। आज के समय में उनके इस गुण को सीखने की आवश्यकता है।
संवाद कौशल
हनुमान जी मां सीता से रावण के अशोक वाटिका में जब पहली बार मिलें तो सीता जी ने उन्हें नहीं पहचाना। एक वानर से भगवान श्रीराम का संदेश सुन वह शंका में थी। लेकिन हनुमान जी ने अपने संवाद कौशल से सीता जी को इस बात का भरोसा दिलाया कि वह भगवान राम के ही दूत हैं।
चतुराई
हनुमान जी ने समुद्र पार करते वक्त अपनी चतुराई का परिचय दिया था। समुद्र पार करते वक्त सुरसा उनको खाना चाहती थी। उस समय हनुमान जी ने चतुराई से अपना कद बढ़ाया फिर छोटा रूप कर लिया। इसके बाद वह सुरसा के मुंह में प्रवेश कर वापस बाहर आ गए। हनुमान जी की इस चतुराई से सुरसा प्रसन्न हो गई और रास्ता छोड़ दिया। चतुराई की यह कला हम हनुमान जी से सीख सकते हैं।
आदर्शों से कोई समझौता नहीं
लंका में रावण के अशोक वाटिका में हनुमान जी और मेघनाथ के बीच युद्ध शुरू हो गया। इस दौरान मेघनाथ ने ब्रह्मास्त्र का प्रयोग कर दिया। हनुमान जी चाहते तो वह इसका तोड़ निकाल सकते थे। लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया क्योंकि वह ब्रह्मास्त्र का महत्व कम नहीं करना चाहते थे। इसलिए उन्होंने ब्रह्मास्त्र का आघात सह लिया। जबकि यह प्राणघातक भी हो सकता था।
समस्या नहीं समाधान बनिए
जिस समय लक्ष्मण युद्ध के दौरन मूर्छित हो गए उनके प्राणों की रक्षा के लिए हनुमान जी ने पूरा पहाड़ उठा लिया क्योंकि वह संजीवनी बूटि को नहीं पहचान पाएं। इसी तरह हमें भी शंका स्वरूप नहीं बल्कि समाधान स्वरूप होना चाहिए।
नेतृत्व करने की क्षमता
समुद्र में पुल का निर्माण करते वक्त कमजोर और उच्चश्रृंखल वानर सेना से काम निकलवाना हनुमान जी की विशिष्ठ संठनात्मक योग्यता का परिचायक है। राम-रावण युद्ध के दौरान उन्होंने पूरी वानरसेना का नेतृत्व संचालन प्रखरता से किया।