Husband-Wife Relationship: तिथि-नक्षत्र देखकर करें Romance... वरना पड़ जाएंगे लेने के देने
इन तिथियों में संबंध बनाने से न सिर्फ संतान के जीवन, गुणों और सेहत पर असर होता है बल्कि इससे लोक-परलोक भी खराब होता है।
धर्मग्रंथों में बताया गया है कि मनुष्य को पति-पत्नी संबंध (Sex Relationship) के लिए कुछ तिथियों, नक्षत्रों और दिनों का त्याग करना चाहिए।
इन तिथियों में संबंध बनाने से न सिर्फ संतान के जीवन, गुणों और सेहत पर असर होता है बल्कि इससे लोक-परलोक भी खराब होता है।
इसलिए मनुष्य को इन तिथियों में रतिक्रिया से परहेज रखना चाहिए।
पूर्णिमा और अमावस्या तिथि पर संबंध बनाने से होता है नुकसान
शास्त्रों में जिक्र मिलता है कि किसी भी माह की पूर्णिमा और अमावस्या तिथि पर पति-पत्नी को संबंध बनाने से बचना चाहिए और एक दूसरे से दूर रहना चाहिए। इसके पीछे मान्यता है कि ऐसा करने से वैवाहिक जीवन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है और कुल को परेशानी हो सकती है। पूर्णिमा और अमावस्या के दिन नकारात्मक शक्तियां प्रबल हो जाती हैं और संबंध बनाने से इसका प्रभाव रिश्ते, करियर और संतान पर पड़ता है इसलिए इन तिथियों पर संबंध नहीं बनाने चाहिए।
माह के चतुर्थी और अष्टमी तिथि को संबंध बनाने से पड़ता है विपरीत प्रभाव
पुराणों में बताया गया है कि किसी भी माह के चतुर्थी और अष्टमी तिथि को भी पति-पत्नी को शारीरिक संबंध नहीं बनाने चाहिए। चतुर्थी और अष्टमी तिथि के साथ ही रविवार के दिन भी पति-पत्नी का मिलन नहीं होना चाहिए। ऐसा करने से संतान और करियर पर इसका विपरीत प्रभाव पड़ता है और कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
श्राद्ध पक्ष में संबंध बनाने से पितर होते हैं नाराज
15 दिनों तक चलने वाले श्राद्ध पक्ष में पितृ पृथ्वी लोक पर अपने परिजनों के यहां आते हैं। इस दौरान पितरों की शांति के लिए पूजा, हवन, तर्पण आदि कार्य करवाए जाते हैं, इसलिए पितृपक्ष में तन, मन, कर्म और वचन से शुद्ध रहना बहुत जरूरी होता है। शास्त्रों में बताया गया है कि पितृपक्ष में पति-पत्नी को आपसी संबंध बनाने के बारे में सोचना भी नहीं चाहिए। इस समय बनाए गए शारीरिक संबंध से पितर नाराज होते हैं और घर की सुख-शांति भंग हो जाती है। इसलिए श्राद्ध पक्ष में पति-पत्नी को एक दूसरे से दूर रहना चाहिए।
नवरात्रि के दिन संबंध बनाने से देवी देवता हो जाते हैं नाराज
नवरात्रि के नौ दिन मां के नौ स्वरूपों की पूजा-पाठ की जाती है। कुछ लोग इन नौ दिन तो कुछ प्रथम और अष्टमी का व्रत रखते हैं। नवरात्रि के दिन बहुत पवित्र होते हैं और घरों में कलश स्थापना भी की जाती है। शास्त्रों में नवरात्रि के दिनों में महिला और पुरुष के बीच शारीरिक संबंध बनाना निषेध बताया गया है। ऐसा करने से देवी-देवता रूठ जाते हैं और घर-परिवार में कलह शुरू हो जाती है।
संक्रांति के दिन संबंध बनाना होता है अशुभ
सूर्य जब एक राशि से दूसरी राशि में परिवर्तन करते हैं, तब उस तिथि को संक्रांति के नाम से जाना जाता है। शास्त्रों में संक्रांति पर स्नान, ध्यान और दान करने का विशेष महत्व बताया गया है। इसलिए इस तिथि पर महिला और पुरुष के बीच नजदीकी कायम करना अशुभ होता है। ऐसा करने से उनके रिश्ते पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है और जीवन में कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
उपवास रखता है, उस दिन ब्रह्मचर्य का पालन
इन तिथियों के अलावा जो व्यक्ति किसी भी दिन उपवास रखता है, उस दिन भी शुद्धता और पवित्रता का ध्यान रखना चाहिए। साफ मन से की गई पूजा-पाठ का ही फल मिलता है। शास्त्रों में बताया गया है कि व्रती को व्रत के दिन पूरी तरह ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। चाहे फिर वह स्त्री हो या पुरुष पुण्य तिथियों और उपवास के दिन साथ के करीब जाना सही नहीं है।