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GRAND PARENTS LOVE : कहा गया वो दादा-दादी और पोते-पोतियों के बीच का प्यार ?...कभी सोचा है आपने

आजकल बच्चे दादा-दादी से दूर होते जा रहे है। वो या तो अपने माता – पिता के नजदीक है है या फिर सिर्फ मोबाइल फोन के।

GRAND PARENTS LOVE : कहा गया वो दादा-दादी और पोते-पोतियों के बीच का प्यार ?...कभी सोचा है आपने
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By Meenu

एक वक्त था जब बच्चे अपने माता पिता से ज्यादा अपने दादा – दादी से जुड़े हुये थे। उनको कोई भी चीज की जरूरत होती तो वो अपने माता पिता के बजाय दादा – दादी से मांगते थे ।

उनको कोई व्यक्तिगत बात होती तो भी वो पहले दादा-दादी को बताते थे। दादा-दादी भी उनको बहुत ज्यादा प्यार करते थे। कई बार बच्चो के माता पिता दादा-दादी को कहते भी थे की उनका प्यार बच्चो को बिगाड़ रहा है।

मगर अफसोस कि आजकल बच्चे दादा-दादी से दूर होते जा रहे है। वो या तो अपने माता – पिता के नजदीक है है या फिर सिर्फ मोबाइल फोन के। दादा-दादी के पास तो वो जब बहुत मजबूरी हो या माता-पिता कहे कि दादा-दादी को बता के आओ या काही जाने से पहले माता-पिता कहे कि जाओ दादा-दादी के पैर छुकर आओ तो ही बच्चे दादा-दादी के पास जाते है। ये दादा-दादी के लिए बहुत ही दुखदायी स्थिति है।

जब दादा-दादी नाती-पोतों के लिए बाल देखभाल प्रदान करते हैं या अपने पोते-पोतियों के लिए वास्तविक या सरोगेट माता-पिता बन जाते हैं, तो उनके पास बंधन का औसत अवसर से अधिक होता है। कुछ दादा-दादी एक विशिष्ट दादा-दादी के रूप में कार्य करने के बजाय माता-पिता की भूमिका अधिक ले सकते हैं।






क्या कारण है कि क्यू आजकल के बच्चे दादा-दादी से दूर हो गए है?

मोबाइल फोन

सब से ज्यादा इसके लिए मोबाईल फोन जिम्मेदार है। जब भी बच्चो को मौका मिलता है वो मोबाइल ले कर अपनी मन पसंद चीजे देखने लग जाते है। फिर उनको दादा-दादी नजर नहीं आते है। अगर दादा-दादी मोबाइल देखने के लिए ना कहे तो उनको बुरा लगता है। उस वक्त दादा-दादी उनको विलेन नजर आते हे।

स्कूल के अलावा ट्यूशन पर जाना

बच्चे स्कूल से आते ही कुछ देर के बाद ट्यूशन / कोचिंग पर जाना। बच्चो को समय ही नहीं मिलता की वो दादा-दादी के पास बेठे।

माता -पिता द्वारा बच्चो को अच्छे संस्कार नहीं दे पाना

आजकल ज़िंदगी इतनी मेकेनिकल हो गयी हे कि माता – पिता को फुर्सत ही नहीं है कि वो अपने बच्चो को दादा-दादी के प्रति कुछ अच्छे संस्कार दे। अगर वो बताए कि दादा-दादी का घर मे क्या महत्व है तो बच्चे दादा-दादी के पास जाने लगेगे।

आवश्यकता से अधिक टोका ताकि करना

दादा-दादी का ये इरादा नहीं होता कि बच्चो को टोका जाए, वो तो उनको अच्छी बाते सीखाना चाहते है पर बच्चे इसे टोका ताकि समझ कर दादा-दादी के पास जाने से कतराते हे।

एकल परिवार का होना


आजकल संयुक्त परिवार कम होते जा रहे है व एकल परिवार बढ़ते जा रहे हैं । इस स्थिति मे जब दादा-दादी कभी आते हैं बच्चो मे उनके लिए वो आत्मीयता नहीं पैदा हो पाती हे।





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