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Vaishakh maah Ke Niyam : बैसाख माह के इन नियमों का करें पालन, होगा हर संकट का नाश, खुलेगा मोक्ष का द्वार

Vaishakh maah Ke Niyam :इस महीने में भगवान विष्णु के नरसिंह, वराह, बुद्ध, परशुराम और कूर्म अवतारों की पूजा की जाती है। जानिए इसकी महिमा और नियम

Vaishakh maah Ke Niyam : बैसाख माह के इन नियमों का करें पालन, होगा हर संकट का नाश, खुलेगा मोक्ष का द्वार
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By NPG News

Vaishakh Maah Ke Khas Niyam

बैसाख माह के खास नियम

आज यानि ७ अप्रैल से शुरू हो रहा बैसाख का महीना सबसे श्रेष्ठ है। प्रभु श्री विष्णु का प्रिय महीना माना जाता है। इसलिए इस माह को सबसे शुभ माना गया है। विशाखा नक्षत्र से संबंध होने की वजह से इसे वैशाख महीना कहा जाता है। इस माह में खास तौर पर गंगा स्नान करने की खास अहमियत होती है।

हिंदू धर्म में हर मास को भगवान से जोड़कर देखा गया है और उसी के अनुसार काम किए जाते हैं। इसकी के अनुसार अभी चल रहे वैशाख में भगवान विष्णु की पूजा करने का विशेष महत्व है। इन दिनों में सूर्योदय से पहले उठकर स्नान और पूजा की जाती है। स्कंद पुराण में वैशाख मास को सभी महीनों में उत्तम बताया गया है। पुराणों में कहा गया है कि जो व्यक्ति इस महीने में सूर्योदय से पहले स्नान करता है और व्रत रखता है। वो कभी दरिद्र नहीं होता। उस पर भगवान की कृपा बनी रहती है और उसे सभी दुखों से मुक्ति मिलती है। क्योंकि इस महीने के देवता भगवान विष्णु ही है। वैशाख महीने में जल दान का विशेष महत्व है।

इस महीने में भगवान विष्णु के नरसिंह, वराह, बुद्ध, परशुराम और कूर्म अवतारों की पूजा की जाती है। इस महीने में पुण्य फल हासिल करने के लिए रोजाना 11 बार 'ॐ माधवाय नमः' मंत्र का जाप करना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से परिवार को आर्थिक तंगी से मुक्ति मिल जाती है और आने वाले सभी संकटों का नाश होता है।

बैसाख माह के खास नियम

इस माह हर दिन सुबह उठकर स्नान करना चाहिए। इसके पश्चात् जल में थोड़ा तिल मिलाकर प्रभु श्री विष्णु की उपासना करें। जल का दान करें। माह की दोनों एकादशियों का पालन करें। कहा जाता है कि इस महीने में राहगीरों को पानी पिलाने से सभी धर्म तथा तीर्थ यात्रा करने का पुण्य प्राप्त होता है। इन सभी उपायों को अपनाकर हम पुण्य के साथ-साथ मानसिक संतुष्टि भी पा सकते है।

स्कंदपुराण के अनुसार, महीरथ नाम के राजा ने केवल वैशाख स्नान से ही वैकुण्ठधाम प्राप्त किया था। इस महीने में सूर्योदय से पहले किसी तीर्थ स्थान, सरोवर, नदी या कुएं पर जाकर या घर पर ही नहाना चाहिए। घर में नहाते समय पवित्र नदियों का नाम जपना चाहिए। नहाने के बाद सूर्योदय के समय सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए। क्या करें- वैशाख मास में जल दान का विशेष महत्व है। यदि संभव हो तो इन दिनों में प्याऊ लगवाएं या किसी प्याऊ में मटके का दान करें। किसी जरुरतमंद व्यक्ति को पंखा, खरबूजा, अन्य फल, अन्न आदि का दान करना चाहिए। मंदिरों में अन्न और भोजन दान करना चाहिए। इस महीने में ब्रह्मचर्य का पालन और सात्विक भोजन करना चाहिए। वैशाख महीने में पूजा और यज्ञ करने के साथ ही एक समय भोजन करना चाहिए।

वैशाखे मेषगे भानौ प्रात: स्नानपरायण:।

अर्ध्य तेहं प्रदास्यामि गृहाण मधुसूदन।।...


बैसाख माह में धर्मानुसार काम करने से मां लक्ष्मी का आशीर्वाद मिलता है, जानते हैं कैसे

बैसाख माह में सूरज तपने लगता है, जिसके चलते सड़क पर नंगे पैर चलना भारी पड़ने लगता है। ऐसे में जरूरतमंदों को बैसाख के महीने में जूते-चप्पलों का दान करना बहुत शुभ माना जाता है। ऐसा करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और अपना आशीर्वाद देते हैं। इस माह में गर्मी से बचने का बड़ा सहारा छायादार वृक्ष होते हैं। लेकिन उन्हें भी इस महीने में खाद-पानी की जरूरत पड़ जाती है। बैसाख में छायादार वृक्षों की सेवा करना बहुत पुण्य का काम माना जाता है। इस महीने में अक्षय तृतीया जैसे पर्व पड़ते हैं, जिसमें सोना-चांदी जैसी शुभ चीजों की खरीदारी करना अच्छा माना जाता है। ऐसा करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है और परिवार में समृद्धि आती है।

बैसाख महीने में खान पान

इस माह में बहुत ज्यादा गर्मी होती है। इसलिए मौसमी बीमारियों का संकट अधिक बढ़ जाता है। इस महीने में पीने वाली चीजों का सेवन करना चाहिए। जहां तक संभव हो सत्तू तथा रसदार फलों का सेवन करना चाहिए। अधिक समय तक सोना भी नहीं चाहिए।

बैसाख मास में शिवलिंग के ऊपर गलंतिका (एक मटकी जिसमें से बूंद-बूंद पानी टपकता रहता है) बांधी जाती है। इसके पीछे मान्यता है कि भगवान शिव के गले में जो विष है, उसके कारण उनके शरीर की गर्मी बहुत बढ़ जाती है। इसी को शांत करने के लिए शिवलिंग पर गलंतिका बांधी जाती है।

बैसाख माह में क्या नहीं करें

इस महीने में मांसाहार, शराब और अन्य हर तरह के नशे से दूर रहें। वैशाख माह में शरीर पर तेल मालिश नहीं करवानी चाहिए। दिन में नहीं साेना चाहिए। कांसे के बर्तन में खाना नहीं खाना चाहिए। रात में भोजन नहीं करना चाहिए और पलंग पर नहीं सोना चाहिए।

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