Swastik Kya Hai: स्वास्तिक का चिन्ह क्या है? जानिए इसका महत्व और इससे जुड़ी ये सारी बातें
Swastik Kya Haiज्योतिष के अनुसार स्वस्तिक के इस्तेमाल करने से आप सभी प्रकार की परेशानियों से बचा सकते हैं और आप जीवन में अधिक सुरक्षित और खुश महसूस करेंगे।

Swastik Kya Hai :
भारतीय संस्कृति में के तरह की प्रतीकों का हर एक जीवन में महत्व है।यह प्रतीक अपने भीतर अनेक रहस्यों को समेटे हुए होते हैं। इनका रहस्य को वही जान सकता है, जो संस्कृति के इन प्रतीकों को गहराई से जानता और अच्छे से समझता हो। बाकि के लिए तो यह सिर्फ एक प्रतीक चिन्ह के समान है।जीवन की सभी चिंताओं, परेशानी और नकारात्मक ऊर्जाओं को हराने के लिए और जीवन में सुख समृद्धि का स्वागत करने के लिए तैयार रहने के लिए धातु से बना एक स्वस्तिक चिन्ह हमेशा आवश्यक होता है। ज्योतिष के अनुसार स्वस्तिक के इस्तेमाल करने से आप सभी प्रकार की परेशानियों से बचा सकते हैं और आप जीवन में अधिक सुरक्षित और खुश महसूस करेंगे।
स्वास्तिक का चिन्ह क्या है?
हिंदू धर्म शास्त्रों में स्वास्तिक के चिन्ह को विष्णु भगवान का आसन और माता लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है।. स्वास्तिक चिन्ह को चंदन, कुमकुम अथवा सिंदूर से बनाने पर ग्रह दोष दूर होतें है. धन लाभ का योग बनता है। माना जाता है कि घर में स्वास्तिक का चिन्ह बनाने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। भगवान गणेश 'बुद्धि के देवता' हैं, ऐसे में 'स्वास्तिक' बुद्धि का पवित्र प्रतीक है। स्वास्तिक की दोनों अलग-अलग रेखाएं गजानन जी की पत्नी रिद्धि-सिद्धि को दर्शाती हैं। गणेशजी के पुत्रों के नाम हम 'स्वास्तिक' के दाएं-बाएं लिखते हैं
स्वास्तिक का महत्व
स्वास्तिक का मूल अर्थ स्वास्तिक शब्द मूलभूत अर्थ ‘सु + अस’ धातु से बना है। ‘सु’ का अर्थ कल्याणकारी एवं मंगलमय है,’ अस ‘का अर्थ है अस्तित्व एवं सत्ता। इसका दूसरे शब्द में कहे तोह आशीर्वाद है शुभ फल देने वाला, मंगल या पुण्यकार्य करने वाला है। समृद्धि और सौभाग्य के प्रतीक के रूप में स्वस्तिक को प्राचीन और आधुनिक टेक्नोलॉजी वाली दुनिया में व्यापक रूप से देखा गया है। यह शब्द संस्कृत के स्वस्तिक से लिया गया है, जिसका अर्थ है “भलाई के लिए अनुकूल।”
कई हिंदुओं अपने घर के आंगन में स्वस्तिक का चिन्ह इस्तेमाल करते है अपने घर के सामने प्रवेश द्वार की दहलीज पर स्वस्तिक की अलग अलग रंगो से रंगोली से सजाते है।ऐसा कहा जाता है कि यदि आपके हाथ पर स्वस्तिक चिन्ह दर्शाया जाता है तो आप एक राजा की तरह रहेंगे, यह एक बहुत ही शुभ प्रतीक माना जाता है।हिन्दू सनातन धर्म में स्वास्तिक का बहुत महत्व है। स्वास्तिक को सृष्टिचक्र की संज्ञा दी गई है। बिना स्वास्तिक बनाए कोई भी पूजा, विधान और यज्ञ पूर्ण नहीं माना जाता है। प्रत्येक शुभ कार्य की शुरुआत में और त्योहारों पर हर घर के मुख्य द्वार पर स्वास्तिक लगाना अतिशुभ फलदायी माना जाता है।
स्वास्तिक से जुड़ी बाते
बौद्ध परंपरा में, स्वस्तिक बुद्ध के पैरों या पैरों के निशान का प्रतीक माने जाते है।
आधुनिक दौर में बौद्ध इसका इस्तेमाल कपड़ों की सजावट में करते हैं।
आज से तीन हज़ार वर्षों तक शांति और समृद्धि का प्रतीक था जब तक कि नाजी जर्मनी ने इसे अपने तरीके से नहीं बदला था।
एक हठ योग बैठने की स्थिति है जिसे “स्वातिकासन” के रूप में जाना जाता है।
स्वस्तिक चिन्ह का उपयोग प्राचीन माया सभ्यता द्वारा व्यापक रूप से किया गया था।
स्वस्तिक एक गतिशील सौर प्रतीक माना जाता है, चार तत्वों का प्रतिनिधित्व भी करता है; पृथ्वी, वायु, अग्नि और जल।
एक धार्मिक प्रतीक होने के अलावा, यह एक सजावटी प्रतीक के रूप में इस्तेमाल किया गया था
दाहिने हाथ का स्वास्तिक हिंदू भगवान विष्णु के एक सौ आठ में से एक प्रतीक माना जाता है।
कुछ अन्य देवताओं में जैसे भगवान गणेश और विष्णु को अपने हाथ की हथेली पर खींचे गए स्वस्तिक प्रतीकों के साथ के चित्रों में दर्शाया गया है।
स्वास्तिक कौन से दिन बनाना चाहिए?
स्वास्तिक किस दिन बनाना चाहिए? वैसे तो स्वास्तिक कोई भी शुभ काम या पूजा को शुरू करने से पहले बनाया जाता है। लेकिन यदि आपके घर के बाहर कोई खंभा या पेड़ है तो इसे नकारात्मक ऊर्जा घर में आ सकती हैं, ऐसे में आप रोज अपने घर के मुख्य द्वार पर स्वास्तिक बना सकते हैं।
घर में स्वास्तिक कहां रखना चाहिए?
वास्तु बताता है कि घर के प्रवेश द्वार पर स्वास्तिक बनाने से नकारात्मकता से छुटकारा मिलता है। आप सोच रहे होंगे कि मुख्य द्वार पर स्वास्तिक कैसे बनाया जाता है। आपको पता होना चाहिए कि सकारात्मक वाइब्स को आकर्षित करने और स्वयं के साथ गहरा संबंध बनाने के लिए स्वस्तिक को उत्तर-पूर्व दिशा में बनाना चाहिए।
स्वास्तिक के लाभ
स्वास्तिक चिह्न हमेशा उत्तर या ईशान दिशा में ही बनाना चाहिए। मान्यता है कि इन दिशाओं में स्वास्तिक बनाने से भगवान और देवी-देवताओं की कृपा हमेशा परिवार पर बनी रहती है।
घर के मुख्य द्वार पर स्वास्तिक चिह्न बना देने से दरिद्रता और बीमारी घर में प्रवेश नहीं कर पाती, जिससे वह परिवार हमेशा सुखी और समृद्ध रहता है। शास्त्र के अनुसार, घर के मेन गेट पर हमेशा हल्दी से ही स्वास्तिक चिह्न बनाना चाहिए। हल्दी में आयुर्वेदिक गुण होते हैं और यह वायरस समेत सूक्ष्म जीवियो और नकारात्मक शक्तियों के लिए अवरोध बन जाती है।स्वास्तिक चिह्न को बहुत कल्याणकारी और मानव जीवन के लिए शुभ माना जाता है।
ऐसे बनाएं स्वास्तिक
हिंदू धर्म के प्रसिद्ध ऋग्वेद में स्वास्तिक को सूर्य का प्रतीक भी माना गया है. इसकी चार भुजाओं को चार दिशाएं बताया जाता है. विज्ञान की माने तो इसे गणित का एक चिन्ह माना गया है. ये चिन्ह सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह की ऊर्जा का प्रवाह करता है. इसलिए बहुत जरूरी है कि इसे सही तरीके से और सही दिशा में बनाया जाएं.