Shadashtak Yog Kaise Banta Hai: षडाष्टक योग कैसे बनता है, इसका दुष्प्रभाव वर्तमान समय पर किस पर पड़ेगा, जानिए दोष और उपाय
Shadashtak Yog Kaise Banta Hai, षडाष्टक योग कैसे बनता है: किस तरह इस दोष में लोग प्रभावित होते हैं और उस दौरान बचने के लिए क्या करें। जानिए
षडाष्टक योग कैसे बनता है
Shadashtak Yog Kaise Banta Hai
षडाष्टक योग -ज्योतिष अनुसार, जब कुंडली में दो ग्रह एक दूसरे से छठे और आठवे भाव में होते हैं तो यह अशुभ षडाष्टक योग बनता है।इस बार शनि और मंगल की स्थिति से षडाष्टक योग बना है। इस योग में लोगों को कई प्रकार के कष्ट झेलने पड़ सकते हैं, जो मानसिक, शारीरिक और आर्थिक हो सकते है। गिनती अशुभ योगो में की जाती है।दो ग्रहो के योग से यह योग बनता है।जब भी कुंडली में दो ग्रह एक दूसरे से छठे और आठवें भाव में होते है तब षडाष्टक योग बनता है।यह योग इस कारण अशुभ होता है क्योंकि इस योग में ग्रहो के बीच एक दूसरे से 6 और 8 का सम्बन्ध बन जाता है।लग्न से या किसी भी भाव से छठा भाव उस जातक या भाव से सम्बंधित फलो लिए दुःख, रोग, ऋण, चिंता आदि अशुभ परिणामो का होता है तो इसीतरह लग्न या किसी भी भाव से आठवाँ भाव उस जातक या भाव संबंधी फलो के लिए दुर्भाग्य, नष्टता, भयंकर कष्ट, संकट आदि का होता है।
- जब भी कुंडली में ग्रह एक दूसरे से 6 और 8 स्थान पर होंगे उनके फल एक दूसरे की तरह से नकारात्मक ही मिलेंगे।यदि षडाष्टक योग बनाने वाले ग्रह बलवान स्थिति में भी हुए और अपनी स्थिति अनुसार शुभ है।लेकिन एक दूसरे से 6 और 8वे स्थान पर हो और महादशा अन्तर्दशा दोनों ही षडाष्टक योग बनाने वाले ग्रहो की चल रही हो तब किसी तरह के शुभ परिणाम जातक को नही मिलते क्योंकि दशानाथ ग्रहो की स्थिति षडाष्टक योग से ग्रसित होगी।
- केंद्र त्रिकोण के स्वामियों का एक दूसरे से 6 और 8 की स्थिति में बैठना बहुत अशुभ परिणाम देता है क्योंकि केंद्र त्रिकोण के स्वामी शुभ और योगकारी ग्रह होते है जब यही ग्रह एक दूसरे से 6 और 8 की स्थिति में बैठ जाते है तब इनके शुभ परिणामो में कमी आ जाती है।
- किसी भी भाव के स्वामी का अपने भाव से 6, और 8वे भाव में बेठना भाव के लिए शुभ परिणाम नही देता।12वां भाव प्रथकता हानि से सम्बंधित भाव है जो इसी तरह फल उत्पन्न करेगा।इसी करण किसी भी भाव के स्वामी का अपने भाव से 12वे भाव में बैठना भी अपने उस भाव संबंधी के फल की हानि करता है।
षडाष्टक योग का प्रभाव Shadashtak Yog Ka Prabhav:
शनि और मंगल ग्रह के कारण अशुभ षडाष्टक योग बना है, जो 30 जून तक रहेगा।मंगल की कर्क और शनि की कुंभ में उपस्थिति से अशुभ षडाष्टक योग का निर्माण हुआ है, जो 4 राशि के जातकों के लिए परेशानी का सबब बन सकता है। इनको अपने जीवन में कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। शनि और मंगल में शत्रुता का भाव होता है षडाष्टक योग का राशियों पर क्या अशुभ प्रभाव होगा?
शनि और मंगल से बने षडाष्टक योग के कारण 4 राशियों कर्क, सिंह, कुंभ और धनु के जातकों पर नकारात्मक प्रभाव हो सकता है। उन पर होने वाले अशुभ प्रभावों के बारे में।
कर्क राशि वाले षडाष्टक योग के कारण धन हानि का योग बन रहा है कोई भी बड़ा निवेश न करें।वह घाटे का सौदा हो सकता है. साथ ही प्रॉपर्टी से जुड़े कुछ वाद-विवाद भी हो सकते हैं। दांपत्य जीवन में तनाव होने से सेहत पर बुरा असर हो सकता है। ऐसे में आप शांति और धैर्य के साथ समस्याओं का सामना करें।
सिंह राशि वाले षडाष्टक योग से करियर में कई तरह की चुनौतियां मिल सकती हैं, जिससे काम में बाधा आएगी। मन दुखी होगा।इस दौरान आपकी आर्थिक स्थिति भी कमजोर हो सकती है, इसका कारण फिजूलखर्ची हो सकती है। इस पर कंट्रोल करना होगा। परिजनों के साथ रिश्तों में खटास आ सकती है, जिससे तनाव हो सकता है. संभलकर रहना होगा।
धनु राशि वाले इस योग के कारण धन की कमी का सामना करना पड़ सकता है। आपके खर्चे बढ़ेंगे, जिससे कर्ज लेने की स्थिति बन सकती है। कार्यस्थल पर सहकर्मियों के असयोग से परेशान होंगे। शांत दिमाग से अपना काम करें, सब आसान होगा। निवेश से बचना चाहिए
कुंभ राशि वाले शनि और मंगल का षडाष्टक योग आपकी राशि के जातकों को सावधान करने वाला है क्योंकि दुर्घटना की आशंका है। वाहन सावधानी से चलाएं। जीवनसाथी के साथ संबंध खराब रह सकते हैं, जिससे दांपत्य जीवन तनावपूर्ण हो सकता है। कार्यस्थल पर अपने गुस्से और व्यवहार पर कंट्रोल रखें, नहीं तो काम खराब होगा।
षडाष्टक योग का उपाय
शिव उपासना के साथ भगवान गणेश एवं हनुमान जी की उपासना करें। दान में मसूर दाल लाल, एवं जामुन, चीकू, खट्टे पदार्थ आदि का दान करें। गाय को हरी घास एवं बूंदी के लड्डू खिलाएं