Janamshtami Puja Vidhi Aur Bhog: जन्माष्टमी के दिन कैसे करे पूजा और जानें महत्व, इस दिन अपनी राशि के अनुसार लगाए भोग
Janamshtami Puja Vidhi Aur Bhog: इस साल कृष्ण जन्माष्टमी एक दिन नहीं, बल्कि 2 दोनों की पड़ रही है। जन्माष्टमी का यह अनोखा संयोग बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है।इस बार 6 और 7 सितंबर को जन्माष्टमी पर्व है, जानते है राशि के अनुसार इस कैसे पूजा करें और भोग लगाए....

Janamshtami Puja Vidhi Aur Bhog जन्माष्टमी की पूजा - विधि और भोग: कृष्ण जन्माष्टमी का यह पावन उत्सव प्रत्येक साल में भाद्रपद्र माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को बड़े हर्षोल्लाष के साथ मनाया जाता है। हिन्दू धर्म शास्त्रों के अनुसार इस दिन की आधी रात के समय ही भगवान विष्णु ने अपना आठवां अवतार भगवान श्री कृष्ण के रूप में माता देवकी के पुत्र रूप में लिया था जिन्हें माता यशोदा ने पाला था। इस साल कृष्ण जन्माष्टमी एक दिन नहीं बल्कि 2 दोनों की पड़ रही है। जन्माष्टमी का यह अनोखा संयोग बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है।इस बार 6 और 7 सितंबर को जन्माष्टमी पर्व है...
जन्माष्टमी की पूजा - विधि
जन्माष्टमी के दिन रात को 12 .5 मिनट पर भगवान की पूजा आरंभ करें। इस दौरान एक चौकी पर लाल वस्त्र बिछाएं, इसके बाद बाल गोपाल को किसी स्वच्छ पात्र में रखे। उन्हें पंचामृत से स्नान कराएं। गंगाजल से स्नान कराएं। अब बाल गोपाल को सुंदर वस्त्र पहना कर उनका शृंगार मुकुट, कान की बाली, हाथों के कंगन, बांसुरी आदि से करें। रोली और अक्षत से तिलक करें। तत्पश्चात् कृष्ण जी को झूला झुलाएं और धूप-दीप आदि दिखा कर पूजा करें। माखन मिश्री का भोग लगाएं। कृष्ण जी को तुलसी का पत्ता जरूर अर्पित करें। भोग के बाद गंगाजल भी अर्पित करें। अब भगवान की आरती करें और लोगों को प्रसाद बांटें व स्वयं भी ग्रहण करें। इसके बाद व्रत का पारण करें। इस व्रत को करने वाले को चाहिए कि व्रत से एक दिन पूर्व (सप्तमी को) हल्का तथा सात्विक भोजन करें। यह व्रत रात्रि बारह बजे के बाद ही खोला जाता है। इस व्रत में अनाज का नहीं खाया जाता। फलहार के रूप में कुट्टू के आटे की पकौड़ी, मावे की बर्फ़ी और सिंघाड़े के आटे का हलवा बनाया जाता है।
जन्माष्टमी का महत्व
इस दिन भगवान कृष्ण के बालरूप की पूजा होती है। मान्यता है कि जन्माष्टमी का व्रत और पूजा करने से पापों का नष्ट होता है। नि:संतान दंपत्ति को संतान सुख की प्रप्ति होती है। इस दिन व्रत रखकर सच्चे मन से पूजा-अर्चना करने से लड्डू गोपाल भक्तजन की सभी मनोकामना पूर्ण करते हैं। नि:संतान दंपत्तियो को जन्माष्टमी पर रात को कृष्ण जन्म के समय बांसुरी अर्पित करनी चाहिए। ऐसा करने से संतान से संबंधी सभी समस्याएं दूर होती हैं और संतान दीर्घायु होती है इस साल श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर भी कोरोना का साया पड़ता दिख रहा है। इस बार मथुरा में बाहरी लोगों के आने पर प्रतिबंध होगा।
हर साल भादो माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को आने वाला जन्माष्टमी (Krishna Janmashtami 2023) का त्योहार इस साल6 और 7 सितंबर को मनाया जाएगा। भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव का यह पर्व देशभर में बड़े ही उल्लास के साथ मनाया जाता है. इस दिन मंदिरों और घरों में लोग बाल गोपाल की झांकियां सजाते हैं. इसके साथ ही इस दिन व्रत रखा जाता है। ऐसा माना जाता है कि भगवान कृष्ण जिससे प्रसन्न हो जाएं उनके जीवन में हमेशा धन-धान्य, सुख-समृद्धि रहती है.
जन्माष्टमी पर राशि के अनुसार भोग
मेष राशि मंगल ग्रह को मेष राशि का स्वामी बताया गया है, इसलिए कृष्ण जन्माष्टमी पर मेष राशि के व्यक्ति कृष्ण जन्म के बाद स्नान कर शुद्ध हो जाएं. इसके बाद श्री कृष्ण का ध्यान करने के बाद उन्हें लाल रंग की पोशाक पहनाएं और माखन-मिश्री का भोग लगाएं।
वृष राशि स्वामी शुक्र देव हैं इसलिए कृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर वृषभ राशि के व्यक्तियों को भगवान कृष्ण का चांदी के वर्क से श्रृंगार कर उन्हें माखन का भोग लगाना चाहिए. इस दिन विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ भी करना चाहिए।
मिथुन राशि के स्वामी बुध देव हैं इसलिए कृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर मिथुन राशि के व्यक्ति कान्हा के जन्म के बाद लहरिया वस्त्र पहनाएं और उनको दही का भोग लगाएं. इसके साथ ही इस राशि के लोगों को कृष्ण चालीसा का पाठ करना चाहिए.
कर्क राशि भगवान कृष्ण ने जन्माष्टमी पर चंद्रवंश में ही जन्म लिया था और कर्क राशि के स्वामी भी चंद्र देव हैं इसलिए कर्क राशि के व्यक्ति कान्हा के जन्म के बाद उन्हें सफेद रंग की पोशाक पहना कर उनका श्रृंगार करें और कान्हा जी को दूध व केसर का भोग लगाएं।
सिंह राशि के स्वामी सूर्य देव हैं इसलिए कृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर सिंह राशि के व्यक्ति कान्हा जी को गुलाबी रंग की पोशाक पहनाएं और उनको माखन मिश्री का भोग लगाएं।
कन्या राशि के स्वामी बुध देव है इसलिए कृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर कन्या राशि के व्यक्ति कान्हा जी के जन्म के बाद हरे रंग की पोशाक पहनाएं और उनको मेवे की बर्फी का भोग लगाएं और इसके साथ ही कृष्ण चालीसा का पाठ करें।
तुला राशि के स्वामी शुक्र देव हैं इसलिए कृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर तुला राशि के व्यक्ति भगवान कृष्ण का गुलाबी या फिर केसरिया रंग की पोशाक पहनाएं और उनको माखन मिश्री का भोग लगाएं।
वृश्चिक राशि के स्वामी मंगल ग्रह हैं इसलिए कृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर वृश्चिक राशि के व्यक्ति पंचामृत से कृष्ण का अभिषेक करें और कान्हा जी को लाल रंग की पोशाक पहनाएं इस दिन कान्हा जी को मावा, माखन, या घी अर्पित करें।
धनु राशि के स्वामी बृहस्पति देव हैं इसलिए कृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर धनु राशि के व्यक्ति कान्हा के जन्म के बाद पीले रंग की पोशाक पहनाएं और साथ में बांसुरी भी रखें. जन्माष्टमी पर कान्हा जी को पीली मिठाई का भोग लगाएं।
मकर राशि के स्वामी शनिदेव हैं और शनिदेव भगवान कृष्ण के आराध्य हैं इसलिए कृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर मकर राशि के व्यक्ति कान्हा को नारंगी रंग की पोशाक पहनाएं और मिश्री का भोग लगाएं।
कुंभ राशि के स्वामी भी शनिदेव ही हैं इसलिए कृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर कुंभ राशि के व्यक्ति कान्हा को नीले रंग की पोशाक पहनाएं और बालूशाही का भोग लगाएं. इसके साथ ही विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें।
मीन राशि के स्वामी बृहस्पति देव हैं इसलिए कृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर मीन राशि के व्यक्ति कान्हा को पीतांबरी वस्त्र पहनाएं और चंदन का तिलक लगाएं. मीन राशि के लोग कान्हा जी को केसर और मावे की बर्फी का भोग लगाएं।
