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Garuda Puran Ka Gyan:गरुड़ पुराण में कर्म का फल क्या लिखा है, जानिए मृत्यु के बाद क्यों पढ़ा जाता है?

Garuda Puran Ka Gyan: गरुड़ पुराण जीवन के यर्थाथ से परिचय करवाता है। इसका पाठ मृत्युपरांत जीव के आत्मा की शांति के लिए किया जाता है। हमारे कर्मों का फल इसमें निर्धारित है। जानते हैं...

Garuda Puran Ka Gyan:गरुड़ पुराण में  कर्म का फल क्या लिखा है, जानिए  मृत्यु के बाद क्यों पढ़ा जाता है?
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By Shanti Suman

Garuda Puran Ka Gyan गरुड़ पुराण में क्या लिखा है?: गरुड़ पुराण जीवन के यर्थाथ से परिचय करवाता है। इसका पाठ मृत्युपरांत जीव के आत्मा की शांति के लिए किया जाता है। हमारे कर्मों का फल इसमें निर्धारित है। गरुड़ पुराण को सनातन धर्म के 16 बड़े पुराणों में से एक माना जाता है. इसके मुख्य देवता भगवान विष्णु है. भगवान से उनके वाहन गरुड़ ने बहुत सारे प्रश्न पूछे और जिनका भगवान ने उत्तर भी दिया है. गरुड़ पुराण विष्णु पुराण का एक हिस्सा है इसमें हिंदू धर्म के मृत्यु, पुनर्जन्म और अंतिम संस्कार से संबंधित बाते लिखी हैं. गरुड़ पुराण में मनुष्य के कर्म का लेखा-जोखा बताया गया है जिससे मनुष्य के पाप और पुण्य निर्धारित होते हैं. मान्यता है कि व्यक्ति को अपनी मृत्यु के बाद कर्मों के आधार पर स्वर्ग और नरक की प्राप्ति होती है. गरुड़ पुराण में यह भी बताया गया है कि कर्मों के आधार पर अगले जन्म में व्यक्ति किसी रूप में जन्म लेता है

गरुण पुराण क्यों नहीं पढ़ना चाहिए?

गरुड़ पुराण में मृत्यु के बाद आत्मा की गति का विवरण है। उसके कर्मों अनुसार क्या क्या गति मिलेगी ऐसा जिक्र इस पुराण में है। इसलिए इसे आम आदमी पढ़ने से डरता है। बाकी इसे कोई भी कभी भी पढ़ सकता है।

गरुड़ पुराण के अनुसार पाप क्या है?

गरुण पुराण के अनुसार, विवाह के बाद पति या पत्नी को धोखा देना या केवल अपने स्वार्थ के लिए साथ रहना पाप माना जाता है। ऐसे लोगों को मृत्यु के बाद नर्क में लोहे की छड़ों से मार दिया जाता है।

क्या गरुड़ पुराण घर में रख सकते हैं?

गरुड़ पुराण को बस किसी के मरने पर जो संस्कार होते हैं उसी में लाया जाता है पंडितों के द्वारा और उसका पाठ किया जाता है इसके अतिरिक्त गरुड़ पुराण को घर में नहीं रख सकते।

गरुड़ पुराण कितने दिन सुनना चाहिए?

गरुड़ पुराण कितने दिन का होता है? किसी की मृत्यु के बाद 13 दिनों तक गरूड़ पुराण का पाठ किया जाता है

गरुड़ पुराण मृत्यु के बाद क्यों पढ़ा जाता है?

इसमें मृत्यु के बाद के जीवन, अंतिम संस्कार संस्कार और पुनर्जन्म के तत्वमीमांसा का विवरण शामिल है , और इसलिए इसे हिंदू धर्म में अंत्येष्ठि (अंतिम संस्कार) या अंतिम संस्कार संस्कार (अंतिम संस्कार) के एक भाग के रूप में पढ़ा जाता है। पद्म पुराण गरुड़ पुराण को सत्त्व पुराण (एक पुराण जो अच्छाई और पवित्रता का प्रतिनिधित्व करता है) के रूप में वर्गीकृत करता है।


गरुड़ पुराण के अनुसार कर्म का फल

  • गुरु का अपमान यानी भगवान का अपमान. ऐसा करना नरक के द्वार खोलने जैसा है। गरुड़ पुराण में कहा गया है कि गुरु से कुतर्क करनेवाला शिष्य अगले जन्म में जल रहित वन में ब्रह्मराक्षस बनता है।
  • यदि कोई पुरुष महिलाओं वाला आचरण करता है स्वभाव में महिलाओं वाली आदतें ले आता है तो ऐसे पुरुषों को अगले जन्म में स्त्री का रुप मिलता है।
  • अगर कोई मृत्यु के समय भगवान का नाम लेता है तो वो मुक्ति के मार्ग पर अग्रसर हो जाता है. इसलिए शास्त्रों में कहा गया है कि मरते समय राम का नाम लेना चाहिए।
  • स्त्री की हत्या, गर्भपात करने या कराने वाला भिल्ल रोगी, गाय की हत्या करने वाला मूर्ख और कुबड़ा, ये दोनों नरक की यातनाएं भोगने के बाद अगले जन्म चांडाल योनी में ही पैदा होते हैं।
  • जो लोग महिलाओं का शोषण करते या कराते हैं वो अगले जन्म में भयानक रोगों से पीड़ित होते है. वहीं अप्राकृतिक रूप से संबंध बनाने वाला अगले जन्म में नपुंसक, गुरु पत्नी के साथ दुराचार करने वाला कुष्ठ रोगी होता है।
  • गरुड़ पुराण में बताया गया है कि जो मनुष्य छल, कपट और धोखा देते हैं वो अगले जीवन में उल्लू बनते हैं। वहीं झूठी गवाही देने वाला दूसरे जन्म में अंधा पैदा होता है।
  • गरुड़ पुराण के अनुसार जो व्यक्ति हिंसा करके परिवार का पालन-पोषण करते हैं, जैसे लूटपाट, जानवरों को सताना या शिकार खेलने वाले अगले जन्म में किसी कसाई हत्थे चढ़ने वाला बकरा बनते हैं।माता-पिता या भाई-बहन को प्रताड़ित करने वाले मनुष्य को अगला जन्म तो मिलता है लेकिन वह धरती पर नहीं आ पाते क्योंकि उनकी मृत्यु गर्भ में ही हो जाती है।


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