AdhikMaas Ki Parama Ekadashi Special: 3 साल बाद आने वाली है परमा एकादशी, जानिए तारीख-मुहूर्त- कैसे रातों रात बदल सकते हैं अपनी किस्मत
AdhikMaas Ki Parama Ekadashi Special अधिकमास की परमा एकादशी स्पेशल: परमा एकादशी तीन साल बाद आ रही है। इस दिन कुछ उपाय करके अपनी किस्मत बदल सकते हैं जानिए कैसे

AdhikMaas Ki Parama Ekadashi Special अधिकमास की परमा एकादशी स्पेशल: 24 एकादशियों में परमा एकादशी का व्रत बेहद ही खास माना जाता हैं जो कि हर माह में दो बार आता हैं ऐसे साल में कुल 24 एकादशी का व्रत किया जाता हैं अभी सावन अधिकमास चल रहा हैं और इस माह पड़ने वाली एकादशी को परमा एकादशी के नाम से जाना जा रहा हैं जो कि भगवान श्री हरि विष्णु की पूजा अर्चना के लिए बेहद ही खास मानी जा रही हैं। इस दिन भक्त भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा करते हैं और उपवास आदि भी रखते हैं कहते हैं कि एकादशी के दिन पूजा पाठ करने से साधक पर प्रभु की अपार कृपा बरसती हैं साथ ही सभी दुख परेशानियों का भी निवारण हो जाता हैं, साथ ही मोक्ष की भी प्राप्ति होती हैं। इस साल परमा एकादशी का व्रत 12 अगस्त दिन शनिवार को पड़ रहा हैं, तो आज हम आपको परमा एकादशी व्रत पूजा का मुहूर्त बता रहे हैं।
परमा एकादशी पूजा का शुभ मुहूर्त
सावन अधिक मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि का आरंभ 11 अगस्त को सुबह 5 .6 मिनट पर हो रहा हैं और 12 अगस्त सुबह 6 . 31 मिनट पर इसका समापन हो जाएगा। ऐसे में परमा एकादशी का व्रत 12 अगस्त दिन शनिवार रखा जायेगा। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा के लिए पूरा दिन उत्तम माना जा रहा हैं। वही जिन लोगों ने परमा एकादशी का व्रत किया हैं वो लोग 13 अगस्त दिन रविवार को सुबह 5. 49 मिनट से सुबह 8 . 19 मिनट के बीच व्रत का पारण कर सकते हैं ये समय पारण के लिए उत्तम माना जाता हैं।
परमा एकादशी का उपाय—
भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्ति के लिए परमा एकादशी के दिन विष्णु संग लक्ष्मी जी की पूजा जरूर करें और उन्हें केसर युक्त खीर का भोग लगाएं। माना जाता हैं कि इस उपाय को करने से आर्थिक संकट से मुक्ति मिलती हैं वही इसके अलावा परमा एकादशी के दिन श्री विष्णु की पूजा के साथ ही अगर पितरों का श्राद्ध और तर्पण भी किया जाए तो पितृदोष दूर हो जाता हैं।
इस दिन भगवान विष्णु की पूजा में प्रभु को पंचामृत जरूर अर्पित करें। इसके बाद स्वयं सभी इसे श्रद्धापूर्वक ग्रहण करें। ऐसा करने से साधक के जीवन के कष्टों का अंत हो जाता हैं। परमा एकादशी के दिन अगर व्रत कथा का पाठ किया जाए तो इससे सभी मनोकामना पूरी हो जाती हैं।
परमा एकादशी को भगवान विष्णु की आराधना करने का विधान है। इस दिन एकादशी व्रत, विष्णु सहस्रनाम, श्रीसूक्त, पुरुषसूक्त, भागवत पाठ तथा श्रीमदभागवत गीता का पाठ करने का विशेष महत्व बताया गया है।
इसके साथ ही भगवान विष्णु की पूजा के बाद यथासंभव जरूरतमंदों को भोजन करवाएं। दूसरों को विद्या, अन्न, भूमि अथवा गौ दान करें। किसी जरूरतमंद की सहायता करें। इस दिन घर में चावल नहीं पकाना चाहिए तथा दिन भर पूर्ण ब्रह्मचर्य के व्रत का पालन करना चाहिए।
परमा एकादशी की कथा
अर्जुन बोले : हे जनार्दन ! आप अधिक (लौंद/मल/पुरुषोत्तम) मास के कृष्णपक्ष की एकादशी का नाम तथा उसके व्रत की विधि बतलाइये । इसमें किस देवता की पूजा की जाती है तथा इसके व्रत से क्या फल मिलता है?
श्रीकृष्ण बोले : हे पार्थ ! इस एकादशी का नाम ‘परमा’ है । इसके व्रत से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं तथा मनुष्य को इस लोक में सुख तथा परलोक में मुक्ति मिलती है । भगवान विष्णु की धूप, दीप, नैवेध, पुष्प आदि से पूजा करनी चाहिए । महर्षियों के साथ इस एकादशी की जो मनोहर कथा काम्पिल्य नगरी में हुई थी, कहता हूँ । ध्यानपूर्वक सुनो। काम्पिल्य नगरी में सुमेधा नाम का अत्यंत धर्मात्मा ब्राह्मण रहता था । उसकी स्त्री अत्यन्त पवित्र तथा पतिव्रता थी । पूर्व के किसी पाप के कारण यह दम्पति अत्यन्त दरिद्र था । उस ब्राह्मण की पत्नी अपने पति की सेवा करती रहती थी तथा अतिथि को अन्न देकर स्वयं भूखी रह जाती थी ।
एक दिन सुमेधा अपनी पत्नी से बोला: ‘हे प्रिये ! गृहस्थी धन के बिना नहीं चलती इसलिए मैं परदेश जाकर कुछ उद्योग करुँ ।’उसकी पत्नी बोली: ‘हे प्राणनाथ ! पति अच्छा और बुरा जो कुछ भी कहे, पत्नी को वही करना चाहिए । मनुष्य को पूर्वजन्म के कर्मों का फल मिलता है । विधाता ने भाग्य में जो कुछ लिखा है, वह टाले से भी नहीं टलता । हे प्राणनाथ ! आपको कहीं जाने की आवश्यकता नहीं, जो भाग्य में होगा, वह यहीं मिल जायेगा ।’पत्नी की सलाह मानकर ब्राह्मण परदेश नहीं गया । एक समय कौण्डिन्य मुनि उस जगह आये । उन्हें देखकर सुमेधा और उसकी पत्नी ने उन्हें प्रणाम किया और बोले: ‘आज हम धन्य हुए । आपके दर्शन से हमारा जीवन सफल हुआ ।’ मुनि को उन्होंने आसन तथा भोजन दिया ।भोजन के पश्चात् पतिव्रता बोली: ‘हे मुनिवर ! मेरे भाग्य से आप आ गये हैं । मुझे पूर्ण विश्वास है कि अब मेरी दरिद्रता शीघ्र ही नष्ट होनेवाली है । आप हमारी दरिद्रता नष्ट करने के लिए उपाय बतायें ।’र कौण्डिन्य मुनि बोले : ‘अधिक मास’ (मल मास) की कृष्णपक्ष की ‘परमा एकादशी’ के व्रत से समस्त पाप, दु:ख और दरिद्रता आदि नष्ट हो जाते हैं । जो मनुष्य इस व्रत को करता है, वह धनवान हो जाता है । इस व्रत में कीर्तन भजन आदि सहित रात्रि जागरण करना चाहिए । महादेवजी ने कुबेर को इसी व्रत के करने से धनाध्यक्ष बना दिया है ।
फिर मुनि कौण्डिन्य ने उन्हें ‘परमा एकादशी’ के व्रत की विधि कह सुनायी । मुनि बोले: ‘हे ब्राह्मणी ! इस दिन प्रात: काल नित्यकर्म से निवृत्त होकर विधिपूर्वक पंचरात्रि व्रत आरम्भ करना चाहिए । जो मनुष्य पाँच दिन तक निर्जल व्रत करते हैं, वे अपने माता पिता और स्त्रीसहित स्वर्गलोक को जाते हैं । हे ब्राह्मणी ! तुम अपने पति के साथ इसी व्रत को करो । इससे तुम्हें अवश्य ही सिद्धि और अन्त में स्वर्ग की प्राप्ति होगी |’कौण्डिन्य मुनि के कहे अनुसार उन्होंने ‘परमा एकादशी’ का पाँच दिन तक व्रत किया । व्रत समाप्त होने पर ब्राह्मण की पत्नी ने एक राजकुमार को अपने यहाँ आते हुए देखा । राजकुमार ने ब्रह्माजी की प्रेरणा से उन्हें आजीविका के लिए एक गाँव और एक उत्तम घर जो कि सब वस्तुओं से परिपूर्ण था, रहने के लिए दिया । दोनों इस व्रत के प्रभाव से इस लोक में अनन्त सुख भोगकर अन्त में स्वर्गलोक को गये ।
हे पार्थ ! जो मनुष्य ‘परमा एकादशी’ का व्रत करता है, उसे समस्त तीर्थों व यज्ञों आदि का फल मिलता है । जिस प्रकार संसार में चार पैरवालों में गौ, देवताओं में इन्द्रराज श्रेष्ठ हैं, उसी प्रकार मासों में अधिक मास उत्तम है । इस मास में पंचरात्रि अत्यन्त पुण्य देनेवाली है । इस महीने में ‘पद्मिनी एकादशी’ भी श्रेष्ठ है। उसके व्रत से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं और पुण्यमय लोकों की प्राप्ति होती है ।