Chhattisgarh Tarkash 2025: तीन दिन का VVIP डेरा...
Chhattisgarh Tarkash 2025: Chhattisgarh Tarkash 2025,

तरकश, 9 नवंबर 2025
संजय के. दीक्षित
तीन दिन का VVIP डेरा
छत्तीसगढ़ में अब तक के सबसे बड़े आयोजन की प्रशासनिक तैयारी शुरू हो गई है। 28 नवंबर से 30 नवंबर तक नवा रायपुर के आईआईएम में डीजीपी-आईजी सम्मेलन आयोजित होना है। इसमें हिस्सा लेने देश के सभी राज्यों और केंद्र शसित प्रदेशों के डीजीपी, गृह सचिव, आईजी हिस्सा लेंगे। सबसे महत्वपूर्ण रहेगा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और नेशनल सिक्यूरिटी एडवाइजर अजीत डोभाल का तीन दिन तक रुकना। डीजीपी कांफ्रेंस 28 नवंबर से शुरू होगा, इसलिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और एनएसए अजीत डोभाल संभवतः 27 नवंबर को रायपुर पहुंच जाएंगे। वहीं, पीएम नरेंद्र मोदी 28 नवंबर की शाम आएंगे। और 30 नवंबर को सायं कांफ्रेंस के समापन के बाद दिल्ली रवाना होंगे। पीएम का मिनट-टू-मिनट प्रोग्राम अभी फायनल नहीं हुआ है मगर खबर है रायपुर पहुंचने के तुरंत बाद वे पार्टी कार्यकर्ताओं से मिलने बीजेपी मुख्यालय जा सकते हैं। ऐसा दो-एक राज्यों में डीजीपी कांफ्रेंस के दौरान हुआ है।
कांफ्रेंस में नो इंट्री
पीएम नरेंद्र मोदी करीब पौने तीन दिन रायपुर में रहेंगे मगर बीजेपी मुख्यालय अगर गए तो ठीक...मगर उसके बाद उनसे कोई मिल नहीं पाएगा। डीजीपी कांफ्रेंसों में राज्य सरकारों की भूमिका एयरपोर्ट पर उनकी अगुवानी और विदाई देने और व्यवस्था मुहैया कराने तक सीमित रहती है। इसके अलावा राज्य सरकार का इस आयोजन से कोई वास्ता नहीं रहता। यह कांफ्रेंस विशुद्ध तौर पर केंद्रीय गृह मंत्रालय का है और उसमें प्रदेश के डीजीपी, एसीएस होम और पांचों आईजी के अलावा और किसी की इंट्री नहीं होगी। आईआईएम में रोज सुबह योगा से कांफ्रेंस की शुरूआत होगी और ब्रेक फास्ट, लंच, डिनर तक टेबल डिस्कशन जारी रहेगा। टाईम का यूटिलाइज करने के लिए शेड्यूल ऐसा तैयार किया जाता है कि नाश्ते और भोजनों के टेबलों पर भी मंथन का दौर जारी रहे। खुद पीएम मोदी कई-कई ग्रुपों में डीजीपी से टेबल पर चर्चा करते हैं तो जरूरत के हिसाब से उनकी वन-टू-वन भी होती हैं। मोदी जब से पीएम बने हैं, तब से डीजीपी कांफ्रेंस का महत्व और अनुशासन काफी बढ़ गया है।
NSA का फर्स्ट विजिट
छत्तीसगढ़ चूकि शांतप्रिय प्रदेश है, इसलिए नेशनल सिक्यूरिटी एडवाइजर को कभी यहां आने की जरूरत नहीं पड़ी। एनएसए की आमदरफ्त आमतौर पर जम्मू-कश्मीर, नार्थ ईस्ट के अशांत प्रदेशों की या फिर विदेशी मामलों में ज्यादा रहती हैं। मगर 2025 का डीजीपी कांफ्रेंस रायपुर में आयोजित हो रहा, लिहाजा पहली बार रायपुर में एनएसए का विजिट होगा। वो भी अजीत डोभाल जैसे बेहद ताकतवर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार का। आईपीएस बैकग्राउंड के अजीत डोभाल लंबे समय तक रॉ में रहे हैं।
CIC, IC की नियुक्ति
छत्तीसगढ़ में मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों की नियुक्ति का रास्ता साफ हो गया है। बिलासपुर हाई कोर्ट ने स्थगन समाप्त करते हुए याचिका खारिज कर दी। बताते हैं, कोर्ट में बड़ा दिलचस्प हुआ। जिस 25 साल के अनुभव की शर्त को चैलेंज किया गया था, कोर्ट ने उसे सही करार दिया। विरोधी पक्ष ने कोई तर्क-वितर्क भी नहीं किया। हाई कोर्ट से शुभ खबर आने के कुछ घंटे बाद शुक्रवार देर शाम CIC के एक मुख्य दावेदार ने मुख्यमंत्री से मुलाकात भी कर ली। इससे ऐसा प्रतीत होता है अगले हफ्ते किसी भी रोज मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में चयन कमेटी की बैठक के बाद आदेश निकल जाएगा।
करप्शन पर कंट्रोल नहीं
सरकार के दो बरस होने जा रहे हैं। इस दौरान सुधार के क्षेत्र में कई बड़े कदम उठाए गए। कुछ विभागों में रिफार्म की कोशिशें अच्छी हुई। मगर एक बात लोगों को अभी भी खटक रहा, वो है करप्शन। तमाम कोशिशों के बाद सरकारी मशीनरी में करप्शन का लेवल डाउन नहीं हो रहा। आश्चर्य यह है कि ये तब भी नहीं रुक रहा, जब सरकार के पास साफ-सुथरी छबि की एक बेहतरीन टीम है। चीफ सिकरेट्री विकास शील हों या फिर मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव सुबोध सिंह, डीजीपी अरुणदेव गौतम हों या फिर खुफिया चीफ अमित कुमार। इन चारों शीर्ष अधिकारियों की ईमानदारी और निष्ठा पर विपक्ष के लोग भी सवाल नहीं खड़ा कर सकते।
बावजूद इसके अगर भ्रष्टाचार पर अंकुश नहीं लग पा रहा तो सिस्टम में बैठे लोगों को मंथन करना चाहिए कि लाइलाज बन चुकी इस बीमारी का निदान क्या है। हालांकि, सिस्टम को ऑनलाइन करने के प्रयास तेज हुए हैं...ई-ऑफिस से फाइलों को कोई ज्यादा दिन तक रोक नहीं पा रहा...मगर सिस्टम इतना खटराल हो चुका कि सिर्फ इससे काम नहीं चलेगा। पॉलीटिकिल लेवल पर भी इस पर काम करना होगा। वास्तव में जरूरत है सौदान सिंह जैसे शख्सियत की, जो आवश्यकता पड़ने सायकिल चला सके, और डंडा भी।
मंत्रियों का जनदर्शन क्यों नहीं?
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय का जनदर्शन फिर से प्रारंभ होने जा रहा है। 13 नवंबर को मुख्यमंत्री निवास में उनका जनता दरबार लगेगा। हालांकि, सीएम हादस में पहले भी कुछ जनदर्शन हुए थे। मगर व्यस्तता की वजह से कुछ महीनों से यह कार्यक्रम बंद हो गया था। सरकार के रणनीतिकारों का कहना है कि मुख्यमंत्री का जनदर्शन अब अनब्रेक चलेगा। याने कोई बेहद विशेष परिस्थिति होगी, तभी इसमें बदलाव किया जाएगा। खैर, सरकार को कोशिश करनी चाहिए कि मंत्रियों का भी रेगुलर जनदर्शन हो। कुछ मंत्रियों की स्थिति ये हो गई है कि आम आदमी से मिलना दूर, पार्टी कार्यकर्ताओं को उनके पास फटकने नहीं दिया जाता। यही हाल, कलेक्टरों का है। सरकार ने कलेक्टरों को कई बार जनदर्शन लगाने कहा मगर ग्राउंड पर उसका पालन नहीं हो रहा। दो-चार को छोड़ दें तो शायद ही कोई कलेक्टर जनदर्शन करता हो। जाहिर सी बात है कि आम आदमी हो या कार्यकर्ता, संवेदनशीलता से कोई सुनने वाला मिल जाए तो उसकी आधी पीड़ा वैसे ही दूर हो जाती है।
पांच बेस्ट कलेक्टर!
छत्तीसगढ़ में 33 जिले हैं और स्वाभाविक तौर पर इतने ही कलेक्टर। मंत्रालय के कुछ अफसरों ने कलेक्टर कांफ्रेंस के बाद अनआफिसियल तौर पर इनकी ग्रेडिंग तैयार की है, उनमें पांच कलेक्टरों को परफार्मेंस की दृष्टि से सबसे उपर रखा गया है। हालांकि, ग्रेडिंग में परसेप्शन की भी भूमिका हो सकती है। क्योंकि, इन पांच में से दो-तीन को पहले से माना जाता है कि वे रिजल्ट देने वाले अफसर हैं। बहरहाल, 13 कलेक्टरों के वर्क को संतोषजनक माना गया है। और चार को खराब। अगर सियासी परिस्थितियां अनुकूल रही तो अगली लिस्ट में इन्हें बदला जा सकता है।
पुलिस कमिश्नर में ब्रेकर
सरकार बदलते ही पुलिस कमिश्नर सिस्टम पर चर्चा शुरू हुई थी। 2024 के स्वतंत्रता दिवस पर इसका ऐलान होना था। मगर 2025 का गणतंत्र दिवस निकल गया। इस साल 15 अगस्त को इस ऐतिहासिक सुधार की घोषणा हुई मगर अभी भी यह कागजों से बाहर नहीं आ पाया है। उपर से अदृश्य शक्तियों ने दुर्ग के साथ नाइंसाफी कर दी। जाहिर है, प्रारंभ में रायपुर और दुर्ग में इस सिस्टम को लागू करने पर बात हुई थी। घोषणा से पहले गृह विभाग ने रायपुर और दुर्ग आईजी से इस सिलसिले में विस्तृत रिपोर्ट मांगी थी। मगर जब पुलिस कमिश्नर के लिए ड्राफ्ट बनाने का निर्देश जारी हुआ तो दुर्ग डिलिट हो चुका था। बहरहाल, डीजीपी के निर्देश पर बनी सात सदस्यीय कमेटी ने सितंबर में ड्राफ्ट तैयार कर गृह विभाग को भेज दिया। अंदेशा था कि राज्य निर्माण के रजत जयंती जैसे ऐतिहासिक मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों पुलिस के इस सबसे बड़े रिफार्म का आगाज हो जाएगा। मगर किन्हीं वजहों से ऐसा हो न सका। अब इसे कब और किस रुप में लागू किया जाएगा, कोई कुछ ठीक से बता पाने की स्थिति में नहीं है।
मंत्रियों की छुट्टी?
सियासी गलियारों में अटकलें बड़ी तेज है कि मंत्रिमंडल से दो-एक मंत्रियों को बदला जा सकता है। दावे यहां तक किए जा रहे कि दिसंबर में किसी भी दिन मंत्रिमंडल में सर्जरी हो सकती है। जाहिर है, इस तरह की खबरों की कोई पुष्टि करता नहीं। ऐसी खबरें द्रुत गति से फैलती भी है। सो, हर तीसरा आदमी यह सवाल कर रहा...किन मंत्रियों को बदला जा रहा। हालांकि, इस उड़ी हुई खबरों के बीच यह सवाल भी गौरकाबिल है कि दो महीने पहले सितंबर में जब तीन मंत्रियों को कैबिनेट में शामिल किया गया...उसी समय मंत्रिमंडल का पुनर्गठन क्यों नहीं हुआ?
कलेक्टरों को अभयदान
छत्तीसगढ़ में मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण कार्य याने एसआईआर प्रारंभ हो गया है। 6 फरवरी 2026 तक सरकारी मुलाजिम डोर-टू-डोर जाकर मतदाता सूची को चेक करेंगे। भारत निर्वाचन आयोग के निर्देश पर राज्य सरकार ने कलेक्टर्स, एडिशनल कलेक्टर, डिप्टी कलेक्टर, तहसीलदार, नायब तहसीलदारों समेत इस कार्य में लगे कर्मचारियों के तबादले पर रोक लगा दी है। इससे खासतौर से कलेक्टरों का ट्रांसफर प्रभावित होगा। सूबे में कलेक्टरों की एक छोटी लिस्ट काफी दिनों से प्रतीक्षित है। ऐसे संकेत भी थे कि राज्योत्सव के बाद एक लिस्ट निकलेगी। मगर एसआईआर शुरू हो जाने के बाद अब 7 फरवरी 2026 से पहले कलेक्टरों का ट्रांसफर मुमकिन नहीं होगा। अलबत्ता, सरकार चाहे तो निर्वाचन आयोग से परमिशन लेकर छोटे स्तर पर तबादले किए जा सकते हैं। मगर देखना यह होगा कि सरकार के लिए यह कितना जरूरी है।
आईपीएस की लिस्ट
पिछले महीने राज्य सरकार ने चार पुलिस अधीक्षकों समेत करीब आधा दर्जन आईपीएस अधिकारियों का ट्रांसफर किया। मगर महासमुंद के एसपी आशुतोष सिंह का नाम लिस्ट से गायब देख लोगों को बड़ा आश्चर्य हुआ। आशुतोष डेपुटेशन पर दिल्ली जा रहे हैं। सीबीआई में उन्हें एसपी की पोस्टिंग भी हो गई है। पोस्टिंग मिलने के बाद चूकि डेपुटेशन पर जाना अनिवार्य रहता है, इस लिहाज से समझा जा रहा था कि आईपीएस की लिस्ट में सबसे उपर उनका नाम होगा। मगर ऐसा हुआ नहीं। बहरहाल, जैसी कि सूचना है राज्य सरकार किसी भी दिन किसी आईपीएस को महासमुंद का एसपी अपाइंट कर आशुतोष को सीबीआई के लिए रिलीव कर देगी। हो सकता है, राजभवन में नए एडीसी भी नियुक्त किए जाएं। एडीसी का मामला भी लंबे समय से लटका हुआ है। सरकार ने सुनील शर्मा की जगह उमेश गुप्ता को नया एडीसी नियुक्त किया था। मगर सुनील शर्मा को अभी भी कंटिन्यू करना पड़ रहा है।
अफसर का पावर
किसी अफसर का पावर और संपर्क कितना मजबूत हो सकता है, इस वाकये से आप अंदाजा लगा सकते हैं। असल में, स्कूल शिक्षा विभाग के मंत्री बनने के बाद गजेंद्र यादव कड़े तेवर दिखा रहे हैं। कई जेडी, डीईओ को सस्पेंड करने के बाद वे डीपीआई के कुछ अधिकारियों को बदलने का प्रयास शुरू किए थे। शिक्षकों के ट्रांसफर की नोटशीट लीक करने की वजह से एक अफसर उनके निशाने पर था। मगर इसकी भनक अधिकारी को लग गई। और उसका जलवा देखिए...अधिकारी की सिफारिश लेकर दो-दो मंत्री गजेंद्र यादव के पास धमक गए। गजेंद्र तब एक जिले के दौरे पर सर्किट हाउस में रुके थे। दो-दो मंत्रियों को देख वे हैरान रह गए।
अंत में दो सवाल आपसे?
1. सत्ताधारी पार्ट को 14 की 14 सीटें देने वाले संभागीय मुख्यालय अम्बिकापुर की सड़कें इतनी बदतर क्यों हो गई है?
2. क्या ये सही है कि बीजेपी के कुछ नेता भी विपक्ष का किरदार निभा रहे हैं?
