गलवान में चीनी घुसपैठ पर उठे सवाल, पीएम मोदी के बयान पर PMO की सफाई…. प्रधानमंत्री के बयान पर विपक्ष लगातार कर रहा था हमला
नई दिल्ली 20 जून 2020। सर्वदलीय बैठक में पीएम मोदी की ओर से दिए गए बयान कि लद्दाख में कोई भी भारतीय सीमा में नहीं घुसा और किसी भी पोस्ट पर कब्जा नहीं है. इस बयान पर कांग्रेस सहित विपक्ष के कई नेताओं सवाल उठाए हैं. अब प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) की ओर से स्पष्टीकरण जारी किया गया है. जिसमें कहा गया है कि प्रधानमंत्री मोदी की वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारतीय सीमा की ओर चीनी सेना की कोई मौजूदगी न होने वाली टिप्पणियां सशस्त्र बलों की वीरता के बाद के हालात से जुड़ी हैं.
जारी बयान में कहा गया है कि सैनिकों के बलिदानों ने ढांचागत निर्माण और 15 जून को गलवान में अतिक्रमण की चीन की कोशिशों को नाकाम कर दिया.बयान में कहा गया है कि सर्वदलीय बैठक में पीएम मोदी ने जो कहा है उस पर जानबूझकर गलत धारणा फैलाई जा रही है. जहां तक एलएसी पर अतिक्रमण की बात है तो साफ कहा गया है कि गलवान में 15 जून को जो हिंसा हुई उसके पीछे चीनी सेना की ओर से एक निर्माण की कोशिश थी और जब उनको मना किया गया तो वो पीछे हटने को तैयार नहीं हुए.
सरकार की ओर से कहा गया है कि भारत का क्षेत्र कितना है, यह हमारे नक्शे से स्पष्ट है. सरकार इसकी रक्षा के लिए संकल्पबद्ध है. सरकार की ओर से यह भी बताया गया कि सर्वदलीय बैठक में इस पर भी जानकारी दी गई कि पिछले 60 साल में 43000 वर्ग किलोमीटर भूभाग पर कब्जा किया गया है, जिसकी जानकारी देश को है. हम एलएसी पर एकतरफा परिवर्तन नहीं करने देंगे. एलएसी में बदलाव की किसी भी कोशिश का भारत मजबूती से जवाब देगा. ऐसी चुनौतियों का भारतीय सेना पहले की अपेक्षा मजबूती से सामना करती है.
पीएमओ की ओर से कहा गया है कि सर्वदलीय बैठक में यह जानकारी भी दी गई कि इस बार चीनी सेना इस बार कहीं अधिक ताकत के साथ एलएसी पर आई. यह भी स्पष्ट रूप से कहा गया था कि 15 जून को गलवान में हिंसा हुई थी, क्योंकि चीनी सैनिक एलएसी पर संरचना खड़ा कर रहे थे और इस तरह के कार्य से रोकने पर मानने से इनकार कर दिया. प्रधानमंत्री के बयान 15 जून को गलवान में हुई घटना पर आधारित थे, जिसमें 20 सैनिकों की जान चली गई थी.