सिर्फ 6 वोटों से जीत पाईं सांसद रामविचार नेताम की पत्नी पुष्पा नेताम… रात बारह बजे तक कार्यकर्ताओं के चेहरे के बदलते रहे रंग..

अंबिकापुर,6 फ़रवरी 2020। कद्दावर आदिवासी नेता, अनुसूचित जनजाति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद रामविचार नेताम और उनके समर्थकों के लिए 5-6 फ़रवरी की दरमियानी रात नए सबक़ नए अनुभव और अंतत: कभी ना भूलने वाला रोमांच दे गई है। ज़िला पंचायत का चुनाव लड़ रहीं रामविचार नेताम की पत्नी पुष्पा नेताम 6 मतों के अंतर से चुनाव जीत गईं। ज़ाहिर है जब कि मुक़ाबला इतना नज़दीकी हो तो टेबूलेशन में मौजुद कार्यकर्ताओं की हालत समझी जा सकती है।
तीन तीन बार के टेबूलेशन के बाद आख़िरकार पुष्पा नेताम के खाते जीत दर्ज हुई और उसके पहले तक कार्यकर्ताओं के चेहरे पर रंग आते रहे जाते रहे। इतने न्यूनतम मतों से जीत दर्ज करने वाली पुष्पा नेताम संभवतया अकेली हैं, कम से कम इस बार के ज़िला पंचायत चुनाव में सूबे में सबसे कम अंतर से जीत दर्ज करने वाली वे इकलौती ज़िला पंचायत सदस्य हैं।
पुष्पा नेताम प्रतापपुर विधानसभा में आने वाले गोगवार से ज़िला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ रहीं थीं। यह इलाक़ा बलंगी रघूनाथनगर कहलाता है, और इस पट्टी की पहचान भाजपा समर्थक क्षेत्र के रुप में रही है। पहले यह इलाक़ा उस पाल विधानसभा का था जहां से ‘पाल के लाल ‘ रामविचार नेताम जीत दर्ज करते रहे हैं, और आंकडे बताते हैं कि बलंगी रघूनाथनगर के इस इलाक़े में नेताम का भरपूर साथ दिया।परिसीमन के बाद यह इलाक़ा प्रतापपुर विधानसभा का हिस्सा हो गया है। पुष्पा नेताम के पहले इस क्षेत्र से भाजपा के बबलू भारती ने जीत दर्ज की थी, तब मतों का अंतर क़रीब डेढ़ हज़ार था।
इस क्षेत्र में पुष्पा नेताम इतने न्यूनतम मार्जिन पर क्यों गई इसे समझने के लिए समीकरण को समझना पड़ेगा। प्रतापपुर विधानसभा के विधायक मंत्री डॉ प्रेमसाय सिंह हैं, और उनके पहले इस क्षेत्र से भाजपा सरकार में गृहमंत्री रहे रामसेवक पैकरा विधायक थे।
रामसेवक पैकरा और रामविचार नेताम के बीच स्वाभाविक रुप से सहज रिश्ते नही देखे जाते, बीते विधानसभा चुनाव में रामविचार नेताम को लेकर यह खबरें आई थी कि उनके लिए बेहतर सुरक्षित क्षेत्र वह प्रतापपुर विधानसभा है, जहां से रामसेवक पैकरा विधायक थे, और नेताम वहाँ से टिकट चाह रहे हैं, लेकिन टिकट फिर रामसेवक को मिली, हालाँकि रामसेवक चुनाव हार गए।
ज़ाहिर है अपने क्षेत्र में कोई भी राजनेता प्रतिद्वंद्वी नहीं चाहेगा, पूर्व मंत्री रामसेवक और मौजूदा मंत्री डॉ प्रेमसाय दोनों के लिए यह बात लागू होती है, हालाँकि अधिकृत रुप से कोई भी पक्ष इसे स्वीकार नहीं करता।डॉ प्रेमसाय सिंह के लिए इसलिए क्योंकि मौजूदा समय में कांग्रेस की ओर से यहाँ ज़िला पंचायत में चुनाव लड़ने वाले रामदेव जगते विधानसभा के समय टिकट के प्रबल दावेदार थे।
पुष्पा नेताम के जीतने का मतलब होता, रामसेवक के क्षेत्र में रामविचार नेताम का सशक्त हस्तक्षेप, और यदि जगते की जीत होती तो डॉ प्रेमसाय सिंह का विकल्प तैयार रहता। नतीजतन वह नजारा नुमाया हुआ जिसने सियासत में नए सबक दिए, समीकरण कैसे बनते हैं और क्या नतीजे लाते हैं उसे समझने के लिए बेहतर उदाहरण भी दिया।
इस सीट से गोंडवाना के हीरासिंह को छ हजार मत मिले, और वे तीसरे नंबर पर थे। साथ ही यह भी दर्ज है कि, यहाँ 11 से अधिक प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे थे।