Who will be the next Chief Minister of CG: इन 4 में से कोई एक होगा छत्तीसगढ़ का अगला मुख्यमंत्री, कल होगी भाजपा विधायक दल की बैठक
Who will be the next Chief Minister of CG: छत्तीसगढ़ का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा, इस सस्पेंस से कल (रविवार) पर्दा हटने जाने की उम्मीद की जा रही है। कल पार्टी के विधायक दल की बैठक में विधायक दल का नेता चुना जाएगा। वहीं, राज्य का अगला मुख्यमंत्री होगा।
Who will be the next Chief Minister of CG: रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव का परिणाम आए करीब 6 दिन का समय गुजर चुका है, लेकिन राज्य का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा यह अभी तक साफ नहीं हो पाया है। नई दिल्ली में कई दौर की उच्च स्तरीय बैठक के बाद मुख्यमंत्री चयन के लिए पर्यवेक्षकों की टीम तैयार की गई है। छत्तीसगढ़ के लिए पर्यवेक्षक अर्जुन मुंडा, सर्वानंद सोनोवाल और दुष्यंत कुमार गौतम कल आ रहे हैं। तीनों नेता कल दोपहर में भाजपा प्रदेश मुख्यालय में पार्टी के नवनिर्वाचित विधायकों की बैठक लेंगे। इसमें विधायक दल के नेता का चुनाव होगा।
विधायक दल की बैठक के लिए तारीख और समय की घोषणा के साथ ही उम्मीद की जा रही है कि कल ही प्रदेश के नए मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा हो जाएगी। प्रदेश का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा, इस प्रश्न का जवाब पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व के अलावा किसी के पास नहीं हैं। पार्टी की तरफ से बार-बार कहा जा रहा है कि फैसला चौकाने वाला होगा। इस बीच छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री पद की रेस में शामिल नेताओं की सूची अब छोटी हो गई है। आधा दर्जन नामों से घटकर अब दौड़ में केवल 4 नामों की चर्चा चल रही है।
छत्तीसगढ़ के नए मुख्यमंत्री के लिए जिन नामों की चर्चा जोरों पर है उनमें पहला नाम डॉ. रमन सिंह का है। डॉ. रमन लगातार 15 साल तक प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी पसंद माने जाते हैं। डॉ. रमन को राज्य का सीएम बनाए जाने के पीछे जो तर्क दिया जा रहा है उसमें सबसे पहला है अनुभव। दूसरा तीन महीने बाद से लोकसभा चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। इधर, प्रदेश में भाजपा की तरफ से की गई कुछ घोषणाओं को तुरंत लागू करना पड़ेगा। इसके लिए पर्याप्त बजट की जरुरत पड़ेगी।जबकि सरकार पर लंबा चौड़ा कर्जभार है। वहीं, डॉ. रमन के पास मुख्यमंत्री के साथ ही वित्त विभाग का भी लंबा अनुभव है।डॉ. रमन सीएम के साथ ही वित्त मंत्री का पद भी लंबे समय तक संभाल चुके हैं। डॉ. रमन के पक्ष में तर्क यह भी दिया जा रहा है कि अन्य नामों की अपेक्षा डॉ. रमन के नाम पर सहमति आसानी से बन सकती है। डॉ. रमन को सीएम बनाए जाने के खिलाफ जो बात जा रही है उसमें लगातार 15 साल सरकार में रहने के बावजूद 2018 के चुनाव में पार्टी केवल 15 सीटों पर सिमट गई थी। पार्टी नेताओं का एक बड़ा वर्ग नहीं चाहता कि डॉ. रमन फिर से मुख्यमंत्री बनें।
छत्तीसगढ़ के संभावित मुख्यमंत्रियों की सूची में दूसरा नाम विष्णुदेव साय का है। साय आदिवासी वर्ग से आते हैं और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं। लंबे समय तक सांसद भी रहे हैं। ऐसे में आदिवासी चेहरा के रुप में पार्टी साय को मुख्यमंत्री बना सकती है। साय के चुनाव प्रचार के दौरान अमित शाह ने उन्हें बड़ा आदमी बनाने की बात कही है। इस वजह से साय को सीएम पद का दावेदार माना जा रहा है। लेकिन साय को सीएम बनाए जाने के कुछ खतरे भी हैं। उनके नाम पर सहमति बनाना कठिन साबित हो सकता है।साय बेहद सरल हैं और वे डॉ. रमन के करीबी माने जाते हैं। यह भी उनके सीएम बनने के रास्ते में बाधा बदल सकता है।
मुख्यमंत्री के पद संभावित नामों में तीसरा नाम अरुण साव का है। साव लोरमी सीट से विधायक चुने गए हैं और अभी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भी हैं। यानी कांग्रेस की लहर के दावों के बीच भाजपा ने साव के नेतृत्व में ही बहुमत हासिल किया गया है। साव का ओबीसी (साहू) होना भी उन्हें सीएम बनाए जाने के पक्ष में जाता है। बता दें कि प्रदेश में ओबीसी वर्ग में साहू वोटरों की आबादी सबसे ज्यादा है। ऐसे में साव को प्रदेश का अगला मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है। साव के साथ दिक्कत यह है कि वे वकालत के पेशा से सीधे राजनीति में आए हैं। संघ की पृष्ठभूमि से हैं, लेकिन 2019 में बिलासपुर सांसद चुने जाने से पहले वे चुनावी राजनीति में नहीं थे। एक तथ्य यह भी है कि डॉ. रमन व उन्हें सीएम बनाने की इच्छा रखने वावो विधायक भी साव के नाम पर सहमत हो जाएंगे।
इन सूची में चौथा नाम वास्तव में चौकाने वाला है। यह नाम है ओपी चौधरी का। चौधरी ओबीसी हैं और अखिल भारतीय सेवा (आईएएस) छोड़कर राजनीति में आए चौधरी के पास 10 वर्ष से अधिक का प्रशासनिक अनुभव है। तीन जिलों में कलेक्टर रह चुके हैं। दंतेवाड़ा में एजुकेशन सिटी चौधरी का ही इनोवेशन था, जिसे उन्होंने सरकार किया। अमित शाह रायगढ़ की जनता से चौधरी को बड़ा आदमी बनाने का वादा पहले ही कर चुके हैं। ऐसे में चौधरी को मुख्यमंत्री बना दे तो कोई आश्चर्य नहीं होगा। हालांकि चौधरी भी डॉ. रमन के करीबी माने जाते हैं। चौधरी के साथ समस्या है कि राजनीति में वे नए हैं। करीब 5 साल पहले ही वे राजनीति में आए हैं। 2018 में खरिसया से चुनाव हार गए थे।