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Video हर गांव से एक प्रत्याशी: भानुप्रतापपुर विधानसभा में 465 गांव, सर्व आदिवासी समाज हर गांव से उतारेगा प्रत्याशी, ये है रणनीति...

Video हर गांव से एक प्रत्याशी: भानुप्रतापपुर विधानसभा में 465 गांव, सर्व आदिवासी समाज हर गांव से उतारेगा प्रत्याशी, ये है रणनीति...
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By NPG News

कांकेर। छत्तीसगढ़ में आदिवासी समाज के आरक्षण में हाईकोर्ट के फैसले के बाद कटौती के विरोध में सर्व आदिवासी समाज ने भानप्रतापपुर उपचुनाव में हर गांव से एक प्रत्याशी उतारने का निर्णय लिया है। सोमवार को एक ही दिन में सर्व आदिवासी समाज से 31 लोगों ने नामांकन फार्म खरीदा। सर्व आदिवासी समाज के नेता जीवन ठाकुर ने कहा कि बचे हुए दिनों में बाकी आवेदन खरीदे जाएंगे। सभी संघर्ष करेंगे और चुनाव लड़ेंगे। सर्व आदिवासी समाज के इस फैसले के बाद प्रशासन में हड़कंप है, क्योंकि इतनी बड़ी संख्या में प्रत्याशी होने की स्थिति में ईवीएम की संख्या बढ़ जाएगी। बैलेट से चुनाव कराने की भी बात होने लगी है।

भानुप्रतापपुर उपचुनाव के लिए नामांकन जमा करने के लिए तीन दिन शेष हैं। अब तक एकमात्र नामांकन जमा हुआ है। कांग्रेस से स्व. मनोज मंडावी की पत्नी सावित्री मंडावी ने नामांकन पत्र खरीदा है। वहीं, भाजपा ने ब्रह्मानंद नेताम को अपना प्रत्याशी बनाया है। आज शाम तक संभवतः कांग्रेस प्रत्याशी के नाम का भी ऐलान हो जाएगा।

इधर, सर्व आदिवासी समाज के फैसले ने उपचुनाव में एक नई बहस छेड़ दी है। सर्व आदिवासी समाज ने हर गांव से एक प्रत्याशी उतारने का फैसला किया है। समाज के लोग पूरी भीड़ के साथ नामांकन फार्म खरीदने पहुंचे थे। आदिवासी समाज के नेता जीवन ठाकुर ने कहा कि आज 100 से ज्यादा लोग नामांकन खरीदेंगे और शेष लोग भी जल्द नामांकन लेने आएंगे। उन्होंने कहा कि समाज हर हाल में चुनाव लड़ेगा और जीतकर रहेगा।

दोनों दलों की बढ़ेगी मुश्किल

सर्व आदिवासी समाज की ओर से 465 भले न हो, लेकिन 100 के आसपास भी नामांकन जमा किए जाएंगे तो कांग्रेस और भाजपा दोनों की मुश्किलें बढ़ जाएंगी। समाज की मांगों पर यदि कोई संतोषजनक निर्णय नहीं हुआ तो 2023 के विधानसभा चुनाव में यह और उग्र रूप ले सकता है। दोनों दलों के लिए यह बड़ी चुनौती साबित होगी, क्योंकि तत्कालीन भाजपा सरकार ने आदिवासियों को 32% आरक्षण देने का फैसला किया था। कांग्रेस की सरकार ने यह छिन गया। इसे लेकर भाजपा का तर्क है कि कोर्ट में सरकार अपना पक्ष मजबूती से नहीं रख पाई, जबकि कांग्रेस का तर्क है कि जब भाजपा की सरकार थी, तब जो डॉक्यूमेंट जमा किए जाने थे, वे नहीं किए गए, इसलिए ऐसी स्थिति बनी है।

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