त्रि स्तरीय पंचायत चुनाव: ओबीसी आरक्षण को लेकर गरमाने लगी राजनीति, कांग्रेस ने बनाया मुद्दा और राज्य सरकार को घेरा
Three-tier Panchayat elections: त्रि स्तरीय पंचायत चुनाव के मद्देनजर राज्य सरकार द्वारा जिला व जनपद पंचायत के अध्यक्षों के आरक्षण को लेकर बनाई गई रणनीति को लेकर कांग्रेस आक्रामक हो गई है। ओबीसी आरक्षण को प्रदेश व्यापी मुद्दा बनाते हुए राज्य सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। इसी कड़ी में रविवार को बिलासपुर के कांग्रेस भवन में जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष विजय केशरवानी व शहर अध्यक्ष विजय पांडेय ने संयुक्त रूप से प्रेसक कांफ्रेंस कर राज्य सरकार को आड़े हाथों लिया। यही नहीं पीसीसी की रणनीति को भी सामने लाया।

बिलासपुर। जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष विजय केशरवानी ने राज्य सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि भाजपा की सरकार ने पूरे प्रदेश में षडयंत्र पूर्वक ओबीसी के आरक्षण में कटौती किया है। राज्य सरकार के द्वारा स्थानीय निकाय चुनाव में आरक्षण प्रावधानों किए गए दुर्भावना पूर्वक संशोधन के चलते अधिकांश जिला और जनपद पंचायतों में ओबीसी आरक्षण खत्म हो गया है।
विजय ने कहा कि प्रदेश के 16 जिला पंचायत और 85 जनपदों में जहां पहले 25 प्रतिशत सीटें अन्य पिछड़ा वर्ग के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित हुआ करती थी. अब अनुसूचित क्षेत्रों में ओबीसी आरक्षण लगभग खत्म हो गया है। मैदानी क्षेत्रों में अनेक पंचायतें ऐसी है जहां पर तकरीबन 90 से 99 प्रतिशत आबादी ओबीसी है, लेकिन वहां पर भी ओबीसी के लिए सरपंच का पद आरक्षित नहीं है। पंचों का आरक्षण भी जनसंख्या के अनुपात में कम है। पूर्व में ओबीसी के लिए आरक्षित ये सभी सीटें अब सामान्य घोषित हो चुकी है। साय सरकार के द्वारा आरक्षण प्रक्रिया के नियमों में किए गए दुर्भावना पूर्वक संशोधन के बाद अनुसूचित जिले और ब्लॉकों में जिला पंचायत सदस्य, जनपद सदस्य और पंचों का जो भी पद अन्य पिछडा वर्ग के लिए आरक्षित था। अब वह सामान्य सीटे घोषित हो गई है।
0 बस्तर और सरगुजा संभाग में ओबीसी के लिए कुछ नहीं
बस्तर और सरगुजा संभाग में आरक्षित वर्ग को बड़ा नुकसान होगा। सरगुजा संभाग के पांच जिले अंबिकापुर बलरामपुर, सूरजपुर कोरिया, मनेंद्रगढ़, चिरमिरी, भरतपुर सोनहत, बस्तर के 7 जिले बस्तर, कांकेर, कोंडागांव, दंतेवाडा, नारायणपुर सुकमा, बीजापुर सहित मानपुर मोहला, जशपुर, गैरोला पेंड्रा मरवाही, और कोरबा जिले में अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए कुछ बचा ही नहीं है। राज्य सरकार के द्वारा स्थानीय निकाय (त्रिस्तरीय पंचायत और नगरीय निकाय) चुनाव में आरक्षण के प्रावधानों में जो षडयंत्र पूर्वक ओबीसी विरोधी परिवर्तन किया है उसके परिणाम सामने हैं। जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष विजय केशरवानी ने कहा कि त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव 2025 के लिए जिला पंचायत, जनपद पंचायत, सरपंच और पंचों के आरक्षण में ओबीसी के हक और अधिकारों में बड़ी डकैती इस सरकार ने की है।
0 रायपुर जिले में16 में चार क्षेत्र और बिलासपुर जिले में 17 में मात्र एक सीट ओबीसी के लिए
त्रिस्तरीय पंचायत राज संस्थाओं में रायपुर जिला पंचायत में 16 क्षेत्रों में से केवल 4 ओबीसी के लिए आरक्षित है। बिलासपुर जिले में सदस्यों के 17 में से केवल एक क्षेत्र क्रमांक 1 में ओबीसी महिला के लिए आरक्षित है, ओबीसी पुरुष के लिए 17 में से एक भी सीट आरक्षित नहीं है। इसी तरह बिलासपुर जिले के चार जनपद पंचायत में दो जनपद पंचायत अध्यक्ष के पद अनुसूचित जाति महिला, एक अनारक्षित महिला और एक जनपद अध्यक्ष का पद अनारक्षित मुक्त रखा गया है। ओबीसी के लिए बिलासपुर जिले के अंतर्गत चार जनपद पंचायतों में से एक भी जनपद पंचायत अध्यक्ष का पद ओबीसी के लिये आरक्षित नहीं है। विजय ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार के बदनियति से चलते अन्य पिछड़ा वर्ग के उम्मीदवार चुनाव लडने से वंचित हो गए है। स्थानीय निकाय चुनाव में आरक्षण के संदर्भ में साय सरकार ने जो दुर्भावना पूर्वक संशोधन किया है वह ओपीस वर्ग के साथ अन्याय है, अत्याचार है।
0 आरोपों की लगाई झड़ी
जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष विजय केशरवानी ने राज्य सरकार पर जमकर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि भाजपा का मूल चरित्र ही आरक्षण विरोधी है। जब विपक्ष में थे तब विधानसभा में सर्वसम्मति से नवीन आरक्षण विधेयक को रोका। जिसमें अनुसूचित जनजाति को 32 प्रतिशत और अन्य पिछड़ा वर्ग को से बढ़कर 27 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रावधान था। 2 दिसंबर को पारित यह विधेयक भाजपा के षडयंत्रों के चलते आज तक राजभवन में लंबित है। अब स्थानीय निकाय चुनावों में आरक्षण के नियमों में बदलाव करके ओबी अधिकारों में दुर्भावना पूर्वक कटौती किया गया है।