Supreme Court's decision in Jheeram case: सीएम भूपेश बोले- अब पता चलेगा किसने-किसके साथ मिलकर रचा था षडयंत्र
Supreme Court's decision in Jheeram case:
Supreme Court's decision in Jheeram case: रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का बड़ा बयान सामने आया है। झीरमकांड की जांच को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सीएम भूपेश का यह बयान सामने आया है।
सीएम भूपेश बघेल ने कहा कि झीरम कांड पर सुप्रीम कोर्ट का आज का फ़ैसला छत्तीसगढ़ के लिए न्याय का दरवाज़ा खोलने जैसा है। झीरम कांड दुनिया के लोकतंत्र का सबसे बड़ा राजनीतिक हत्याकांड था। इसमें हमने दिग्गज कांग्रेस नेताओं सहित 32 लोगों को खोया था। कहने को एनआईए ने इसकी जांच की, एक आयोग ने भी जांच की लेकिन इसके पीछे के वृहत राजनीतिक षडयंत्र की जांच किसी ने नहीं की। छत्तीसगढ़ पुलिस ने जांच शुरु की तो एनआईए ने इसे रोकने के लिए अदालत का दरवाज़ा खटखटाया था। आज रास्ता साफ़ हो गया है। अब छत्तीसगढ़ पुलिस इसकी जांच करेगी। किसने किसके साथ मिलकर क्या षडयंत्र रचा था। सब साफ हो जाएगा। झीरम के शहीदों को एक बार फिर श्रद्धांजलि।
बताते चले कि केंद्रीय जांच एजेंसी एनआईए को सुप्रीम कोर्ट से आज बड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने एनआईए की याचिका को खारिज करते हुए छत्तीसगढ़ पुलिस को मामले की जांच की अनुमति दे दी है। बात दें कि राज्य में सत्ता बदलने के बाद कांग्रेस ने इस मामले की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया था। इसके साथ ही राज्य पुलिस ने एनआईए से मामले के दस्तावेज देने का आग्रह किया था। लेकिन एनआईए ने दस्तावेज देने से इनकार करते हुए राज्य पुलिस की जांच के आदेश को कोर्ट में चुनौती दे दी थी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब राज्य पुलिस इस मामले की जांच कर सकेगी।
बताते चलें कि यह घटना 13 मई 2013 में हुई थी। कांग्रेस ने पूरे राज्य में परिवर्तन यात्रा का आयोजन किया था। इस यात्रा का बस्तर में आयोजन किया गया। इसमें कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष नंद कुमार पटेल, पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल, पूर्व नेता प्रतिपक्ष महेंद्र कर्मा सहित कई बड़े नेता शामिल थे। कांग्रेस नेताओं का यह काफिला जब झीरम घाटी से गुजर रहा था तब नक्सलियों ने हमला कर दिया। इस घटना में 30 लोगों की मौत हो गई थी। इसमें कांग्रेस नेता और सुरक्षा कर्मी सहित अन्य शामिल थे।
राज्य सरकार का कहना है कि एनआईए ने अपनी जांच में षडयंत्र के एंगल की जांच नहीं की है। इसी आधार पर राज्य में सत्ता परिवर्तन के बाद 2018 में नए सिरे से जांच की प्रक्रिया शुरू करी गई। सरकार ने एसआईटी का गठित की, लेकिन एनआईए ने दस्तावेज देने से मना कर दिया। एनआईए का तर्क था कि वह मामले की जांच कर रही है और चालान भी पेश कर चुकी है। इस बीच 2020 में झीरम हमले में मारे गए राजनांदगांव के पूर्व विधायक उदय मुदलियार के पुत्र जितेंद्र मुदलियार ने दरभा थाने में आवेदन दिया। इसके आधार पर पुलिस ने नया एफआईआर दर्ज किया और जांच करने लगी। एनआईए इस जांच को रोकने के लिए कोर्ट गई थी। लोवर कोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तक मामला चला, लेकिन सभी जगह राज्य पुलिस के पक्ष में फैसला आया।