subrat pathak: BJP सांसद के खिलाफ FIR: पुलिस चौकी के अंदर घुसकर इंस्पेक्टर को पीटा, किडनैपरों को छुड़वाने का आरोप...
कन्नौज। किडनैपरों को छुड़वाने के लिए पुलिस चौकी में घुसकर चौकी प्रभारी समेत पुलिसकर्मियों को पीटने वाले कन्नौज सांसद पर एफआईआर दर्ज की गई है। सांसद सुब्रत पाठक ने अपने साथियों के साथ मिलकर अपहरणकर्ताओं को छुड़वाने के लिए पुलिस चौकी में घुस कर चौकी प्रभारी समेत पुलिसकर्मियों की पिटाई कर दी थी। बृजभूषण पाठक भाजपा के सांसद है।
सुब्रत पाठक कन्नौज से पहली बार सांसद बने हैं। बीती रात उनपर मंडी समिति चौकी में घुस कर चौकी प्रभारी व पुलिस कर्मियों से मारपीट के मामले में एफआईआर दर्ज की गई है। मंडी समिति चौकी इंचार्ज हाकिम सिंह ने अपनी एफआईआर में बताया है कि वे पुलिस टीम के साथ बीती रात गश्त में थे। तभी उन्नाव की औरास थाने की पुलिस टीम अपहरणकर्ताओं की तलाश में आई थी। उन्नाव के टाइगर जिम से एक युवक को 5 अपहरणकर्ता अपहरण कर आ रहे थे। सूचना पर औरास पुलिस स्टेशन की टीम उनके पीछे पहुंची थी। तभी मंडी समिति चौकी इंचार्ज हाकिम सिंह को वायरलेस सेट पर अधिकारियों ने औरास पुलिस टीम को मदद करने को कहा। पुलिस कर्मियों की टीम ने समन्वय बनाते हुए पांच अपहर्ताओं को पकड़ लिया। सभी को लिखा पढ़ी के लिए मंडी समिति चौकी लाया गया तो यहां अपहर्ताओं को छुड़ाने के लिए सांसद और उनके कार्यकर्ता पहुंचे। यह उन्होंने अपहरण कर्ता को छुड़ाने के लिए पुलिस कर्मियों से मारपीट की। चौकी प्रभारी की शिकायत पर भाजपा सांसद सुब्रत पाठक व उनके कार्यकर्ताओं के खिलाफ कन्नौज कोतवाली में धारा 147,148, 332, 353, 504, 506, 427, 225, अपराध कानून संशोधन अधिनियम 1932 की धारा 7 के तहत एफआईआर दर्ज की गई है।
सांसद सुब्रत पाठक पहली बार सांसद बने हैं। राज्य में भाजपा की सरकार होने के बाद भी उनके ऊपर दूसरी बार एफआईआर दर्ज हुई है। पहली बार सांसद बनने के एक साल के बाद उन पर एफआईआर दर्ज हुई थी। उस दौरान उन्होंने कोरोना लॉकडाउन में तहसीलदार की सरकारी आवास में घुस कर तहसीलदार की पिटाई की थी। अब लोकसभा चुनाव से ठीक एक साल पहले फिर एफआईआर दर्ज हुई है, जिसे लेकर सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भी भाजपा पर निशाना साधा है और कहा है कि सांसद की गिरफ्तारी कब तक होगी यह जनता पूछ रही है। गिरफ्तारी होगी भी या पुलिस बुलडोजर के पीछे पुलिस छिप जाएगी। इसके जवाब में भाजपा ने भी पलटवार करते हुए कहा है कि सारे अपराधियों को यूपी में सपा सरकार में ही संरक्षण मिलता था। अतीक अहमद व मुख्तार अंसारी इसके उदाहरण है। वही पुलिस ने एफआईआर में सांसद के पते के सामने अज्ञात लिखा है जिसको लेकर भी चर्चा है।