पटियाला 20 मई 2022। क्यूरेटिव पिटीशन पर फिलहाल राहत न देने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सिद्धू ने पटियाला हाउस कोर्ट में समपर्ण कर दिया है। वे अपने समर्थकों के साथ अदालत पहुँचे व सीजेएम की कोर्ट में सरेंडर किया। सीजेएम कोर्ट के सामने सुरक्षा के लिये भारी पुलिस बल लगाया गया था।
सिद्धू अदालत में अपना एक बैग लेकर अपनी लैंड क्रूजर गाड़ी से पहुँचे थे। यहां उन्होंने सीजेएम अमित मल्हन के कोर्ट में सरेंडर किया। कानूनी प्रक्रियाएं पूरी करने के बाद सिद्धू को पंजाब पुलिस के बस में माता कौशिल्या अस्पताल ले जाया जा रहा है। जहां मेडिकल करने के बाद उन्हें पटियाला जेल दाखिल किया जाएगा। उनके मीडिया सलाहकार ने कहा कि उन्हें जेल में वीआईपी ट्रीटमेंट नही चाहिए पर इलाज की सुविधा व खिलाड़ी होने के नाते उस हिसाब से खुराक चाहिए। उनकी जीतेगा पंजाब टीम को उनका पूरे एक साल इंतजार रहेगा।
सुप्रीम कोर्ट से सजा सुनाए जाने के बाद सिद्धु ने सरेंडर करने के लिये कुछ हफ्ते का वक्त मांगा था। इसके लिये सिद्धु के वकीलों ने स्वास्थ्यगत कारणों का हवाला दिया था। जस्टिस ने इसे चीफ जस्टिस म सामने मेंशन करने के लिए कहा था।
34 साल पुराने रोडरेज के मामले में कल ही नवजोत सिंह सिद्धू को सुप्रीम कोर्ट ने एक वर्ष की सजा सुनाई है। सुप्रीम कोर्ट का आदेश पहले पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट पहुँचेगा फिर वहां से पटियाला हाउस कोर्ट पँहुचेगा। यदि सिद्धू सरेंडर नही करते हैं तो अदालत उन्हें गिरफ्तार करने के लिये कहेगी।हालांकि सिद्धू के वकीलों ने कहा है कि यदि राहत नही मिलती तो वह पटियाला हाउस कोर्ट में सरेंडर कर देंगे।
आज उनकी ओर से अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पिटीशन दायर किया। उसमे बताया गया कि सिद्धु को लिवर में दिक्कत के चलते इलाज करवाना पड़ता था और कुछ समय पहले ही उन्होंने रिकवरी की है लिहाजा उन्हें सरेंडर के लिये वक्त दिया जाना चाहिए। जस्टिस एएम खानविलकर की सिंगल बेंच में इस पर बहस हुई। पंजाब सरकार के वकीलों ने इसका विरोध करते हुए कहा कि 34 साल पुराने केस का यह मतलब नही कि अपराध मर जाता है। 34 वर्षो बाद भी फैसला सुनाया गया है तब भी उन्हें सरेंडर के लिये वक्त चाहिए।
जस्टिस खानविलकर ने सिद्धु के वकील से कहा कि क्यूरेटिव पिटीशन पर राहत देने के लिये स्पेशल बेंच का गठन करना होगा। इसलिए आप इस मामले को चीफ जस्टिस के सामने अर्जी दाखिल कर मामला मेंशन करें। और उनसे बेंच गठन के लिये मांग करे। ज्ञातव्य हैं कि क्यूरेटिव पिटीशन किसी भी सजा याफ्ता कैदी को राहत देने के लिये सुप्रीम कोर्ट का अधिकार होता है। जिसमे कोर्ट अनुच्छेद 142 का इस्तेमाल कर सजायाफ्ता कैदी को सजा से अंतरिम राहत देता है।
चीफ जस्टिस के सामने क्यूरेटिव पिटीशन दाखिल होने पर उन्होंने फिलहाल तात्कालिक तौर पर राहत देने से इंकार कर दिया। जिसके बाद समर वेकेशन के बाद इस मामले की सुनवाई की संभावना है। चीफ जस्टिस से कोई रिलीफ नही मिलने पर सिद्धू ने पटियाला हाउस कोर्ट में पहुँच कर सरेंडर कर दिया।
जानिए केस पर एक नजर:-
सिद्धू और उनके सहयोगी रूपिंदर सिंह संधू 27 दिसंबर 1988 को पटियाला में शेरांवाला गेट क्रासिंग के पास एक सड़क के बीच मे खड़ी एक जिप्सी में थे। उस समय 65 वर्षीय गुरुनाम सिंह औऱ दो अन्य लोग पैसा निकालने के लिए बैंक जा रहे थे। मारुति कार में सवार गुरुनाम सिंह ने सड़क पर से जिप्सी हटाने को कहा जिस पर दोनों पक्षो में बहस हो गयी और सिद्धु ने गुरुनाम सिंह को मुक्का मार दिया। जिसमें इलाज के दौरान उनकी मौत हो गयी।
उन पर गैर इरादत हत्या का अपराध दर्ज किया गया। जिसमे वे सन 1999 में सत्र न्यायलय ने बरी कर दिया। पीड़ित पक्ष इसके खिलाफ हाईकोर्ट गया जहां सन 2006 में सिद्धु को तीन वर्ष कैद व जुर्माने की सज़ा सुनाई गई। सिद्धु ने इस मामले में सरेंडर किया व जेल में भी रहे फिर जमानत लेकर ऊपर की अदालत में अपील की। सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई में सन 2018 में उन पर से गैर इरादतन हत्या का चार्ज हटा लिया गया और धारा 323 में मारपीट व चोट पहुँचाने का दोष सिद्ध करते हुए एक हजार रुपये जुर्माने की सजा दी। पीड़ित पक्ष ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका लगाई जिसमे कल सिद्धू को एक वर्ष की सजा सुनाई गई।