Rajya Sabha: राज्यसभा में ऐसे चुने जाते हैं मनोनीत सदस्य, 12 मेंबर्स के नॉमिनेशन की ये है प्रक्रिया
राज्यसभा यानि उच्च सदन में 12 सदस्यों को राष्ट्रपति मनोनीत करते हैं। राज्यसभा के लिये सदस्यों का मनोनयन संबंधी प्रावधान आयरलैंड के संविधान से लिया गया है। आज हम जानेंगे कि अपर हाउस में सदस्यों के मनोनयन की प्रक्रिया क्या है और इन्हें क्या विशेषाधिकार मिले हुए हैं, साथ ही ये किन क्षेत्रों से हो सकते हैं...
रायपुर, एनपीजी न्यूज। इंडियन पार्लियामेंट में 2 सदन लोकसभा और राज्यसभा हैं। राज्यसभा को अपर हाउस और लोकसभा को इंग्लिश में लोवर हाउस कहा जाता है। संविधान के अनुच्छेद 80 के मुताबिक राज्यसभा में सदस्यों की अधिकतम संख्या 250 तय की गई है, जिनमें से 12 मनोनीत या नॉमिनेटेड सदस्य होते हैं। इन सदस्यों को खुद भारत के राष्ट्रपति मनोनीत या नामित करते हैं। राज्यसभा के लिये सदस्यों का मनोनयन संबंधी प्रावधान आयरलैंड के संविधान से लिया गया है।
वर्तमान में राज्यसभा के कुल सदस्यों की संख्या 245
इसके अलावा बाकी बचे हुए 238 सदस्य संघ और राज्य के प्रतिनिधि चुनते हैं। हालांकि वर्तमान में राज्यसभा में सिर्फ 245 सदस्य ही हैं। इसकी वजह संविधान की अनुसूची 4 है। इस अनुसूची के मुताबिक राज्यसभा के सदस्यों का चयन राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों की आबादी के आधार पर किए जाने के निर्देश हैं।
इस तरह से जब आबादी के हिसाब से गणना की गई, तो राज्यसभा के सदस्यों की कुल संख्या 233 ही पहुंच पाई, इसके अलावा 12 सदस्यों को राष्ट्रपति ने मनोनीत किया। ऐसे में 233 और 12 सदस्यों को जोड़कर वर्तमान में राज्यसभा के कुल सदस्यों की संख्या 245 है।
6 साल का कार्यकाल खत्म होने के साथ नए मनोनीत सदस्य चुने जाएंगे
इधर 13 जुलाई 2024 को राज्यसभा में 4 मनोनीत सदस्यों का 6 साल का कार्यकाल खत्म होने के साथ अब नए नामांकित सदस्यों को चुना जाएगा। सरकार 6 महीने के अंदर इनका चुनाव कर लेगी। बता दें कि जहां लोकसभा के सदस्यों का कार्यकाल 5 सालों का होता है, वहीं राज्यसभा के सदस्यों का कार्यकाल 6 सालों का होता है। जैसे ही राज्यसभा में नॉमिनेटेड सीटें खाली होती हैं, तो सरकार इनकी जगह पर योग्य सदस्यों को मनोनीत करती है।
राज्यसभा में एनडीए अपने दम पर बहुमत के आंकड़े से फिलहाल दूर
13 जुलाई को भाजपा के चार मनोनीत सदस्यों का कार्यकाल खत्म होने के बाद राज्यसभा में एनडीए अपने दम पर बहुमत के आंकड़े से फिलहाल दूर नजर आ रही है। चार साल के बाद राज्यसभा में भाजपा के सदस्यों की संख्या 90 से नीचे आ गई है। हाल ही में पार्टी के चार मनोनीत सदस्य राकेश सिन्हा, राम शकल, सोनल मानसिंह और महेश जेठमलानी सेवानिवृत्त हुए हैं।
4 सदस्यों का कार्यकाल खत्म होने के बाद वर्तमान में राज्यसभा के सदस्यों की संख्या 226
राज्यसभा में वर्तमान सांसदों की संख्या 226 हो गई है। इसमें भाजपा के 86, कांग्रेस के 26, तृणमूल कांग्रेस के 13, वाईएसआरसीपी के 11, आम आदमी पार्टी के 10, डीएमके के सात समेत अन्य दलों के सांसद शामिल हैं। वहीं सात मनोनीत सदस्य भी हैं। फिलहाल राज्यसभा में कुल 19 सीटें खाली हैं। इनमें 4 मनोनीत सदस्यों के साथ ही 4 सीटें जम्मू-कश्मीर और 11 सीटें असम, बिहार, महाराष्ट्र, हरियाणा, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, राजस्थान और त्रिपुरा राज्य की शामिल हैं।
राज्यसभा में मनोनयन के बारे में जानें
- भारतीय संविधान का अनुच्छेद- 80 राज्यसभा के गठन का प्रावधान करता है।
- राज्यसभा के सदस्यों की अधिकतम संख्या 250 हो सकती है, लेकिन वर्तमान में यह संख्या 245 है।
- इनमें से 12 सदस्यों को राष्ट्रपति द्वारा साहित्य, विज्ञान, कला और समाज सेवा से संबंधित क्षेत्रों से मनोनीत किया जाता है।
मनोनयन का उद्देश्य क्या होता है?
प्रसिद्ध लोगों के मनोनयन के पीछे उद्देश्य ये है कि नामी या प्रसिद्ध व्यक्ति बिना चुनाव के राज्यसभा में जा सकें। राष्ट्रीय स्तर पर द्विसदनीय विधायिका के एक सदन के रूप में राज्यसभा का गठन करते समय लोकतांत्रिक राष्ट्र निर्माण की दिशा में चुनाव और मनोनयन की मिश्रित प्रणाली को अपनाया गया और उच्च सदन में 12 सदस्यों के मनोनयन का प्रावधान किया गया।
संसदीय वास्तुकला में मनोनीत सदस्यों की मौजूदगी भारतीय समाज को अधिक समावेशी बनाने वाली व्यवस्था का समर्थन करती है। मनोनीत सदस्य किसी राज्य का नहीं बल्कि पूरे राष्ट्र का प्रतिनिधित्व करते हैं। वे सदन में राष्ट्रीय आकांक्षाओं और लोकाचार (Ethos) को प्रतिबिंबित कर सदन का गौरव बढ़ाते हैं।
नामांकित व्यक्ति को साहित्य, विज्ञान, कला या सामाजिक सेवा जैसे मामलों में विशेष ज्ञान और अनुभव होना चाहिए। राज्यसभा के पूर्व मनोनीत सदस्य और शिक्षाविद् डॉ जाकिर हुसैन (1952 में मनोनीत) का कहना था कि राष्ट्रीय पुनर्जागरण राजनीति के संकीर्ण द्वार से नहीं प्रवेश कर सकता, इसके लिये बाढ़ रूपी सुधारवादी शिक्षा की जरूरत है। राज्यसभा को संकीर्ण राजनीति से ऊपर माना जाता है।
राज्यसभा में मनोनीत सदस्यों के लिए नामांकन प्रक्रिया इस प्रकार होती है-
सरकार द्वारा भेजी गई सूची पर संविधान के अनुच्छेद- 80 के तहत राष्ट्रपति राज्यसभा के लिए सदस्यों को नामांकित करते हैं। राष्ट्रपति सचिवालय से नामांकन की प्रक्रिया शुरू होती है। इसके बाद इसे गृह मंत्रालय को नॉमिनेशन के लिए नोटिफिकेशन के लिए भेजा जाता है। इसके जरिए ये सुनिश्चित किया जाता है कि राज्यसभा में विभिन्न क्षेत्रों में असाधारण विशेषज्ञता और योगदान वाले सदस्य शामिल हों।
राज्यसभा में खाली 19 सीटों में से 11 पर उपचुनाव और 4 सदस्य होंगे मनोनीत
खाली सीटों में से 11 पर उपचुनाव कराए जाने हैं, जबकि 4 सदस्य राष्ट्रपति की ओर से मनोनीत किए जाएंगे। जम्मू-कश्मीर में विधानसभा गठन हो जाने के बाद ही वहां की खाली सीटों पर चुनाव कराया जा सकेगा।
राजनीतिक दल में शामिल होने के लिए 6 महीने का समय
संविधान के अनुच्छेद 99 के अनुसार, सदन में अपनी सीट लेने के बाद किसी राजनीतिक दल में शामिल होने के लिए मनोनीत सदस्य के पास 6 महीने का समय होता है। अगर वह ऐसा नहीं करते तो उन्हें इंडीपेंडेंट मान लिया जाता है।
राज्यसभा में मनोनीत सदस्यों के लिए योग्यता
- भारतीय नागरिक होना अनिवार्य।
- आयु कम से कम 30 साल हो।
भूमिका और विशेषाधिकार
- मनोनीत सदस्य भी संसद के निर्वाचित सदस्यों को मिलने वाली सभी शक्तियों, विशेषाधिकारों और सुविधाओं के अधिकारी होते हैं।
- वे सदन की कार्यवाही में भाग लेते हैं, हालांकि उन्हें भारत के राष्ट्रपति के चुनाव में वोट देने का अधिकार नहीं है।
- वे भारत के उपराष्ट्रपति के चुनाव में मतदान करने के हकदार हैं।
मनोनीत सदस्य वोटिंग कर सकते हैं-
- उपराष्ट्रपति के चुनाव में
- विधेयकों, प्रस्तावों और सदन के सामने आने वाले अन्य कार्यों पर मतदान करने का अधिकार है।
- राज्यसभा की कार्यवाही और बहस में सक्रिय रूप से भाग ले सकते हैं।
राज्यसभा के सभापति और उपसभापति कौन होते हैं?
भारत के उपराष्ट्रपति राज्यसभा के सभापति होते हैं। राज्यसभा के सदस्य अपने सदस्यों में से एक को उपसभापति के तौर पर चुनते हैं। अध्यक्ष की अनुपस्थिति में उपसभापति सदन की अध्यक्षता करते हैं।