Quantify Data Commission: सीजी में जातिगत गणना का डाटा लीक..! लोकसभा चुनाव से पहले गरमा सकता है जातिगत आरक्षण का मुद्दा
Quantify Data Commission: छत्तीसगढ़ में पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार द्वारा कराई गई जातिगत गणना का डाटा कथिततौर पर लीक हो गया है। इधर, कांग्रेस 14 महीने से राजभवन में लंबित पड़े आरक्षण संशोधन विधेयक को लेकर सरकार पर सवाल दागना शुरू कर दिया है।
Quantify Data Commission: रायपुर। प्रदेश में भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने राज्य में जातिगत गणना कराया था। इसके लिए तत्कालीन सरकार ने एक सदस्यीय आयोग का गठन किया था। आयोग अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप चुकी है, लेकिन सरकार ने यह रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं किया है। इस बीच कथिततौर पर आयोग की रिपोर्ट लीक हो गई है। इस रिपोर्ट के अनुसार राज्य में कुल एक करोड़ 25 लाख 7 हजार 169 ओबीसी हैं। इसमें साहू लोगों की जनंसख्या सबसे ज्यादा है। इनकी संख्या लगभग 30 लाख से अधिक है। दूसरे नंबर पर यादव हैं। यादवों की संख्या करीब साढ़े 22 लाख है। लगभग 12 लाख की आबादी वाले निषाद तीसरे, लगभग 9 लाख की आबादी वाले कुशवाहा चौथे नंबर पर हैं। वहीं, छत्तीसगढ़ के ओबीसी वर्ग में कुर्मियों की संख्या सवा आठ लाख से ज्यादा है।
आयोग की यह रिपोर्ट मीडिया में आते ही कांग्रेस को आरक्षण विधेयक की याद आ गई है। पीसीसी चीफ दीपक बैज ने कहा है कि भारतीय जनता पार्टी की बदनीयती के चलते ही पूर्ववर्ती सरकार द्वारा पारित 76 प्रतिशत आरक्षण विधेयक विगत 14 महीना से अधिक समय से राजभवन में लंबित है और प्रदेश को 76 प्रतिशत आरक्षण से वंचित रखा गया है। भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए 20 प्रतिशत से बढ़ाकर 32 प्रतिशत आरक्षण, अनुसूचित जाति के लिए उनकी आबादी के अनुरूप 13 प्रतिशत आरक्षण और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान उस नवीन आरक्षण विधेयक 2022 में किया है। सभी वर्गो के गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले ईडब्ल्यूएस के लिए भी 4 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था उस विधेयक में है। भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के षडयंत्र और दुर्भावना के चलते ही राजभवन की आड़ में आरक्षण विधेयक को लंबित रखा गया है, अब तो प्रदेश में तथाकथित डबल इंजन की सरकार है, राजभवन में लंबित छत्तीसगढ़ नवीन आरक्षण विधेयक पर अपनी स्थिती स्पष्ट करे विष्णुदेव साय सरकार।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा है कि भारतीय जनता पार्टी मूलतः सामाजिक न्याय की विरोधी है। विष्णुदेव साय सरकार यह नहीं चाहती की स्थानीय आबादी को उनका हक और अधिकार मिले। आरक्षण विरोधी भाजपाईयों के इशारे पर ही जन सरोकारों के महत्वपूर्ण, 76 प्रतिशत नवीन आरक्षण विधेयक को राजभवन में लंबित रखा गया है। सरकार बनते ही अडानी के मुनाफे के लिए तत्परता से हसदेव में जंगल कटवाने वाले भाजपाई, महामहिम से आरक्षण विधेयक का अनुमोदन करने की अपील करें, अन्यथा अपनी राजनैतिक पाखंड के लिए पौने तीन करोड़ छत्तीसगढ़िया जनता से माफी मांगे।
छत्तीसगढ़ नवीन आरक्षण विधेयक 2022 के संदर्भ में भारतीय जनता पार्टी से अपना रुख स्पष्ट करने की मांग करते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा है कि सामाजिक न्याय और आम छत्तीसगढ़िया जनता अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और सामान्य वर्ग के गरीबों के हक और अधिकार से संदर्भित महत्वपूर्ण नवीन आरक्षण विधेयक 2 दिसंबर 2022 से राजभवन में अनुमोदन के लिए आज तक लंबित है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय बताएं कि महामहिम से उक्त 76 प्रतिशत आरक्षण विधेयक पर शीघ्र हस्ताक्षर करने की अपील कब करेंगे?