नवजोत सिद्धू की होगी जेल से रिहाई: बाहर आने से पहले पंजाब कांग्रेस में मचा हलचल, इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुनाई थी सालभर के लिए सजा...
Navjot Singh Sidhu News : मुंबई I क्रिकेटर से पंजाब कांग्रेस नेता बने नवजोत सिंह सिद्धू की राजनीति नई करवट लेने जा रही हैं। पटियाला की केंद्रीय जेल में करीब 10 महीने बिताने के बाद कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू के शनिवार 1 अप्रैल को रिहा होने जा रहे हैं। 59 वर्षीय कांग्रेस नेता 1988 के रोड रेज के मामले में एक साल की सजा काट रहे हैं। आज सुबह उनके आधिकारिक अकाउंट से किए गए एक ट्वीट में बताया गया कि क्रिकेटर से नेता बने सिद्धू दोपहर को जेल के बाहर निकलने के बाद मीडिया को संबोधित करेंगे।
दरअसल, यह जानकारी सिद्धू के परिवारवालों और वकील ने शुक्रवार को दी। उन्हें "संबंधित अधिकारियों" द्वारा सूचित किया गया था कि उन्हें आज रिहा कर दिया जाएगा। लेकिन 'अच्छे व्यवहार' के कारण उन्हें जल्दी रिहा किया जा रहा है। वहीं सिद्धू परिवार के करीबी व कांग्रेस नेता नरिंदर पाल लाली ने बताया कि सिद्धू के स्वागत के लिए तैयारियां जोर-शोर से की जा रही हैं। लड्डुओं का ऑर्डर कर दिया है और शहर में जगह-जगह स्वागत में बैनर व फ्लैक्स लगाए जाएंगे। जगह-जगह गेट लगाकर उनका स्वागत किया जाएगा। पूरी-छोले, कड़ाह, दूध का लंगर लगाया जाएगा। लड्डू बांटे जाएंगे।
इस मामले में सजा काट रहे सिद्धू:- वर्ष 1988 के रोड रेज के मामले में 59 वर्षीय सिद्धू एक साल जेल की सजा काट रहे हैं। पंजाब कांग्रेस के पूर्व प्रमुख ने पटियाला की एक अदालत में आत्मसर्मण कर दिया था जिसके बाद उन्हें पिछले साल 20 मई को जेल भेज दिया गया। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें एक साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि अपर्याप्त सजा देने के लिए दिखाई गई कोई भी सहानुभूति न्याय प्रणाली को और अधिक नुकसान पहुंचाएगी और इससे कानून के प्रभाव के प्रति जनता के भरोसे पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा।
सिद्धू के रिहाई से पंजाब कांग्रेस में हलचल:- कांग्रेस का एक वर्ग जहां सिद्धू के जेल से आने का इंतजार कर रहा हैं तो एक वर्ग में खलबली हैं कि आखिर जेल से बाहर आने के बाद सिद्धू का क्या रुख रहेगा। क्योंकि कांग्रेस में आने के बाद सिद्धू ने सबसे ज्यादा टक्कर अपनी ही पार्टी से ली है। सिद्धू पहले कैप्टन के खिलाफ लड़े और बाद में वह पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के खिलाफ लड़ते रहे। जिसका सीधा फायदा आम आदमी पार्टी को मिला।