Municipal elections: चुनाव पर लगा ग्रहणः फरवरी से बोर्ड एग्जाम...अब मई से पहले नहीं हो पाएगा नगरीय और पंचायत चुनाव! होगी प्रशासकों की नियुक्ति
Municipal elections: नगरीय प्रशासन विभाग ने आज यूटर्न लेते हुए अचानक महापौर और नगर पंचायत अध्यक्षों का आरक्षण स्थगित करते हुए 7 जनवरी तक आगे बढ़ा दिया है। जाहिर है, अब तय हो गया है कि चुनाव लंबा टल जाएगा। नगरीय प्रशासन विभाग चुनाव के ऐलान से तीन दिन पहले यूटर्न क्यों लिया, इस पर सियासी प्रेक्षक भी हैरान हैं। जाहिर है, 30 दिसंबर को चुनाव का ऐलान होने वाला था। जीएडी ने आचार संहिता का सर्कुलर भी जारी कर दिया था।
Municipal elections: रायपुर। सरकार ने नगरीय निकायों में महापौर और अध्यक्ष के पद के लिए आरक्षण की प्रक्रिया 7 जनवरी तक के लिए स्थगित कर दी है। हालांकि, पिछले हफ्ते पंचायत विभाग ने पंचायतों का आरक्षण अचानक निरस्त कर दिया था और महापौर का पहले से अटका हुआ था, इसे देखते माना जा रहा था कि चुनाव अब टाल दिया गया है।
मगर पिछले तीन दिन में सिस्टम जिस तरह हरकत में आते हुए एक के बाद एक आदेश जारी हुए, उससे स्पष्ट हो गया था कि नगरीय निकाय चुनाव जनवरी एंड तक और पंचायत चुनाव फरवरी में संपन्न हो जाएंगे।
इस हिसाब से राज्य निर्वाचन आयोग ने भी तैयारी तेज कर दिया था। चूकि 30 दिसंबर को सुबह जिला पंचायतों के अध्यक्षों का आरक्षण किया जाना था, इसलिए संकेत था कि दोपहर बाद राज्य निर्वाचन आयोग चुनाव कार्यक्रम का ऐलान करने प्रेस कांफ्रेंस बुला सकता है।
जीएडी सिकरेट्री अविनाश चंपावत ने आचार संहिता का सर्कुलर जारी करते हुए कर्मचारियों, अधिकारियों के ट्रांसफर, छुट्टी को लेकर निर्देश जारी कर दिए थे। बहरहाल, आज दोपहर तक नगरीय प्रशासन विभाग कल मेयर और नगर पंचायत अध्य़क्षों के आरक्षण की तैयारी कर रहा था। मगर शाम पांच बजे अचानक खबर आ गई कि महापौर और नगर पंचायत अध्यक्षों का आरक्षण 7 जनवरी तक टाल दिया गया है।
जाहिर है, एक जनवरी से नई मतदाता सूची का काम प्रारंभ हो जाएगा। इसमें 15 से 20 दिन लगेंगे ही। इसके बाद फिर नए सिरे से फिर से आरक्षण कार्यक्रम जारी होगा। उसमें भी हफ्ते-दस दिन लगेगा। तब तक फरवरी आधा निकल जाएगा। फरवरी से दसवीं, बारहवीं की बोर्ड परीक्षा प्रारंभ हो जाएगी। इसके बाद मार्च से फिर कालेजों की परीक्षा। याने मई से पहले अब चुनाव संभव नहीं दिख रहा।
इधर, जनवरी में ज्यादातर नगरीय निकायों की निर्वाचित परिषद का कार्यकाल पूरा हो जाएगा। ऐसे में वहां चुनाव तक के लिए प्रशासकों की नियुक्ति की जाएगी।
बता दें कि राज्य सरकार की तरफ से महापौर और अध्यक्ष पद के आरक्षण के लिए 27 दिसंबर की तारीख तय की गई थी। पंचायतों के आरक्षण की प्रक्रिया पहले ही पूरी कर ली गई है। माना जा रहा था कि महापौर और अध्यक्ष पद के लिए आरक्षण की प्रक्रिया पूरी होते ही चुनाव का कार्यक्रम घोषित कर दिया जाएगा, लेकिन राज्य सरकार ने आज अचानक आरक्षण की प्रक्रिया को स्थगित कर दी है। आरक्षण के लिए नई तारीख 7 जनवरी तय की गई है।
आरक्षण की प्रक्रिया टलने के साथ चुनाव भी लंबा खींचने की संभावना जताई जा रही है। इसके पीछे सबसे बड़ी वजह मतदाता सूची को बताया जा रहा है। जानकारों के अनुसार 1 जनवरी के बाद आयोग को मतदाता सूची फिर से तैयार करनी पड़ेगा। नियमानुसार 1 जनवरी को 18 वर्ष की आयु पूरी करने वाले युवाओं का नाम जोड़ना पड़ेगा। इसके लिए मतदाता सूची का फिर से प्रकाशन करने के साथ दावा- आपत्ति आदि की प्रक्रिया पूरी करनी पड़ेगी। इसमें वक्त लग सकता है। वहीं, फरवरी से स्कूलों में परीक्षाएं शुरू हो जाएगी, जो मार्च तक चलेगी। इस दौरान शिक्षक और स्कूल भवन दोनों ही खाली नहीं रहेंगे। इसी वजह से कहा जा रहा है कि दोनों चुनाव अब अप्रैल के बाद ही होंगे।