Mla umesh patel biograohy in hindi: विधायक उमेश पटेल का जीवन परिचय...
Umesh patel biography in Hindi: खरसिया विधायक उमेश पटेल कांग्रेस की टिकट पर तीसरी बार विधायक चुने गए हैं। उन्होंने भाजपा प्रत्याशी महेश साहू को 21656 वोटों चुनाव हराया है। पहली बार वो 2013 में खरसिया से ही विधायक चुने गए थे। उमेश पटेल से पहले उनके पिता नंद कुमार पटेल खरसिया विधायक थे। वो कांग्रेस के दिग्गज विधायक होने के साथ ही प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भी रहे थे। 2013 में 25 मई को कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा में हुए नक्सली हमले में नंद कुमार पटेल व उमेश पटेल के बड़े भाई दिनेश पटेल की मौत हो गई थी। जिसके बाद उमेश पटेल ने अपने कार्पोरेट सेक्टर की नौकरी छोड़कर पिता की विरासत सम्हाली और खरसिया से विधायक चुने गए। 2018 में उन्होंने आईएएस से इस्तीफा देकर आए ओपी चौधरी को चुनाव हराया था और कांग्रेस सरकार में कैबिनेट मंत्री बने थे।
Mla umesh patel biograohy in hindi: खरसिया विधायक उमेश पटेल कांग्रेस की टिकट पर तीसरी बार विधायक चुने गए हैं। उन्होंने भाजपा प्रत्याशी महेश साहू को 21656 वोटों चुनाव हराया है। पहली बार वो 2013 में खरसिया से ही विधायक चुने गए थे। उमेश पटेल से पहले उनके पिता नंद कुमार पटेल खरसिया विधायक थे। वो कांग्रेस के दिग्गज विधायक होने के साथ ही प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भी रहे थे। 2013 में 25 मई को कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा में हुए नक्सली हमले में नंद कुमार पटेल व उमेश पटेल के बड़े भाई दिनेश पटेल की मौत हो गई थी। जिसके बाद उमेश पटेल ने अपने कार्पोरेट सेक्टर की नौकरी छोड़कर पिता की विरासत सम्हाली और खरसिया से विधायक चुने गए। 2018 में उन्होंने आईएएस से इस्तीफा देकर आए ओपी चौधरी को चुनाव हराया था और कांग्रेस सरकार में कैबिनेट मंत्री बने थे।
- पिता का नाम:- शहीद नंद कुमार पटेल
- जन्मतिथि:- 28 नवंबर 1983
- जन्म स्थान- ग्राम नंदेली तहसील व जिला रायगढ़
- शैक्षणिक योग्यता:- बीई आईटी ब्रांच
- व्यवसाय:- कृषि
- कुल संपत्ति-
- मोबाइल नंबर- 94077-00000
- स्थानीय पता- ड़ी-1/2, शासकीय आवासीय परिसर, देवेंद्र नगर रायपुर छतीसगढ़ 492001
- विवाह की तिथि:- 19 मई 2013
- पत्नी का नाम:- सुधा पटेल
- संतान- 1 पुत्री
- अभिरुचि:- अध्ययन एवं समाज सेवा
- विदेश यात्राएं:- यूएसए, बैंकाक
सार्वजनिक एवं राजनैतिक जीवन का परिचय
2013-2014 महासचिव छतीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी। 2013 में प्रथम बार खरसिया विधानसभा से विधायक हेतु निर्वाचित हुए फिर 2018 में दुबारा खरसिया विधायक बने। 2014-15 सदस्य, सरकारी उपक्रमों सम्बंधी समिति,पुस्तकालय समिति,महिलाओं एवं बालको के कल्याण संबंधी समिति, छतीसगढ़। 2015-16 में सदस्य प्रश्न एवं संदर्भ समिति,आचरण समिति, महिलाओं व बालकों के कल्याण समिति, छतीसगढ़ 2016-17 सदस्य प्राक्कलन संबंधी समिति, प्रत्यायुक्त विधानसमिति, छतीसगढ़ विधानसभा। 2017-2018 सदस्य गैर सरकारी सदस्यों के विधेयकों तथा संकल्पों संबंधी समिति,सदस्य सुविधा एवं सम्मान समिति छतीसगढ़ विधानसभा। 2018 मंत्री छतीसगढ़ शासन, उच्च शिक्षा ,कौशल विकास, तकनीकी शिक्षा एवं रोजगार,विज्ञान और प्रौद्योगिकी तथा खेल एवं युवा कल्याण मंत्री रहे।
उमेश पटेल पहले इंजीनियरिंग करने के बाद साफ्टवेयर इंजीनियर की नौकरी करते थे। फिर नौकरी छोड़ कर वे रायगढ़ जिले की खरसिया विधानसभा से विधायक बने हैं। खरसिया अनारक्षित सीट है। जिसे विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 18 के नाम से भी जाना जाता है।
खरसिया में कुल 187977 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। कांग्रेस के प्रत्याशी रहे उमेश पटेल को 100988 वोट मिले। वहीं भाजपा के प्रत्याशी रहे महेश साहू को 79332 वोट मिले। महेश साहू 21656 वोटो के अंतर से चुनाव हार गए। तीसरा स्थान आम आदमी पार्टी के प्रवीण विजय को मिला। उन्हें 2335 वोट मिले नोटों को 1726 वोट मिले। खरसिया में कुल आठ उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे थे।
खरसिया शुरू से कांग्रेस का गढ़ रहा है। यहां उमेश पटेल के पिता नंदकुमार पटेल कई बार विधायक निर्वाचित हुए थे। उमेश पटेल भी तीसरी बार विधायक निर्वाचित हुए हैं। यहां उमेश पटेल के पक्ष में चुनाव प्रचार करने राहुल गांधी पहुंचे थे। उन्होंने मोदी सरकार पर आदिवासियों की जमीन उद्योगपतियों को देने के आरोप लगाए थे। इस विधानसभा में हर क्षेत्र के मतदाताओं में उमेश पटेल की अच्छी पकड़ है। उनके साथ रणनीतिकारों के साथ ही जमीनी कार्यकर्ता और थिंक टैंक की टीम है। मंत्री बनने के बाद भी क्षेत्र के मतदाताओं से घर के सदस्यों जैसी बातचीत उमेश पटेल करते रहते थे। उमेश की शख्सियत और कांग्रेसी किले को देखते हुए भाजपा प्रत्याशी कमजोर साबित हुए।
वहीं भाजपा के प्रत्याशी महेश साहू कांग्रेस के गढ़ में अकेले पड़ गए थे। जिला भाजपा के नेता उनके साथ नहीं आए। साथ यहां भाजपा चुनाव के समय ही सक्रिय होती है। पिछले चुनाव में यहां से ओपी चौधरी ने चुनाव लड़ा था। इस बार प्रत्याशी बदल दिया गया। हर बार प्रत्याशी बदलने से भाजपा कार्यकर्ताओं में वह साथ ही प्रत्याशियों में भी उत्साह की कमी रहती है। जो चुनाव हारने के प्रमुख कारणों में से एक है।