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Malegaon ​Blast Case: मालेगांव ​ब्लास्ट मामले में बड़ा फैसला: 17 साल बाद साध्वी प्रज्ञा समेत सभी सात आरोपी बरी, देखें मालेगांव ब्लास्ट केस की पूरी टाइमलाइन

Malegaon Blast Case: नई दिल्ली: महाराष्ट्र के मालेगांव ब्लास्ट मामले में 17 साल बाद फैसला आ गया है। NIA की विशेष अदालत ने फैसला सुनाते हुए भोपाल की पूर्व सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर सहित सातों आरोपियों को बरी कर दिया है। वहीं पीड़ितों के वकील ने इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील करने की बात कही है।

मालेगांव ​ब्लास्ट मामले में बड़ा फैसला: 17 साल बाद साध्वी प्रज्ञा समेत सभी सात आरोपी बरी, देखें मालेगांव ब्लास्ट केस की पूरी टाइमलाइन
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By Chitrsen Sahu

Malegaon Blast Case: नई दिल्ली: महाराष्ट्र के मालेगांव ब्लास्ट मामले में 17 साल बाद फैसला आ गया है। NIA की विशेष अदालत ने फैसला सुनाते हुए भोपाल की पूर्व सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर सहित सातों आरोपियों को बरी कर दिया है। वहीं पीड़ितों के वकील ने इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील करने की बात कही है।

सातों आरोपी बरी

बता दें कि 29 सितंबर 2008 को महाराष्ट्र में मालेगांव में ब्लास्ट हुआ था। इस में ब्लास्ट 6 लोगों की मौत हो गई थी और 100 लोग घायल हुए थे। अब 17 साल बाद इस मामले में फैसला आ गया है। NIA की विशेष अदालत ने फैसला सुनाते हुए इस केस के सातों आरोपी पूर्व सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर, सुधाकर धर द्विवेदी, कर्नल प्रसाद पुरोहित, समीर कुलकर्णी, सिधारक चतुर्वेदी, अजय राहिकार और रमेश उपाध्याय को बरी कर दिया।

एटीएस ने की गिरफ्तारी की कार्रवाई

बता दें कि इस घटना की जब जांच की गई तो सामने आया कि मालेगांव के व्यस्त चौराहे पर एक बाइक पर बम लगा था, जिसके फटने से 6 लोगों की मौत हो गई और 100 लोग घायल हो गए। यह ब्लास्ट रमजान के महीने में मुस्लिम इलाके में हुआ था, इसलिए जांच एजेंसी ने इसे आतंकी हमला बताते हुए मामले की जांच एटीएस को सौंप दी थी। जिसके बाद एटीएस ने कार्रवाई करते हुए पूर्व सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर सहित कई लोगों को गिरफ्तार किया गया।

इस मामले में हुए थे गिरफ्तार

एटीएस ने साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को इसलिए गिरफ्तार किया था, क्योंकि जिस बाइक पर बम रखा गया था, वो बाइक साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर के नाम पर दर्ज थी। इसके बाद एटीएस ने भारतीय सेना के लेफ्टिनेंट कर्नल श्रीकांत पुरोहिक को विस्फोट का इंतजाम करने और उसे ट्रासप्लांट करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। जिसके बाद एटीएस ने जनवरी 2009 में अपनी पहली चार्जशीट दायर की, जिसमें साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर और भारतीय सेना के लेफ्टिनेंट कर्नल श्रीकांत पुरोहित को मुख्य साजिशकर्ता बताया गया था।

सभी जमानत पर आ गए थे बाहर

2011 में एक बार फिर से मामले की जांच NIA को सौंप दिया गया था। NIA ने जब इस मामले की जांच की तो कुछ सबूत तो मिले, लेकिन कुछ आरोप सही नहीं पाए गए। जिसके बाद महाराष्ट्र कंट्रोल ऑफ ऑर्गेनाइज्ड क्राइम एक्ट (MCOCA) के आरोपो को हटा दिया, लेकिन जांच जारी रखी। इस बीच 2017 में साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर सहित सभी को जमानत मिल गई।

पर्याप्त सबूत नहीं होने पर हुए बरी

इस मामले में फैसला 8 मई 2025 को होनी थी, लेकिन कोर्ट ने इसे 31 जुलाई तक के लिए सुरक्षित रख लिया था। NIA की विशेष अदालत के जज ने फैसला बढ़ते हुए कहा कि जो आरोप इनपर लगाए गए हैं, उसे साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं हैं। जिसके बाद सभी को बरी कर दिया गया। वहीं पीड़ितों के वकील ने इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील करने की बात कही है।


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