Loksabha Chunav 2024: चर्चा से पहले ही ईडी ने खत्म दावेदारी: लोकसभा टिकट की शर्त पर कांग्रेस से बीजेपी में आए थे अब क्या होगा...
Loksabha Chunav 2024: छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव के दौरान टिकट वितरण से नाराज तत्कालीन विधायक सहित कई नेताओं ने कांग्रेस छोड़कर बीजेपी और जनता कांग्रेस का दामन थाम लिया था। सरगुजा संभाग में दलबदल करने वाले एक तत्कालीन विधायक को सरगुजा से लोकसभा के टिकट की उम्मीद थी, लेकिन अब वे नए संकट में फंस गए हैं।
Loksabha Chunav 2024: रायपुर। देश में आम चुनाव की हलचल तेज हो गई है। राजनीतिक दल समीकरण बनाने के साथ ही प्रत्याशी चयन की प्रक्रिया में लग गए हैं तो दूसरी तरफ टिकट के दावेदार भी संगठन के आला नेताओं के चक्कर लगा रहे हैं। छत्तीसगढ़ में भी दोनों प्रमुख राष्ट्रीय राजनीतिक दलों ने लोकसभा चुनाव की तैयारी तेज कर दी है। कांग्रेस की प्रदेश चुनाव समिति की आज बैठक हुई, जिसमें राज्य की सभी 11 लोकसभा सीटों के लिए संभावित नामों पर विचार किया गया। उधर, भाजपा में भी प्रत्याशी चयन के लिए इंटरनल सर्वे की प्रक्रिया चल रही है।
इन सबके बीच प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की फिर से एंट्री हो गई है। बता दें कि राज्य में विधानसभा चुनाव के दौरान ईडी काफी सक्रिय थी। महादेव सट्टा एप को लेकर ईडी ने छापेमारी से लेकर गिरफ्तारी तक की। फिलहाल ईडी कोई छापेमारी या गिरफ्तारी नहीं कर रही है, लेकिन ईडी की वजह से लोकसभा टिकट के कुछ दावेदारों की चिंता बढ़ गई है। इनमें सरगुजा संभाग के एक बड़े विद्ववान नेता का नाम भी शामिल हैं। विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने इनका टिकट काट दिया तो नाराज होकर भाजपा में आ गए। सूत्र बता रहे हैं कि भाजपा प्रवेश के लिए उन्होंने सरगुजा लोकसभा सीट से टिकट की मांग रखी थी। बताया जा रहा है कि बीजेपी के शीर्ष नेताओं ने टिकट का पक्का वादा तो नहीं किया था, लेकिन नाम पर विचार करने और टिकट देने की हर संभव कोशिश करने की बात जरुर कही थी।
भाजपा के बड़े नेताओं के इस आश्वासन पर भाजप में आने के बाद लोकसभा चुनाव की तैयारी में लग गए थे, लेकिन एन वक्त पर ईडी ने उनका पूरा खोल बिगाड़ दिया। कोयला घोटला में हिस्सा लेने वालों में इनका भी नाम है। इनके नाम के आगे 5 लाख रुपये दर्ज है। इन नेताजी का नाम है चिंतामणी महाराज। चिंतामणी कांग्रेस की टिकट पर दो बार विधायक चुने गए। पहली बार 2013 में सरगुजा संभाग की लुंड्रा विधानसभा सीट से और दूसरी बार 2018 में सामरी सीट से विधायक चुने गए थे। 2023 में पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया तो वे भाजपा में शामिल हो गए।
दरअसल ईडी ने कोयला घोटला में एसीबी-ईओडब्ल्यू में एक एफआईआर दर्ज कराई है। 17 जनवरी 2024 को दर्ज यह रिपोर्ट 2 दिन पहले सार्वजनिक हुई है। एफआईआर में कोयला परिवहन में कैसे उगाही की गई और उसकी रकम किन-किन लोगों को बांटा गया इसका पूरा उल्लेख है। एफआईआर के अनुसार कोयला परिवहन घोटाला की रकम जिन लोगों तक पहुंचा उनमें कांग्रेस सरकार के 1 एक मंत्री व 7 विधायक शामिल हैं। इन 7 विधायकोमें चिंतामणी का भी नाम हैं। एफआईआर के अनुसार चिंतामणी को 5 लाख रुपये मिला था।
ऐसे में सियासी गलियारों में इस बात की चर्चा शुरू हो गई है कि नाम पर विचार करने से पहले ही चिंतामणी की दावेदारी खत्म हो गई है। वजह साफ है। एफआईआर में चिंतामणी का नाम है। ऐसे में भाजपा उन्हें टिकट देकर कांग्रेस को हमला करने का मौका नहीं देगी।
एफआईआर के अनुसार चिंतामणी के अलावा जशपुर सीट से तत्कालीन कांग्रेस विधायक यूडी मिंज को 50 हजार और भरतपुर-सोनहत सीट से विधायक रहे गुलाब कमरो को एक लाख रुपये मिला था। कांग्रेस विधायकों में सबसे ज्यादा रकम देवेंद्र यादव के नाम पर दर्ज है। यादव के नाम पर 3 करोड़ की इंट्री है। शिशुपाल सोरी के नाम पर एक करोड़ 10 लाख रुपये दर्ज है। कांग्रेस सरकार में मंत्री और सरगुजा संभाग की सीतापुर सीट से विधायक रहे अमरजीत भगत पर 50 लाख, बृहस्तप सिंह पर 10 लाख रुपये लेने का आरोप है।