अखिलेश अखिल
कांग्रेस में बदलाव की तैयारी चल रही है। कहा जा रहा है कि यह बदलाव न सिर्फ पार्टी को पुनर्जीवित करने के लिए है बल्कि आगामी लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर भी किया जा रहा है। दक्षिण भारत से मलिकार्जुन खड़गे की ताजपोशी अगर पार्टी अध्यक्ष पद पर हो जाती है तो संभव है कि पार्टी के वरिष्ठ नेता और उत्तर भारत यानी हिंदी पट्टी से आने वाले दिग्विजय सिंह को पार्टी संगठन महामंत्री बनाया जा सकता है। अभी संगठन महामंत्री के रूप में वेणुगोपाल कार्यरत हैं। सूत्रों से मिल रही जानकारी के मुताबिक़ वेणुगोपाल को मलिकार्जुन खड़गे की जगह राज्यसभा का नेता पार्टी नियुक्त कर सकती है। हालांकि राज्य सभा के नेता के दौर में पूर्व मंत्री पीए चिदंबरम भी हैं। पार्टी इस पर क्या निर्णय लेती है इस पर सबकी निगाहें लगी हुई है। बता दें कि अध्यक्ष पद के लिए नामांकन के बाद ही खड़गे ने राज्य सभा नेता प्रतिपक्ष के पद से इस्तीफा दे दिया है।
हालांकि नेता प्रतिपक्ष की दौर में दिग्विजय सिंह का नाम भी उछल रहा है और कहा जा रहा है कि सदन में दिग्विजय सिंह सरकार के सामने मजबूत उठा सकते हैं। उत्तरा भारत की राजनीति को दिग्विजय सिंह बेहतर तरीके से जानते हैं और बीजेपी की उत्तर भारतीय राजनीति को वे घेर सकते हैं। एक तर्क यह भी दिया जा रहा है कि खड़गे दक्षिण भारत से आते हैं और ऐसे में राज्य सभा नेता के रूप में किसी दक्षिण भारतीय नेता को बैठा कर कांग्रेस उत्तर भारत को मायूस नहीं कर सकती। ऐसे में चिदंबरम और वेणुगोपाल की जगह दिग्विजय सिंह के लिए यह राह आसान दिख रहा है।
लेकिन सूत्रों से जो जानकारी मिल रही है उसके मुताबिक़ बेणुगोपाल भी जल्द ही संगठन महासचिव के पद से इस्तीफा देने वाले हैं। कहा जा रहा है कि अगर दिग्विजय सिंह किसी कारण बस नेता प्रतिपक्ष नहीं बन पाते हैं तो उन्हें वेणुगोपाल की जगह लाया जा सकता है। कांग्रेस के लोग भी मानते हैं कि दिग्विजय सिंह की भूमिका राज्य सभा से ज्यादा संगठन में बेहतर हो सकती है। आगामी चुनाव के लिहाज से सिंह उत्तर भारत के संगठनात्मक कमियों को दूर कर सकते हैं। जहां अब तक बेणुगोपाल असफल रहे हैं वहाँ दिग्विजय सिंह सफल हो सकते हैं।
भारत जोड़ो यात्रा का पूरा रोड मैप दिग्विजय सिंह के नेतृत्व में ही बना है। वे लगातार राहुल गाँधी के साथ हैं। उनकी राहुल गाँधी से केमिस्ट्री भी खूब बैठ रही है और सोनिया गाँधी के साथ भी सिंह का बेहतर ताल मेल है। इसके साथ ही दिग्विजय सिंह खुद कांग्रेस और गाँधी परिवार के प्रति ज्यादा बफादार भी हैं और पार्टी को आगे बढ़ाने के लिए तत्पर भी हैं। ऐसे में संभावना अब इस बात की बढ़ गई है कि दिग्विजय सिंह को संगठन को मजबूत करने का दायित्व दिया जा सकता है। खबर मिल रही है कि पारी के भीतर भी इस पर सहमति बन गई है।
बता दें कि खड़गे कोई डेढ़ साल राज्यसभा में नेता विपक्ष रहे। उनसे पहले गुलाम नबी आजाद सात साल तक उच्च सदन में नेता विपक्ष रहे थे। आजाद के राज्यसभा से रिटायर होने के बाद खड़गे नेता बने थे। अब उनकी जगह नया नेता नियुक्त होना है। आमतौर पर माना जा रहा है कि दिग्विजय सिंह को राज्यसभा में नेता विपक्ष बनाया जाएगा। वे अध्यक्ष बनते बनते रह गए हैं। राहुल गांधी ने उनको भारत जोड़ो यात्रा के बीच दिल्ली भेजा था और उन्होंने नामांकन पत्र ले भी लिए थे। लेकिन ऐन मौके पर पार्टी की ओर से खड़गे का नाम आगे कर दिया गया।
हालांकि राज्य सभा नेता के दौर में चिदंबरम के अलावा प्रमोद तिवारी, मुकुल वासनिक और जयराम रमेश के नाम की भी चर्चा है। लेकिन चिदंबरम के साथ मुश्किल यह है कि वे दक्षिण भारत के हैं। पहले ही राष्ट्रीय अध्यक्ष और संगठन महामंत्री दोनों दक्षिण भारत के हो जाएंगे। लोकसभा में नेता का पद पश्चिम बंगाल के अधीर रंजन चौधरी के पास है। ऐसे में उत्तर भारत का प्रतिनिधित्व कहीं न कहीं देना जरूरी होगा। इस लिहाज से राज्यसभा में नेता विपक्ष का पद किसी उत्तर भारतीय नेता को ही मिलेगा। इस लिहाज से दिग्विजय का दावा मजबूत है। लेकिन राहुल गाँधी और खुद सोनिया गाँधी ने भी इशारा कर दिया है कि दिग्विजय सिंह की जरूरत संगठन में ज्यादा है। अगर ऐसा होता है तो पार्टी को मजबूती मिलेगी और आने वाले चुनाव में इसका असर भी देखने को मिल सकता है।