हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू का सफ़र : दूध बेचा और अख़बार भी, फिर पीसीओ भी चलाया और आज हासिल की हिमाचल के मुखिया की कुर्सी
एनपीजी न्यूज। हिमाचल प्रदेश के सीएम की कुर्सी एक ऐसे शख़्स ने हासिल की है जिसे राजनीति से गज़ब की मोहब्बत है। कॉलेज के दिनों में सुबह, छोटा शिमला बाजार में दूध और अखबार बेचने के बाद सुखविंदर सिंह सुक्खू कॉलेज जाते थे। वहां क्लास रिप्रेजेंटेटिव की ज़िम्मेदारी निभाते थे और राजनीति में आगे बढ़ने के ख्वाब संजोया करते थे। सुखविंदर सिंह सुक्खू चार बार विधायक बने। वे प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं लेकिन कभी प्रदेश सरकार में मंत्री नहीं रहे और अब लंबे जमीनी संघर्ष के बाद आज उन्होंने हिमाचल के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली है। उनके करीबी कहते हैं कि उनकी हिमाचल के सभी 68 विधानसभा क्षेत्रों में कार्यकर्ताओं के बीच अच्छी पकड़ है,वे आम आदमी हैं इसलिए आम आदमी की जरूरतें समझते भी हैं। आइए एक ड्राइवर पिता के मुख्यमंत्री बेटे 'सुखविंदर सुक्खू ' के जीवन और राजनीतिक सफ़र को करीब से जानते हैं।
परिवार
हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर ज़िले के नादौन तहसील के सेरा गाँव से ताल्लुक रखने वाले सुखविंदर सिंह सुक्खू का जन्म 26 मार्च 1964 को हुआ। साधारण परिवार में जन्मे सुखविंदर सिंह सुक्खू के पिता रसील सिंह हिमाचल पथ परिवहन निगम शिमला में ड्राइवर हुआ करते थे और उनकी माता संसार देवी गृहिणी। उनका परिवार पहले कसुम्पटी में रहता था, बाद में छोटा शिमला शिफ्ट हो गया। अपने चार भाई-बहनों में से सुखविंदर सिंह सुक्खू दूसरे नंबर पर हैं। उनके बड़े भाई राजीव सेना से रिटायर हैं।उनकी दो छोटी बहनों की शादी हो चुकी है। सवयं सुखविंदर सिंह सुक्खू की शादी 11 जून 1998 को कमलेश ठाकुर से हुई। उनकी दो बेटियां हैं जो दिल्ली विश्वविद्यालय से पढ़ाई कर रही हैं।
शिक्षा
सुखविंदर सिंह सुक्खू की प्रारंभिक शिक्षा नादौन में हुई। इसके बाद उन्होंने हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला से आगे की पढ़ाई की। उन्होंने शिमला विश्वविद्यालय से एमए और एलएलबी की डिग्री हासिल की है।
राजनीति का सफ़र शुरू हुआ काॅलेज से
58 वर्षीय सुक्खू हिमाचल कांग्रेस का ऐसा चेहरा हैं, जिन्होंने युवा उम्र से ही कांग्रेस के अलग-अलग पदों पर काम किया है।
अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कांग्रेस के छात्र विंग एनएसयूआई से की।यहाँ वह शिमला के संजौली कॉलेज में क्लास रिप्रेजेंटेटिव और स्टूडेंट सेंट्रल एसोसिएशन के महासचिव चुने गए। यहाँ उन्होंने युवा छात्रों के बीच अपनी जबर्दस्त पकड़ बनाई।उसके बाद वह धीरे-धीरे एक मज़बूत युवा नेता के रूप में उभरे।
सुक्खू ने 1988 में एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष का पद सँभाला। इसके बाद 1995 में उनको, युवा कांग्रेस के प्रदेश महासचिव की कमान मिली। सुखविंदर सिंह सुक्खू ने छात्र राजनीति में ही अपनी पकड़ इतनी मज़बूत कर ली थी कि 1998 से 2008 तक लगातार दस साल, युवा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रहे।अपने राजनीतिक करियर के दौरान ही वो दो बार शिमला नगर निगम के पार्षद भी बने।
2003 में उन्होंने अपना पहला विधानसभा चुनाव लड़ा और पहली बार में ही हिमाचल प्रदेश विधानसभा पहुँच गए । इसके बाद 2007 में वे दोबारा जीते।2008 में वे प्रदेश कांग्रेस के महासचिव बने। 2012 विधानसभा चुनाव में उनको पहली हार मिली। उन्होंने आठ जनवरी 2013 को हिमाचल प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष पद संभाला। इसके बाद 2017 और अब 2022 में भी वे नादौन विधानसभा क्षेत्र से चौथी बार विधायक चुने गए।
कैसी है उनके बारे में लोगों की राय
सुक्खू के जानने वाले बताते हैं कि सुक्खू जब पार्षद थे, उस दौरान भी वे छोटा शिमला में तिब्बतियन स्कूल के समीप बाबूराम मार्केट में पीसीओ चलाते थे। उस दौरान पंडित सुखराम शर्मा केंद्र में दूरसंचार मंत्री थे। सुक्खू हरेक से मिलते- जुलते। उनकी ख़ायिसत ही है कि वे सबका ध्यान रखते। उनकी ज़मीनी पकड़ हमेशा लोगों के बीच काफ़ी मज़बूत रही। लीडरशिप क्वॉलिटी कमाल की थी। वे हमेशा अपनी बात बड़ी बेबाकी से रखते। संघर्षशील और मेहनती तो थे ही तो आज सीएम की कुर्सी पर पहुंचना कोई आश्चर्य की बात नहीं है। प्रदेश को उनके सीएम बनने से ज़रूर फायदा होगा।