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Dr. Charan Das Mahant: किस्‍मत के धनी डॉ. महंत: सत्‍ता से संगठन तक रहे शिखर पर, केंद्र व राज्‍य में मंत्री, विधानसभा अध्‍यक्ष, पीसीसी चीफ और अब सीएलपी

Dr. Charan Das Mahant: डॉ. चरणदास महंत न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि अविभाजित मध्‍य प्रदेश और देश की राजनीति में एक बेहद जाना पहचाना नाम है। महंत पांचवीं बार विधायक चुने गए हैं। इससे पहले वे तीन बार सांसद रह चुके हैं। सियासत के मैदान में डॉ. महंत किस्‍मत के धनी माने जात हैं।

Dr. Charan Das Mahant: किस्‍मत के धनी डॉ. महंत: सत्‍ता से संगठन तक रहे शिखर पर, केंद्र व राज्‍य में मंत्री, विधानसभा अध्‍यक्ष, पीसीसी चीफ और अब सीएलपी
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By Sanjeet Kumar

Dr. Charan Das Mahant: रायपुर। डॉ. चरणदास महंत, सियासी मैदान में यूं ही किस्‍मत के धनी नहीं माने जाते हैं। इसके पीछे कई बड़ी वजह है। डॉ. महंत को राजनीति पिता से विरासत में मिली है। डॉ. महंत ने सत्‍ता और संगठन के कई शीर्ष पदों पर काम किया है। सक्‍ती से विधायक चुने गए डॉ. महंत पांचवीं बार विधानसभा पहुंचे है। तीन बार वे सांसद भी रह चुके हैं। डॉ. महंत उस दौर में सांसद चुने गए जब छत्‍तीगसढ़ में एक तरफा भगवा लहर चल रही थी।इस लहर में भाजपा 11 में 10 लोकसभा सीट जीती, कांग्रेस से एक मात्र महंत ही थे, जिन्‍होंने जीत दर्ज की।

डॉ. महंत के चुनावी राजनीति की शुरुआत 1980 के विधानसभा चुनाव से हुई। डॉ. महंत 1980 में अविभाजित मध्‍य प्रदेश में विधायक चुने गए है। इसके बाद वे एक के बाद एक लगातार तीन बार विधानसभा चुनाव जीत गए। एक दौर वह भी आया जब अविभाजित मध्‍य प्रदेश के मुख्‍यमंत्री दिग्‍विजय सिंह (दिग्गी राजा) को महंत की वजह से अपनी कुर्सी खतरे में नजर आने लगी। ऐसे में दिग्गी राजा ने विधायक रहते उन्‍हें लोकसभा का चुनाव लड़ने पर मजबूर कर दिया था, लेकन डॉ. महंत लोकसभा का चुनाव जीत गए।

डॉ. महंत के सांसद बनने का किस्‍सा बड़ा रोचक है। हुआ यूं कि अविभाजित मध्‍य प्रदेश के दौर में डॉ. महंत 1985 में लगातार दूसरी बार विधायक चुने गए। लगातार दूसरी बार के विधायक डॉ. महंत को दिग्गी राजा 1988 में कृषि राज्‍य मंत्री बनाया। राज्‍य मंत्री के रुप में उनका यह कार्यकाल लगभग एक वर्ष का रहा। 1993 में हुए विधानसभा चुनाव में डॉ. महंत जब लगातार तीसरी बार जीत कर विधानसभा पहुंचे तो वाणिज्यिक कर विभाग का राज्‍य मंत्री (स्‍वतंत्र प्रभार) बना दिया। 1995 में डॉ. महंत कैबिनट मंत्री बन गए, वह भी गृह और जनसंपर्क जैसा महत्‍वपूर्ण विभाग उनके पास था। किसी भी सरकार में गृह मंत्री का पद सीएम के बाद दूसरा महत्‍वपूर्ण पद माना जाता है। बताते हैं कि गृह मंत्री के रुप में डॉ. महंत लोकप्रिय हो गए। इस बीच पार्टी ने उन्‍हें लोकसभा के मैदान में उतार दिया। कहा जाता है कि दिग्‍गी राजा कहने पर डॉ. महंत को लोक सभा का टिकट दिया गया था चूंकि महंत ओबीसी वर्ग से आते हैं और बड़ी तेजी से उनका कद बढ़ रहा था इससे दिग्‍गी राजा को खतरा महसूस होने लगा था। बहरहाल डॉ. महंत लोकसभा का चुनाव जीतकर 12वीं लोकसभा के सदस्‍य बन गए। 1999 में वे फिर लोकसभा का चुनाव लड़े और इस बार भी जीत गए। 2009 के लोकसभा चुनाव में डॉ. महंत फिर सांसद चुने गए। इस बार उन्‍हें केंद्र की डॉ. मनमोहन सिंह की सरकार में कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण उद्योग का राज्यमंत्री बनाया गया।

इस बीच 2000 में छत्‍तीसगढ़ अलग राज्‍य बना। प्रदेश में बहुमत के आधार पर कांग्रेस की सरकार बनी, लेकिन 2003 में कांग्रेस हार गई। ऐसे में 2004 में डॉ. महंत को प्रदेश कांग्रेस का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया। 2006 में वे पीसीसी चीफ बनाए गए। 2008 के विधानसभा चुनाव से पहले फिर प्रदेश कांग्रेस का समीकरण बदला और महंत को फिर से कार्यकारी अध्यक्ष की जिम्‍मेदारी पार्टी ने सौंप दी। 2013 में वे फिर से प्रदेश कांग्रेस अध्‍यक्ष बनाए गए और 2018 के विधानसभा चुनाव के दौरान चुनाव प्रचार अभियान समिति के अध्‍यक्ष रहे। 2018 में सक्‍ती सीट से विधानसभा चुनाव जीतकर पहुंचे तो उन्‍हें मुख्‍यमंत्री पद का प्रमख दावेदार माना जाने लगा, लेकिन डॉ. महंत विधानसभा अध्‍यक्ष बन गए। अब वे नेता प्रतपक्ष बनाए गए हैं।

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Sanjeet Kumar

संजीत कुमार: छत्‍तीसगढ़ में 23 वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय। उत्‍कृष्‍ट संसदीय रिपोर्टिंग के लिए 2018 में छत्‍तीसगढ़ विधानसभा से पुरस्‍कृत। सांध्‍य दैनिक अग्रदूत से पत्रकारिता की शुरुआत करने के बाद हरिभूमि, पत्रिका और नईदुनिया में सिटी चीफ और स्‍टेट ब्‍यूरो चीफ के पद पर काम किया। वर्तमान में NPG.News में कार्यरत। पंड़‍ित रविशंकर विवि से लोक प्रशासन में एमए और पत्रकारिता (बीजेएमसी) की डिग्री।

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