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Congress: कांग्रेस में खुली जंग: पहले निष्कासन की राजनीति और अब गिरेबां में झांकने वाली बात आने लगी सामने

Congress: नगरीय निकाय चुनाव के बाद से छत्तीसगढ़ के न्यायधानी कहे जाने वाले बिलासपुर में कांग्रेस की गुटीय राजनीति अब सतह पर आ गई है। जिला व शहर कांग्रेस कमेटी ने जिस अंदाज में ताबड़तोड़ बेलगाम कांग्रेसजनों पर कार्रवाई की है,इससे प्रदेश की कांग्रेसी राजनीति में गर्माहट की आंच आने लगी है। अटकलबाजी और चर्चा के बीच यह बात भी कही जा रही है कि आखिर ऐसी क्या बात हो गई कि संगठन सीधे आक्रमक भूमिका में नजर आने लगा है। निष्कासन की राजनीति अभी ठंडी भी नहीं हुई कि अब बात गिरेबां में झांकने तक आ पहुंची है। पढ़िए जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष विजय केशरवानी ने कोटा के विधायक व पूर्व सीएम व अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव भूपेश बघेल के करीबी अटल श्रीवास्तव को चुनौती के साथ क्या समझाइश दी है।

Congress: कांग्रेस में खुली जंग: पहले निष्कासन की राजनीति और अब गिरेबां में झांकने वाली बात आने लगी सामने
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By Radhakishan Sharma

Congress: बिलासपुर। नगरीय निकाय चुनाव के दौरान टिकट वितरण से लेकर मतदान और मतगणना के दौरान ऐसी क्या घटी कि जिला व शहर कांग्रेस कमेटी सीधेतौर पर आक्रामक भूमिका में नजर आने लगी है। ऐसा इसलिए कि भितरघातियों के अलावा सीधेतौर पर बगावत करने वाले 60 लोगों को छह साल के लिए पार्टी से निकाल बाहर कर दिया है। 55 लोगों को बाहर निकालने से सियासी बवाल नहीं मचा। तकरार तो तब देखने में आया जब जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष विजय केशरवानी व शहर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष विजय पांडेय ने कोटा के विधायक अटल श्रीवास्तव को अनुशासनहीनता के आरोप में निष्कासित करने की मांग करते हुए पीसीसी के चेयरमैन दीपक बैज को पत्र लिख दिया।

संगठन के इस निर्णय के चलते बीते दाे दिनों तक प्रदेश में यह बहस का मुद्दा भी बना रहा। विवाद की स्थिति ना बने और बड़े नेता आपस में धड़ों में ना बंट जाए,इसे देखते हुए पीसीसी ने पूर्व विधायक धनेंद्र साहू की अगुवाई में तीन सदस्यीय फैक्ट फाइंडिंग कमेटी का गठन कर दिया है। फैक्ट फाइंडिंग कमेटी विधायक श्रीवास्तव के अलावा पीसीसी के प्रवक्त अभयनारायण राय, पीसीसी सचिव त्रिलोक श्रीवास व महिला कांग्रेस की प्रदेश महासचिव सीमा पांडेय के मामले की जांच करेगी। फाइंडिंग कमेटी के बनने के साथ ही बयानबाजी का दौर भी शुरू हो गया है। विधायक अटल श्रीवास्तव ने नगरीय निकाय चुनाव के दौर का मुद्दा एक बार फिर उछाल दिया है। टिकट वितरण से लेकर बी फार्म बदलने जैसे संवेदनशील मुद्दा उठा दिया है। अटल यहीं चुप नहीं रहे शहर व जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्षों को बेलगाम तक कह दिया। जब इतना सब बोल ही लिए तो तीखी प्रतिक्रिया तो भी सामने आनी ही थी। लिहाजा उसी अंदाज में सियासी रिएक्शन भी सामने आया है।

विजय बोले, अटल जिम्मेदार इसका तो एहसास होना ही चाहिए

विधायक के बोल पर जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष विजय केशरवानी का अंदाज भी कुछ ऐसा ही नजर आने लगा है। अटल की तरफ इशारा करते हुए बोले उन्हें इस बात का एहसास तो होना ही चाहिए कि वे कोटा विधानसभा के विधायक हैं। फिर बात अपनी तरफ झांकने की आ गई। विजय ने कहा कि विधायक को पहले अपने निर्वाचन क्षेत्र कोटा में कांग्रेस की स्थिति को संज्ञान में लेना चाहिए। उनके विधायक रहते कोटा विधानसभा के अन्तर्गत आने वाले तीन नगर पालिका एवं एक नगर पंचायत में कांग्रेस की पराजय हुई है। रतनपुर नगर पालिका अध्यक्ष में कांग्रेस चौथे स्थान पर रही है । गौरेला नगर पालिका में कांग्रेस अध्यक्ष तीसरे स्थान पर, कोटा नगर पंचायत में स्थिति बदतर हो गई है। पेंड्रा नगर पालिका में कांग्रेस निर्दलीय प्रत्याशी से कांग्रेस उम्मीदवार को पराजय झेलना पड़ा है। कोटा विधानसभा क्षेत्र के नगरीय निकायों में 60 वार्डो में मात्र 18 वार्ड में कांग्रेस के पार्षद जीतकर आये है। आंकड़ों के साथ ही विजय केशरवानी ने सवाल उछाला और पूछा कि इस परिणाम के लिए विधायक जी किसको दोषी मानंगे और किस पर असफलता का ठिकरा फोड़ेंगे।

शहर अध्यक्ष की रहस्यमय चुप्पी

कांग्रेस में छिड़ी जुबानी जंग के बीच शहर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष विजय पांडेय की रहस्यमय चुप्पी को लेकर कांग्रेसी हलकों में ही अचरज से देखा जा रहा है। कांग्रेस के दिग्गज नेता से लेकर कार्यकर्ताओं के बीच भी शहर अध्यक्ष के पद पर उनकी ताजपोशी के दिनों की याद भी ताजी कर रहे हैं। चचा्र हो रही है कि शहर अध्यक्ष के पद पर उनकी ताजपोशी के पीछे पूर्व सीएम बघेल के करीबियों की रजामंदी रही है। उनकी सहमति और रजामंदी के बाद ही उनको अध्यक्ष की कुर्सी सौंपी गई है। बदली राजनीति परिस्थितयों में उनके पाला बदलने या निष्ठा बदलने की चर्चा भी जोर पकड़ने लगी है। कोटा विधायक के खिलाफ अनुशासनहीनता की कार्रवाई वाले अनुशंसा पत्र में शहर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष विजय पांडेय के हस्ताक्षर को देखकर सबसे ज्यादा अचरज पूर्व सीएम के करीबियों और उनके समर्थकों को ही हुई थी। उनके लिए यह झटके से कम नहीं था।



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