रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज बलरामपुर-रामानुजगंज के तातापानी स्थित तपेश्वर महादेव मंदिर में महादेव की पूजा- अर्चना कर प्रदेशवासियों की समृद्धि और खुशहाली का आशीर्वाद मांगा । मुख्यमंत्री ने मंदिर परिसर स्थित द्वादश ज्योतिर्लिंग के प्रदक्षिणा करने के पश्चात तपेश्वर महादेव के विशाल प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर नमन किया।
मुख्यमंत्री बघेल मकर संक्रांति पर सक्रांति परब तातापानी महोत्सव के शुभारंभ अवसर पर तातापानी पहुंचे थे।
पतंगबाजी का लिया आनन्द - मुख्यमंत्री ने इस दौरान स्वामी आत्मानन्द स्कूल के बच्चों के साथ मांझा थाम कर पतंगबाजी का आनन्द लिया। उन्होंने कहा कि करीब 14 वर्ष बाद मांझा थामा है । पतंग उड़ाने की एक अलग ही अनुभूति होती है।
चारपाई में बैठकर तिलकुट का उठाया लुत्फ- मुख्यमंत्री ने मंदिर प्रांगण में चार पाई पर बैठकर तिलकुट और तिल के लड्डू का लुत्फ उठाया । ऐसी मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन स्नान, दान के साथ तिलकुट व तिल के लड्डू खाये जाते हैं ।
तपेश्वर महादेव की विशाल प्रतिमा के समक्ष खिंचवाई फोटो - मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री एवं विधायकों के साथ फोटो खिंचवाई ।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने तातापानी महोत्सव में अपने सम्बोधन में कहा कि आप सभी प्रदेशवासियों को मकर-संक्रांति और तातापानी महोत्सव की बहुत-बहुत बधाई। आज 1707 विकास कार्यों के लोकार्पण शिलान्यास के लिए सभी को बधाई।
तातापानी में पांच दशक से भी ज्यादा समय से हर साल आयोजित होने वाले तातापानी महोत्सव की आज से भव्य शुरूआत हो रही है। यह महोत्सव बलरामपुर-रामानुजगंज जिले का गौरव है। साथ ही साथ पूरे छत्तीसगढ़ का गौरव भी है।
मुख्यमंत्री ने तातापानी को राम वनगमन पर्यटन परिपथ से जोड़ने की घोषणा की। इस समय पूरे प्रदेश में धान खरीदी का काम बहुत जोर-शोर से चल रहा है। अब तक प्रदेश में 97 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी की जा चुकी है। इसके एवज में इस वर्ष अभी तक 20 हजार करोड़ रुपए का भुगतान कर चुके हैं।
2023 को हमने मिलेट मिशन वर्ष घोषित किया है। पिछड़ी जनजातियों ने मेरा सम्मान किया, मैं उनका धन्यवाद करता हूं।
आज मुख्यमंत्री भूपेश बघेल विधानसभा पाली-तानाखार के प्राचीनतम महादेव के मंदिर पहुंचे थे। मुख्यमंत्री ने कहा यह महादेव मंदिर ना केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है बल्कि अनेकता में अखंडता का संदेश भी दे रहा है। छत्तीसगढ़ की संस्कृति धनाढ्य है जिसका जीवित उदाहरण पाली में स्थापित यह महादेव मंदिर है। द्वार शाखा पर उत्कीर्ण एक अभिलेख के अनुसार इस मंदिर का निर्माण बाण राजवंश के राजा विक्रमादित्य ने 870-900 ई. पूर्व के मध्य कराया था। इस मंदिर का जीर्णोद्धार लगभग 200 वर्षों के पश्चात रतनपुर के कलचुरी राजा जाजल्लदेव द्वारा करवाया गया। लगभग 3 फीट ऊंचे चबूतरे पर निर्मित यह मंदिर उत्तर भारतीय नागर शैली का प्रतिनिधित्व करता है। गर्भगृह की बाह्य दीवारों पर भद्र रथ में व्दि तलीय कुलिकाओं का समायोजन किया गया है। मंदिर के गर्भगृह का प्रवेश द्वार त्रिशाखा प्रकार का एवं विभिन्न अभिप्राय से सुसज्जित है। गर्भ ग्रह में शिवलिंग स्थापित है जिसके बाह्य भित्तियों पर उत्कीर्ण देव प्रतिमाओं में नटराज, वायुमुंडा, सूर्य,शिव वाहिनी दुर्गा एवं सरस्वती उल्लेखनीय है। गर्भगृह के सामने अष्टकोण मंडप है।
स्थापत्य की दृष्टि से संभवतः यह स्थापतियों का दक्षिण कौशल क्षेत्र में एक नया प्रयोग था, को की अष्टकोणीय आकार के मंडप तत्कालीन समय में इस क्षेत्र में प्रस्तुत नहीं थे। मंडप के उत्तरी व दक्षिणी ओर वतायन है, साथ ही उत्तर की ओर एक अतिरिक्त प्रवेश द्वार की हैह मंडप की अंतः भित्तियों पर शैवाचार्यों एवं धर्मावलंबियों को विभिन्न मुद्राओं और क्रियाकलापों में व्यस्त दिखाए गया है, जोया प्रमाणित करता है कि तत्कालीन समय में यह क्षेत्र शैव संप्रदाय का बड़ा केंद्र था। यह मंदिर 22 एकड़ में फैले नौकोनिया तलाब के समीप स्थित है जिसके चलते इसका दृश्य और भी मनोरम दिखता है। प्रत्येक वर्ष माघ मास में पाली में आयोजित होने वाले मेले के दौरान काफी संख्या में पर्यटक मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं।
इस अवसर पर स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ प्रेमसाय सिंह टेकाम, संसदीय सचिव व सामरी विधायक चिन्तामणी महाराज, सरगुज़ा विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष वृहस्पत सिंह,अपेक्स बैंक के संचालक अजय बंसल कलेक्टर विजय दयाराम के,पुलिस अधीक्षक मोहित गर्ग सहित अन्य स्थानीय जनप्रतिनिधि एवं अधिकारी उपस्थित थे।