CM भूपेश की सौगात: नवगठित सक्ती जिला आध्यात्मिक शक्ति के साथ अब प्रशासनिक शक्ति का केन्द्र भी बनेगा
सक्ती। धार्मिक और आध्यात्मिक शक्ति के केन्द्र के रूप में स्थापित सक्ती जिला अब प्रशासनिक शक्ति के केन्द्र के रूप में उभरने जा रहा है। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने 15 अगस्त 2021 सक्ती को एक नये जिले के रूप में गठन की घोषणा की थी। यह घोषणा आज 9 सितम्बर को मूर्त रूप लेने जा रही है। सक्ती जिले के गठन के लिए प्रकाशित की गई अधिसूचना में जांजगीर-चांपा के उपखंड सक्ती, डभरा एवं मालखरौदा तथा तहसील सक्ती, मालखरौदा, जैजैपुर, बाराद्वार, डभरा तथा अड़भार को शामिल करते हुए नवीन जिला ''सक्ती'' का सृजन किया गया है। यह छत्तीसगढ़ का 33वां जिला होगा।
सक्ती जिले के नामकरण के संबंध में किवदंती है कि यह क्षेत्र सम्बलपुर राजघराने के अधीन था। किवदंती के अनुसार यहां के गोंड राजाओं ने दशहरे के दिन लकड़ी के तलवार से भैंसों का वध कर शक्ति का प्रदर्शन किया। किवदंती के अनुसार यहां की भूमि शक्ति से ओतप्रोत है और बाद में इसे 'सक्ती' के रूप में कहा जाने लगा है। इस प्रदर्शन से सम्बलपुर के राजा द्वारा प्रसन्न होकर इसे एक स्वतंत्र रियासत का दर्जा दिया गया। सक्ती रियासत छत्तीसगढ़ के प्रमुख गढ़ में से एक है। मध्यप्रदेश के जमाने में यह सबसे छोटी रियासत थी। मध्यप्रदेश से अलग होकर छत्तीसगढ़ बनने के लगभग 22 वर्ष पश्चात इस क्षेत्र को एक नये जिले के रूप में पहचान मिलने जा रहा है।
सक्ती जिला जल संसाधन की दृष्टि से समृद्ध है। यहां महानदी, सोन और बोरई प्रमुख नदियां है। इस जिले की जलवायु खेती-किसानी के लिए उपयुक्त है। यहां लगभग 94 प्रतिशत भूमि सिंचित है। जो राज्य के अन्य जिलों से काफी अधिक है। यहां मुख्य रूप से धान की फसल ली जाती है इसके अलावा यहां गेहूं, चना, अरहर, मूंग आदि की फसल भी होती है। मिनी माता बांगो बांध से निकाली गई नहर से पूरे क्षेत्र में सिंचाई होती है। सक्ती और आसपास का क्षेत्र द्विफसलीय क्षेत्र बन गया है। पूरे अंचल में भरपूर सिंचाई सुविधा उपलब्ध होने के कारण यहां के किसान उद्यानिकी फसलों के साथ-साथ मसालों की खेती की की ओर भी तेजी से अग्रसर हो रहे है।
सक्ती जिला खनिज संसाधन से भी परिपूर्ण है। यहां डोलोमाइट भरपूर भंडार है। इसमें देश के 'डोलामाइट हब' के रूप में उभरने की व्यापक संभावनाएं हैं। यहां उत्पादित डोलोमाइट खनिज का उपयोग भिलाई, राउरकेला और दुर्गापुर स्टील प्लांट के साथ-साथ देश के विभिन्न हिस्सों में स्थापित स्टील प्लांटों में किया जाता है। हाल में ही छत्तीसगढ़ डेवलपमेंट कार्पोरेशन द्वारा 460 हेक्टेयर जमीन डोलोमाइट खदान के लिए स्वीकृति मांगी गई है। वर्तमान में यहां 16 खदानों का संचालन किया जा रहा है तथा 15 खदानें खनन अनुमति के लिए प्रक्रियाधीन है। यहां सूक्ष्म मात्रा में लाइम स्टोन और नदियों के किनारे रेत का भी उत्खनन होता है।
सक्ती जिले के आध्यात्मिक और धार्मिक स्थलों में अड़भार का मुख्य स्थान है। यहां अष्टभुजी देवी की मूर्ति विराजमान है। यहां दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं। नवरात्रि में यहां आने वाले श्रद्धालुओं का मेला लगा रहता है। देवी की आराधना के लिए यहां अन्य प्रदेशों से भी श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा रहता है। यह स्थान छत्तीसगढ़ के प्रमुख शक्तिपीठों में से एक है। यहां आने पर श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक शक्ति का अहसास होता है। इसीलिए यह स्थान दूर-दूर तक प्रसिद्ध है। अष्टभुजी की आदमकद प्रतिमा का सौंदर्य विलक्षण है।
कलकत्ता की काली माता की तरह अड़भार की अष्टभुजी की दक्षिणमुखी प्रतिमा है। अष्टभुजी मंदिर और इस नगर के चारों ओर विशाल दरवाजों के वजह से इसका प्राचीन नाम अष्टद्वार था, जो बाद में अपभ्रंश के कारण अड़भार हो गया। इसी तरह धार्मिक पर्यटन स्थलों में चंद्रहासिनी देवी का मंदिर भी विशिष्ट है। इसके अलावा रेनखोल और दमउदरहा जैसे मनोरम पर्यटन स्थल है। सक्ती रेलवे स्टेशन से लगभग 14 मील दूर गुंजी नामक गांव है, जहां प्राचीन शिलालेख मिलता है, जो पाली भाषा में लिखा गया है और संभवतः है प्रथम शताब्दी का है। महाभारत काल में इस स्थान का उल्लेख ऋषभ तीर्थ के रूप में मिलता है।
जिला मुख्यालय सक्ती बम्बई-हावड़ा मुख्य रेल लाइन पर स्थित है। यह व्यापार और वाणिज्य का केन्द्र भी है। यहां कृषि और खनिज आधारित अनेक उद्योगों की भरपूर संभावना है। यहां दो पावर प्लांट, राइस मिल, कृषि उपकरण के उद्योग सहित कोसा वस्त्रों की बुनाई का काम भी किया जाता है। जिला बनने के साथ ही यहां के आद्योगिक और व्यापारिक गतिविधियों में तेजी आएगी। वहीं लोगों को कई प्रकार की प्रशासनिक सुविधा मिलेगी। प्रशासनिक विकेन्द्रीकरण से जहां शासकीय कार्यक्रमों और योजनाओं का लाभ लोगों को आसानी से मिलेगा। वहीं लोगों की आकांक्षाओं के अनुरूप यहां का विकास होगा।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सक्ती को जिला बनाकर यहां के लोगों को बड़ी सौगात दी।
भूपेश बघेल प्रदेशवासियों को पिछले सप्ताह 3 नए जिलों की सौगात देने के बाद 9 सितम्बर को 2 नए जिलों का शुभारम्भ करने जा रहे हैं। मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर 32वें और सक्ती 33वें जिला के रूप में अस्तित्व में आएंगे। इस तरह प्रदेश में जिलों की संख्या बढ़ कर 33 हो जायेगी। दोनों नए जिलों के गठन से इन क्षेत्रों के वर्षों पुरानी मांग पूरी होने जा रही है। नए जिले के गठन से न केवल शासकीय कार्यक्रमों का बेहतर क्रियान्वयन होगा बल्कि लोगों को कई प्रकार की सार्वजनिक सुविधाएं भी मिलेगी। लोगों को प्रशासनिक कार्यों के लिए अधिक दूरी तय नहीं करनी पड़ेगी।
मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर कोरिया जिले से अलग होकर तथा जांजगीर-चांपा से अलग होकर सक्ती जिला नयी प्रशासनिक इकाई के रूप में अस्तित्व में आ रहा है। नये जिले के गठन को लेकर मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर के सुदूर वनांचल क्षेत्रों में और सक्ती में अभूतपूर्व हर्ष व्याप्त है। नया जिला अस्तित्व में आने से क्षेत्र में विकास की नयी धारा बहेगी, विकास की गति और तेज होगी। पहुंचविहीन क्षेत्रों में विकास कार्यों, शिक्षा, स्वास्थ्य, खाद्यान्न, इंटरनेट तथा रोड कनेक्टिविटी के लिए और बेहतर कार्य किए जाएंगे।
नए जिलों के शुभारंभ अवसर पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल दोनों जिलों में 353 करोड़ 79 लाख 23 हजार रूपए के विकास कार्यों की सौगात देंगे। इस दिन मनेंद्रगढ़ में 187 करोड़ 04 लाख 66 हजार रूपए के 09 कार्यों का भूमिपूजन तथा 13 करोड़ 68 लाख 57 हजार रूपए के 06 कार्यों का लोकार्पण किया जाएगा। वही सक्ती में 85 करोड़ 20 लाख रूपए के 296 विकास कार्यों का भूमिपूजन तथा 67 करोड़ 85 लाख 99 हजार रूपए के 13 कार्यों का लोकर्पण होगा।
नवीन जिला मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर सरगुजा संभाग के अंतर्गत होगा। जिले में कुल ग्रामों की संख्या 376 है। यहां 13 राजस्व निरीक्षक मण्डल तथा 87 पटवारी हल्का है। यहां मनेन्द्रगढ़, भरतपुर और खड़गवां अनुविभाग और मनेन्द्रगढ़, केल्हारी, भरतपुर, खड़गवां, चिरमिरी और कोटाडोल तहसील होंगे। यहां 5 नगरीय निकाय जिनमें नगरपालिका निगम चिरमिरी, नगरपालिका परिषद मनेन्द्रगढ़, नगर पंचायत झगराखांड़, नगर पंचायत खोंगापानी और नगर पंचायत नई लेदरी सम्मिलित हैं। नवगठित जिले में अमृतधारा जलप्रपात, सिद्धबाबा मंदिर (मनेन्द्रगढ़) सीतामढ़ी-हरचौका(रामवनगमन पर्यटन परिपथ) भरतपुर, रमदहा जलप्रपात जैसे पर्यटन स्थल भी शामिल हैं।
इसी प्रकार नया जिला सक्ती बिलासपुर संभाग के अंतर्गत होगा। जिला सक्ती में उपखंड सक्ती की तहसील सक्ती, मालखरौदा, जैजैपुर और उपखंड डभरा की तहसील डभरा सहित कुल 5 तहसीलें शामिल होंगी। सक्ती जिले में 18 राजस्व निरीक्षक मंडल शामिल होंगे। 2011 जनगणना के अनुसार जिले की आबादी 6,47,254 है। सक्ती जिले में 319 ग्राम पंचायतें, 6 नगरीय निकाय शामिल होंगे। नवगठित जिले में चंद्रहासिनी माता मंदिर चंद्रपुर, अड़भार अष्टभुजी माता मंदिर, रेनखोल, दमऊदरहा जैसे पर्यटन स्थल भी शामिल हैं।