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सियासी दांव-बड़ा सन्देश: अमित शाह के दौरे से बीजेपी से ज्यादा भूपेश बघेल को पॉलिटिकल माइलेज मिला...! बड़ा संदेश देने में हुए कामयाब

सियासी पंडितों की मानें तो अमित शाह जैसे पार्टी के दिग्गज नेता के दौरे से बीजेपी को जितना फायदा मिलना था, उससे कहीं ज्यादा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अपने सियासी दांव से पॉलिटिकल माइलेज हासिल करने में कामयाब रहे। दरअसल, अमित शाह का मिनट-टू-मिनट कार्यक्रम फायनल होते ही राजनीतिक प्रेक्षकों को चौंकाते हुए उन्होंने फोन पर केंद्रीय गृह मंत्री से बात कर सीएम हाउस आने का न्यौता दे दिया।

सियासी दांव-बड़ा सन्देश: अमित शाह के दौरे से बीजेपी से ज्यादा भूपेश बघेल को पॉलिटिकल माइलेज मिला...! बड़ा संदेश देने में हुए कामयाब
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By NPG News

संजय के. दीक्षित

रायपुर। करीब दो बरस बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह छत्तीसगढ़ दौरे पर आए। करीब तीन घंटे के प्रवास में उनके कुल दो कार्यक्रम हुए....नया रायपुर में एनआईए बिल्डिंग का लोकार्पण और मोदी एट दि रेट 20 पर रायपुर के गणमान्य लोगों के बीच संबोधन। आखिरी कार्यक्रम उनका साइंस कालेज आडिटोरियम में मोदी एट दी रेट 20 था। इसमें उनका पूरा फोकस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर रहा। इसके अलावा उन्होंने नक्सलवाद पर बोला। शाह ने पूर्व मुख्यमंत्री डॉ0 रमन सिह की तारीफ की और यह भी कि आप सरकार बदलिए, हम नक्सलवाद का सफाया कर देंगे। अमित शाह का एक रोज पहले जो मिनट-टू-मिनट प्रोग्राम आया था, उसमें पार्टी कार्यालय भी उन्हें जाना था। मगर बाद में उसे आश्चर्यजनक ढंग से हटा दिया गया।

सियासी पंडितों की मानें तो अमित शाह जैसे पार्टी के दिग्गज नेता के दौरे से बीजेपी को जितना फायदा मिलना था, उससे कहीं ज्यादा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अपने सियासी दांव से पॉलिटिकल माइलेज हासिल करने में कामयाब रहे। दरअसल, अमित शाह का मिनट-टू-मिनट कार्यक्रम फायनल होते ही राजनीतिक प्रेक्षकों को चौंकाते हुए उन्होंने फोन पर केंद्रीय गृह मंत्री से बात कर सीएम हाउस आने का न्यौता दे दिया। न्यौता भी सीधे चाय पीने का नहीं, बल्कि तीजा और पोला के अवसर पर छत्तीसगढ़ की संस्कृति की झलक दिखाने की। अब एक साल बाद विधानसभा चुनाव है और दो रोज पहले भाजपा ने बेरोजगारी के मसले पर जंगी प्रदर्शन किया था। सो, अमित षाह सीएम हाउस जा नहीं सकते थे। मगर तीजा और पोला से जुड़़ा मुख्यमंत्री का विनम्र आमंत्रण था, उसे ठुकराते तो उसका संदेश भी सही नहीं जाता। राजनीति के जानकारों का कहना है, सीएम के आमंत्रण से केंद्रीय गृह मंत्री का कार्यक्रम बदल गया। अमित शाह पार्टी कार्यालय जाने की बजाए साइंस कॉलेज से सीधे एयरपोर्ट निकल गए। उससे संदेश यह गया कि व्यस्तता की वजह से उनके कार्यक्रम बदल गए। बताते हैं, पार्टी कार्यालय के बाद अमित शाह पूर्व मुख्यमंत्री डॉ0 रमन सिंह के घर चाय पर जा सकते थे, वो भी नहीं हुआ। असल में, अमित शाह राज्यों के दौरे में किसी पार्टी के नेता के घर चाय पीने या खाना खाते हैं।

अमित शाह के दौरे में सीएम भूपश ने एक बड़ा संदेश यह दिया कि वे केंद्र से टकराव नहीं चाहते। बल्कि राज्य के हितों के लिए किसी भी तरह की नरमी बरतने को तैयार हैं। सबसे पहले उन्होंने अमित शाह को फोन पर बात कर उन्हें सीएम हाउस निमंत्रित किया। जबकि, भूपेश केंद्र के खिलाफ हमेशा कड़े तेवर दिखाते रहे हैं। राहुल गांधी के ईडी से पूछताछ के समय दिल्ली में वे सड़क पर धरना दे दिए थे। बहरहाल, अमित शाह सीएम हाउस नहीं आए तो एनआईए बिल्डिंग के लोकार्पण कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने केंद्रीय गृह मंत्री को बड़े सम्मानपूर्वक पोला का तोहफा दिया, जिसमें दो नंदी विराजे थे। इस पर गौर कीजिएगा कि केंद्रीय नेताओं के प्रति भूपेश की ऐसी सियासी अदावत कभी रही नहीं। नीतिन गडकरी को उन्होंने जरूर सीएम हाउस चाय पर बुलाया था। मगर गडकरी और अमित शाह में बड़ा फर्क है। शाह की भारत सरकार में नंबर दो की स्थिति है। तीसरा, केंद्रीय गृह मंत्री को काले झंडे दिखाने की तैयारी कर रहे समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं को रायपुर पुलिस ने प्रदर्शन से पहले ही गिरफ्तार कर लिया। इससे पहले अगर विरोधी पार्टी को अगर काले झंडे दिखाने की कोशिश होती थी, तो राज्य की पुलिस आंख मूंद लेती थी। और, चौथा महत्वपूर्ण यह है कि अमित शाह का पूरा भाषण राजनीतिक था, मगर सरकार के तरफ से अभी तक कोई बयान नहीं आया है।

एक बात और महत्वपूर्ण है कि अमित शाह सीएम हाउस नहीं आए मगर सीएम के निमंत्रण का ही तकाजा था कि आनन-फानन में कार्यक्रम स्थल पर सजे-सजाए बैलों का इंतजाम किया गया। अमित शाह ने उनकी पूजा की। इससे कह सकते हैं, सीएम भूपेश बघेल राजनीति के अपनी खास स्टाईल बदल रहे हैं। बेरोजगारी के मसले पर भाजपा का प्रदर्शन हुआ, उसमें सियासी पंडित यह मानकर चल रहे थे कि पुलिस ऐसी लाठी भांजेगी कि बीजेपी का आगे ऐसा आंदोलन करने का हौसला टूट जाए। मगर आश्चर्यजनक ढंग से पुलिस को कार्रवाई न करने से रोक दिया गया। कुल मिलाकर भूपेश बघेल नए तरह की सियासत का संदेश दे रहे हैं। सियासत पर नजर रखने वाले लोग इसे भूपेश की लंबी पारी खेलने की रणनीति से जोड़कर देख रहे हैं।

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