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Chhattisgarh Congress: CG कांग्रेस में फूटा लेटर बम: मौज- मस्‍ती करने आते थे दिल्‍ली के नेता, हवा में उड़ रहे मंत्री और तन-मन से करते रहे कार्यकर्ताओं का अपमान

Chhattisgarh Congress: छत्‍तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव में हार के बाद कांग्रेस में खलबली मची हुई है। एक के बाद एक कार्यकर्ताओं और नेताओं का गुस्‍सा फूट रहा। कोई सार्वजनिक रुप से बयान दे रहा है तो कोई पार्टी से इस्‍तीफा। अब संगठन के एक बड़े नेता ने लेटर बम फोड़ दिया है।

Chhattisgarh Congress:  CG कांग्रेस में फूटा लेटर बम: मौज- मस्‍ती करने आते थे दिल्‍ली के नेता, हवा में उड़ रहे मंत्री और तन-मन से करते रहे कार्यकर्ताओं का अपमान
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By Sanjeet Kumar

Chhattisgarh Congress: रायपुर। बड़े बहुमत (68 सीट) के साथ 2018 में सत्‍ता में आई कांग्रेस के सरकार में बैठे नेताओं ने इस बार 75 पार का नारा दिया था, लेकिन कांग्रेस सत्‍ता ही नहीं बचा पाई। इस करारी हार से पार्टी में आक्रोश है। आम कार्यकर्ता अपने नेताओं के खिलाफ भड़क गए हैं। इस बीच पार्टी के प्रदेश महामंत्री चंद्रशेखर शुक्‍ला ने हार को लेकर पार्टी की प्रदेश प्रभारी कुमारी सैलजा और प्रदेश अध्‍यक्ष दीपक बैज को एक पत्र लिखा है। यह पत्र पांच साल तक सत्‍ता का सुख भोगने वालों को चुभ सकता है।

सोशल मीडिया में वायरल हो रहे है इस पत्र में शुक्‍ला ने लिखा है- आसन्न चुनाव में विपरीत परिणाम आने से सभी कांग्रेस जन दुखी एवं विचलित हैं, इस हार के लिए जो प्रत्यक्ष तौर पर जवाबदार थे उनकी बैठक (लीपा-पोती) आप लोगों ने दिल्ली में कर ली। नेता प्रतिपक्ष के चयन की औपचारिकता भी आप लोगों ने कर लिया, किन्तु 75 पार की बातें करते-करते हम 35 में क्यों सिमट गए, इसकी समीक्षा आज 15 दिनों बाद भी करने की आवश्यकता महसूस नहीं की जा रही है।

1. हमारी योजनाएं और प्लानिंग क्यों धरासी हुई ?

2. हमारे सर्वे जो 7-7 बार हुआ, वह क्यों असफल हुआ ?

3. नेताओं को क्षेत्र बदलकर, (महंत राम सुन्दर दास जी एवं छाया वर्मा जी) क्यों चुनाव लड़वाया गया ?

4. ब्लॉक एवं जिला कांग्रेस कमेटी से आये नामों पर, क्यों नहीं टिकिट बाटा गया ?

दुख के साथ लिखना पड़ रहा है कि दिल्ली के नेताओं का छत्तीसगढ़ राजनीतिक पर्यटन हब, मौज-मस्ती का केन्द्र बन गया है। एक-एक प्रकोष्ठ में 4-4 प्रदेश अध्यक्ष बनाये गये। L.D.M. रूपी के तमाशा किया गया। पैसे लेकर नियुक्तियां की गईं। जिस जोगी कांग्रेस को बामुश्किल हमनें संघर्ष कर बहार किया था उन्हें बुला-बुला कर उपकृत कर, राजनीतिक और शासकीय पदों से सम्मानित किया गया।

पराजय और संघर्ष हम कांग्रेसीयों के लिये नया नहीं है, हम कांग्रेसजन रात-दिन मेहनत कर, खून पसीना, जलाकर (खासकर हमारे किसान कांग्रेस की अति महत्वपूर्ण भूमिका थी 2018 में) अपने ऊपर शासकीय धाराएं लगवाकर, सरकार बनाते हैं और हमारे आदरणीय माननीय अपने नीहित स्वार्थों में लड़-झगड़ कर सत्ता गंवातें हैं। इसके लिये कोई एक नहीं, सारे मंत्री जिम्मेदार हैं, जो हवा में उड़ रहे थे, और पूरे 5 साल, पूरे तन-मन से कार्यकर्ताओं का अपमान करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे थे।

हमारी सिर्फ राजीव गांधी कृषि न्याय योजना अत्यंत असरकारी एवं लाभकारी थी, इसके अलावा गोठान, नरवा-गरवा-घुरवा-बाडी और राजीव युवा मितान, हाल बेहाल था तथा धरातल में साकार नहीं था। हम कलेक्टरों एवं शासकीय मिशनरियों के कार्यक्रमों में आयी भीड़ को देखकर सदैव गदगद रहते थे और समझ ही नहीं पा रहे थे कि प्रायोजित है।

इन सभी पर व्यपाक विस्तार से चर्चा होनी चाहिये। चर्चाएं और भी बहुत हैं और शिकायतें भी। यदि इन परिस्थितियों का हम सामना नहीं करेंगे तो हमारी स्थिति बद से बदत्तर होती जायेगी। सामनें लोकसभा चुनाव है, विधानसभा चुनाव शुद्ध रूप से हमारे प्रदेश के नेताओं की गलतियों की वजह से हारे हैं। पूरे पांच साल संगठन और सरकार में समन्वय नहीं रहा और जिन दलालों को हटाने का सपना लिये स्व. राजीव गाँधी जी चले गये, उन्हीं दलालों और वामपंथियों ने पार्टी में कब्जा कर लिया है। जिसका दुष्परिणाम हम सभी झेल रहे हैं।

आपसे निवेदन है जितने को भी नोटिस दिया गया है अथवा कार्यवाही की गई है, सभी को तत्काल निरस्त कर, सभी प्रकरणों को अनुशासन समिति में भेजें। तथा शीघ्रतिशीघ्र पार्टी की विस्तारित बैठक बुलाकर हार के कारणों की समीक्षा करें, तथा सुनिश्चित करें कि नविष्य में इस प्रकार की घटनाएँ न हो और भविष्य की रणनीति बनायें।

कल हम सबके परम आदरणीय महंत राम सुन्दर दास जी ने व्यथीत होकर इस्तीफा दे दिया। इसके पूर्व सीतापुर सरगुजा के हमारे एक कार्यकर्ता भाई सुरेश अग्रवाल ने आत्महत्या कर लिया। भरे चुनाव में अम्बालिका साहू और तुलसी साहू, जैसे सशक्त नेत्रीयों का पार्टी छोड़ना, हम इन सब चीजों को समझ ही नहीं पा रहे थे। अभी भी सालों से कांग्रेस के समर्पित निष्ठावान चार दर्जन से अधिक नेताओं को बिना कोई तथ्यात्मक प्रमाण के कारण बताओं नोटिस पकड़ा दिया गया। समन्वय और सामंजस जैसी शब्दों से पूरी तरह दरकिनार कर कार्यवाहियों की गई। चुनाव के दौरान बनाई गई समितियों ड्राइंग रूम के शोपीस बनकर रह गई। 2-2 पूर्व विधायकों को निष्कासित कर दिया गया। एक पूर्व मंत्री को भी नोटिस पकड़ा दिया। पार्टी में अनुशासन के नाम पर आंतरिक लोकतंत्र को दबाया, कुचला जा रहा है। जिसकी वजह से लोग दिल्ली से लेकर चौराहों तक आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं।

Sanjeet Kumar

संजीत कुमार: छत्‍तीसगढ़ में 23 वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय। उत्‍कृष्‍ट संसदीय रिपोर्टिंग के लिए 2018 में छत्‍तीसगढ़ विधानसभा से पुरस्‍कृत। सांध्‍य दैनिक अग्रदूत से पत्रकारिता की शुरुआत करने के बाद हरिभूमि, पत्रिका और नईदुनिया में सिटी चीफ और स्‍टेट ब्‍यूरो चीफ के पद पर काम किया। वर्तमान में NPG.News में कार्यरत। पंड़‍ित रविशंकर विवि से लोक प्रशासन में एमए और पत्रकारिता (बीजेएमसी) की डिग्री।

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