Chhattisgarh Assembly session: सीजी विधानसभा का पहला सत्र: सबसे पहले सीएम विष्णुदेव साय और सबसे अंत में कवासी लखमा लेंगे शपथ
Chhattisgarh Assembly session: छत्तीसगढ़ की छठवीं विधानसभा के पहले सत्र की बैठक कल से शुरू हो रही है। सत्र के पहले दिन नवनिर्वाचित विधायकों को विधानसभा की सदस्यता की शपथ दिलाई जाएगी।
Chhattisgarh Assembly session: रायपुर। छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव के परिणाम 3 दिसंबर को घोषित किए गए। इसके साथ ही निर्वाचित विधायकों को निर्वाचन प्रमाण पत्र मिल गया। इसके साथ ही 13 दिसंबर को मुख्यमंत्री और डिप्टी सीएम का शपथ ग्रहण भी हो चुका है, लेकिन अभी राम विचार नेताम को छोड़कर कोई भी विधायक छत्तीगसढ़ विधानसभा का विधिवत सदस्य नहीं बन पाया है।
निर्वाचित विधायक विधानसभा की सदस्यता की शपथ लेने के बाद ही विधानसभा के सदस्य बन पाएंगे। नेताम इस वजह से सदस्य बन गए हैं, क्योंकि एक दिन पहले ही राज्यपाल ने उन्हें प्रोटेम स्पीकर का शपथ दिलाया है। अब कल से शुरू हो रहे विधानसभा के सत्र के पहले दिन नवनिर्वाचित सदस्यों का शपथ ग्रहण होगा। एक-एक कर सभी विधायक विधानसभा की सदस्यता की शपथ लेंगे।
विधानसभा में कौन पहले शपथ लेगा, शपथ ग्रहण का क्रम क्या होगा यह सब पहले से तय है। विधानसभा के सचिव दिनेश शर्मा ने बताया कि परंपरा के अनुसार सबसे पहले सदन के नेता यानी मुख्यमंत्री विधानसभा की सदस्यता की शपथ लेंगे। इसके बाद नेता प्रतिपक्ष का शपथ ग्रहण होगा। परंपरा के अनुसार सीएम और नेता प्रतिपक्ष के बाद मंत्रिमंडल के सदस्य शपथ लेंगे। इसके बाद सभापति तालिका के सदस्यों का शपथ होगा। इन विशिष्ठ लोगों के शपथ के बाद विधानसभा के क्रम के हिसाब से बाकी सदस्य शपथ लेगें।
छत्तीसगढ़ में सीएम और उनके दो मंत्री ही है। ऐसे में सबसे पहले सीएम विष्णुदेव साय इसके बाद नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत शपथ लेंगे। इसके बाद दोनों डिप्टी सीएम अरुण साव और विजय शर्मा का शपथ होगा। कल सभा की कार्यवाही शुरू होते ही प्रोटेम स्पीकर सभापति तालिका घोषित करेंगे इसमें 5-6 जो भी सदस्य होंगे उनका शपथ होगा। अगर इस तालिका में रेणुका सिंह का नाम नहीं आता है तो विधायकों में वे सबसे पहले शपथ लेंगी। चूंकि कांग्रेस विधायक कवासी लखमा कोंटा सीट से निर्वाचित हुए हैं और कोंटा सीट का क्रमांक 90 है। इस वजह से लखमा का शपथ सबसे अंत में होगा।
पहली और दूसरी विधानसभा में सबसे पहले नेता प्रतिपक्ष ने लिया था शपथ
प्रदेश की पहली और दूसरी विधानसभा में मुख्यमंत्री से पहले नेता प्रतिपक्ष का शपथ ग्रहण हुआ था। दरअसल दोनों बार जो मुख्यमंत्री थे वे विधानसभा के सदस्य नहीं थे। 2000 में राज्य की पहली विधानसभा का गठन हुआ तक अजीत जोगी मुख्यमंत्री बनाए गए। जोगी उस वक्त राज्य की किसी भी विधानसभा सीट से निर्वाचित नहीं थे। मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने मरवाही सीट से चुनाव जीता और फिर विधानसभा के सदस्य बने। इसी तरह 2003 में डॉ. रमन सिंह जब सीएम बने तब वे विधायक नहीं थे। सीएम बनने के बाद वे डोंगरगांव सीट से उपचुनाव जीतकर विधानसभा के सदस्य बने थे।