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Chhattisgarh Assembly Elections: साहूओं की तुलना में यादवों का स्‍ट्राक रेट बेहतर: पढ़ि‍ए...निर्वाचित विधायकों का जातिगत समीकरण

Chhattisgarh Assembly Elections: छत्‍तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव के परिणाम आ गए हैं। हार-जीत के कारणों के साथ ही इसकी कई तरह से समीक्षा की जा रही है। इनमें एक मुद्दा जाति का भी है। वजह यह है कि चुनाव के दौरान ओबीसी आरक्षण का मुद्दा बड़े जोरशोर से उठाया गया था।

Chhattisgarh Assembly Elections: साहूओं की तुलना में यादवों का स्‍ट्राक रेट बेहतर: पढ़ि‍ए...निर्वाचित विधायकों का जातिगत समीकरण
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By Sanjeet Kumar

Chhattisgarh Assembly Elections: रायपुर। छत्‍तीसगढ़ सहित पांच राज्‍यों में विधानसभा चुनाव के दौरान ओबीसी आरक्षण का मुद्दा गरमाया रहा। कांग्रेस की तरफ से इस मुद्दे पर बार-बार केंद्र में सत्‍तारुढ़ भाजपा पर हमला किया जा रहा था। छत्‍तीसगढ़ में तत्‍कालीन मुख्‍यमंत्री भूपेश बघेल राजभवन में लंबित आरक्षण विधेयक को लेकर लगातार हमलावर थे। ओबीसी आरक्षण को लेकर हो रहे इन हमलों का जवाब स्‍वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी सभाओं में दिया। पीएम मोदी ने कहा कि उनके लिए गरीबी सबसे बड़ी जाति है। चुनाव परिणाम बता रहे हैं कि ओबीसी का मुद्दे का कांग्रेस कोई खास लाभ नहीं मिला है।

इधर, छत्‍तीसगढ़ में जाति की राजनीति करने वालों के लिए विधानसभा चुनाव के परिणामों में बड़ी खबर है। छत्‍तीसगढ़ में ओबीसी वर्ग में साहू (तेली) की आबादी सबसे ज्‍यादा मानी जाती है। समाज से जुड़े पदाधिकारियों का कहना है कि यहां कुल ओबीसी आबादी में से 20 प्रतिशत साहू हैं। आबादी के लिहाज से देखें तो 55 लाख जनसंख्या है। इनमें 35 लाख से ज्यादा वोटर हैं। इनमें भी युवा वोटरों की संख्या 10-12 लाख के आसपास है। विधानसभा की 20 सीटें ऐसी हैं, जहां सीधे साहू हार-जीत तय करते हैं। इनमें राजनांदगांव, बालोद, गुंडरदेही, अभनपुर, राजिम, दुर्ग ग्रामीण, कुरूद, धमतरी जैसी सीटें शामिल हैं। अभनपुर ऐसी सीट है, जहां पिछले 45 साल से साहू समाज से विधायक चुने जाते हैं।

प्रदेश में कुर्मी समाज की बात करें तो 25 लाख के आसपास आबादी है। इनकी जनसंख्या का अनुपात के 8 प्रतिशत से आसपास है। पाटन, बलौदाबाजार, धरसीवां, दुर्ग, भिलाई, बेमेतरा, आरंग और रायपुर ग्रामीण समेत 15 सीटों पर समाज का सीधा दखल है। पाटन ऐसी सीट है, जहां 25-30 सालों से कुर्मी समाज से ही विधायक चुने जाते हैं। साहू और कुर्मी के बाद कलार, यादव, मरार, धीवर, निर्मलकर, सेन आदि भी हैं।

विधानसभा 2023 में करीब 32 ओबीसी विधायक चुने गए हैं। इनमें सबसे ज्‍यादा 12 साहू समाज के हैं। 5 यादव और 4 कुर्मी हैं। निषाद, सेन, कलार, कोष्‍टा समाज के भी एक-एक विधायक चुन कर आए हैं। संख्‍या में भले साहू समाज के विधायक ज्‍यादा हैं, लेकिन स्‍ट्राइक रेट यादवों का ज्‍यादा है। कांग्रेस और भाजपा ने कुल 20 साहू प्रत्‍याशी मैदान में उतारा था। इनमें भाजपा के 11 और कांग्रेस की तरफ से 9 थे। दोनों में 6-6 साहू विधायक बने हैं। 20 में 12 यानी 60 प्रतिशत ही साहू चुनाव जीते हैं। तीन सीटों अभनपुर, धमतरी और खुज्‍जी में दोनों तरफ से साहू आमने- सामने थे। इसके विपरीत दोनों पार्टियों ने 5 यादवों को प्रत्‍याशी बनाया था इनमें 4 चुनाव जीत गए हैं। किसी भी सीट पर यादव आमने-सामने नहीं थे। यादवों का औसत 80 प्रतिशत है।

Sanjeet Kumar

संजीत कुमार: छत्‍तीसगढ़ में 23 वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय। उत्‍कृष्‍ट संसदीय रिपोर्टिंग के लिए 2018 में छत्‍तीसगढ़ विधानसभा से पुरस्‍कृत। सांध्‍य दैनिक अग्रदूत से पत्रकारिता की शुरुआत करने के बाद हरिभूमि, पत्रिका और नईदुनिया में सिटी चीफ और स्‍टेट ब्‍यूरो चीफ के पद पर काम किया। वर्तमान में NPG.News में कार्यरत। पंड़‍ित रविशंकर विवि से लोक प्रशासन में एमए और पत्रकारिता (बीजेएमसी) की डिग्री।

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