Chhattisgarh Assembly Elections: दुर्ग संभाग का वोटर किसके साथ: कांग्रेस नहीं भेद पाई भाजपा के 2 गढ़, जानिए... इस बार किसके पक्ष में हैं वोटिंग के आंकड़े
Chhattisgarh Assembly Elections: प्रदेश का वीवीआईपी संभाग दुर्ग। 2018 में इस संभाग की 20 में से 17 सीटों पर कांग्रेस ने जीत दर्ज किया था। जकांछ के खाते में गई एक मात्र सीट भी उप चुनाव में कांग्रेस जीत गई। राज्य निर्माण के बाद से अब तक इस संभाग में सर्वाधिक वोटिंग हुई है। जानिए...क्या कहता है 20 सीटों का वोटिंग ट्रेंड
Chhattisgarh Assembly Elections: रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार में मुख्यमंत्री, गृह मंत्री और 4 कैबिनट मंत्री इसी संभाग के हैं। 13 सदस्यीय राज्य मंत्रिमंडल के 6 सदस्य दुर्ग संभाग से आते हैं। इसीलिए इस संभाग को वीवीआईपी संभाग कहा जाता है। 2018 के चुनाव में इस संभाग ने कांग्रेस की आंधी के आगे भाजपा के कई गढ़ ढह गए, लेकिन भाजपा के 2 गढ़ों को कांग्रेस भेद नहीं पाई। इसमें वैशालीनगर और राजनांदगांव सीट शामिल है। इन दोनों सीटों को 2003 के बाद कांग्रेस अभी तक नहीं जीत नहीं पाई है। बढ़े हुए वोटिंग प्रतिशत के साथ बड़ा सवाल यह है कि क्या इस बार भी कांग्रेस 2018 वाला अपना प्रदर्शन दोहरा पाएगी।
दुर्ग संभाग की 20 सीटों पर इस बार वोटिंग का औसत 78.23 प्रतिशत है। यह इससे पहले हुए विधानसभा के चुनावों में सर्वाधिक है। 2018 में 77.17 प्रतिशत वोट पड़े थे। 2013 में यह आंकड़ा 76.67, 2008 में 72.81 और 2003 में हुए पहले चुनाव में 75.56 प्रतिशत वोट पड़े थे। इस संभाग में अब तक के चारों चुनावों में वोटिंग के ड्रेंड के हिसाब से हार-जीत के आंकड़े बदलते रहे हैं। 2008 में 2003 की तुलना में मतदान बढ़ा था। तब 20 में से 7 सीट कांग्रेस और 13 सीट भाजपा के पाले में गए थे। 2013 में मतदान प्रतिशत से लगभग 4 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। इसके साथ ही भाजपा की 2 सीट कम हो गई और पार्टी 11 पर आ गई, जबकि कांग्रेस 7 से बढ़कर 9 पहुंच गई। 2018 वोटिंग के औसत में मामूली बढ़ोतरी हुई, लेकिन कांग्रेस 17 सीट जीत गई।
इन 9 सीटों पर 2 चुनावों से लगातार हा रही है भाजपा
इस संभाग में 9 सीटे ऐसी हैं, जो भाजपा पिछले 2 चुनावों से जीत नहीं पाई है। इसमें संजरी-बालोद, डौंडी लोहरा, गुंडरदेही के साथ पाटन सीट भी शामिल है। पाटन सीट कांग्रेस लगातार जीतती रही है। 2008 में पहली बार इस सीट से भाजपा के विजय बघेल विजयी हुए थे। इसी तरह साजा सीट भी 2008 में पहली बार भाजपा जीती थी। दुर्ग ग्रामीण, खैरागढ़ और डोंगरगांव सीट भी भाजपा दो बार से हार रही है। वहीं, खुज्जी सीट राज्य निर्माण के बाद से भाजपा नहीं जीती है। वहीं, 2008 में अस्तित्व में आई मोहला-मानपुर सीट पर भी भाजपा आज तक जीत दर्ज नहीं कर पाई है। भिलाई नगर सीट पर हर बार वोटर नई पार्टी को चुनती है। 2003 में यह सीट भाजपा जीती थी। 2008 और 2018 में कांग्रेस जीती, जबकि 2013 का चुनाव भाजपा जीती थी।