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Chhattisgarh Assembly Election: अरुण साव को बड़ी चुनौती! लोरमी में साहू समाज से ज्यादा वोटर SC और आदिवासी, 6 बार में से सिर्फ 2 बार साहू जीत पाए वो भी इस वजह से...

Chhattisgarh Assembly Election: बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव कई बार संकेत दे चुके थे कि वे चुनाव लड़ने की बजाए प्रचार कर पार्टी को जीत दिलाने का काम करेंगे। मगर पार्टी ने उन्हें लोरमी से चुनाव मैदान में उतार दिया, जहां से 30 साल में लगातार छह बार साहू को टिकिट दिया गया मगर जीत मिल पाई सिॅर्फ दो बार। वो भी पहली बार 1993 में कांग्रेस की भीतरघात की वजह से और दूसरी बार 2013 में जोगी कांग्रेस के चलते।

Chhattisgarh Assembly Election: अरुण साव को बड़ी चुनौती! लोरमी में साहू समाज से ज्यादा वोटर SC और आदिवासी, 6 बार में से सिर्फ 2 बार साहू जीत पाए वो भी इस वजह से...
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By Sanjeet Kumar

Chhattisgarh Assembly Election: रायपुर। छत्तीसगढ़ भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और बिलासपुर के सांसद अरुण साव लोरमी सीट से र्प्रत्याशी बनाए गए हैं. इस सीट पर 30 हजार के आसपास साहू मतदाता हैं, लेकिन इससे ज्यादा संख्या एससी मतदाताओं की है. 50 हजार के आसपास एससी मतदाता हैं. 18 हजार आदिवासी और 42 से 45 हजार सामान्य वर्ग के मतदाता हैं. साहू वोट बैंक से ज्यादा एससी और आदिवासी वोट बैंक पर फोकस करना होगा.

वकालत के पेशे से राजनीति में आए अरुण साव 2019 के चुनाव में बिलासपुर लोकसभा से सांसद चुने गए. 6 महीने पहले ही छत्तीसगढ़ में एकतरफा बहुमत के साथ कांग्रेस की सरकार बनी थी. कांग्रेस को 68 सीटें मिली थीं. इसके बाद यह माना जा रहा था कि 11 की ज्यादातर सीटें कांग्रेस के खाते में जा सकती हैं, लेकिन राज्य में भले ही मतदाताओं ने कांग्रेस को जिताया, लेकिन केंद्र में मोदी सरकार को पसंद किया. भाजपा के 9 सांसद जीते. इनमें अरुण साव भी थे. मूलतः मुंगली के रहने वाले साव को लोरमी सीट से 71081 वोट मिले थे, जबकि कांग्रेस के प्रत्याशी अटल श्रीवास्तव को 50075 वोट मिले थे.

हालांकि, ये भी ध्यान रखने लायक है कि तब चुनाव प्रत्याशी पर नहीं पीएम नरेंद्र मोदी के चेहरे पर लड़ा गया था। बहरहाल, 1993 से लेकर 2023 तक भाजपा ने लोरमी में लगातार सात बार साहू कंडिडेट उतारा है। इसमें से इस बार अभी चुनाव होने बाकी हैं। इससे पहले छह बार में से सिर्फ दो बार भाजपा जीती है। 1993 में मुनीराम साहू इसलिए जीत गए थे कि कांग्रेस ने धर्मजीत सिंह दावेदारी को नकारते हुए बैजनाथ चंद्राकर को टिकिट दे दिया था। इससे धर्मजीत सिंह के समर्थक नाराज हो गए थे। इस वजह से मुनीराम को जीतने का मौका मिल गया। वहीं, 2013 के विधानसभा चुनाव में तोखन साहू इसलिए जीत गए क्योंकि कांग्रेस में भीतरघात हो गया था।

विधानसभा चुनाव के लिहाज से देखें तो साव के लिए यह काफी चुनौतीपूर्ण होगा, क्योंकि अपनी सीट के साथ-साथ प्रदेश अध्यक्ष होने के नाते उन्हें दूसरी सीटों पर भी ध्यान देना होगा. साहू समाज की अच्छी खासी संख्या होने से यहां साव को फायदा मिलेगा, वहीं, चार बार लोरमी के विधायक रहे धर्मजीत सिंह का भी लाभ मिलेगा, क्योंकि उनका अपना वोट बैंक है. पिछले चुनाव में जब कांग्रेस की लहर थी, तब भी धर्मजीत सिंह यहां से जीते थे. यहां भी कांग्रेस के प्रत्याशी तीसरे नंबर पर चले गए थे. इससे लगी कोटा सीट पर भी यही हश्र हुआ था. हालांकि तखतपुर में भाजपा तीसरे नंबर पर थी और दूसरे नंबर पर बसपा के संतोष कौशिक थे.

कांग्रेस प्रत्याशी घोषित नहीं Chhattisgarh Assembly Election:

लोरमी सीट पर अभी तक कांग्रेस ने प्रत्याशी के नाम का ऐलान नहीं किया है. यहां जोगी कांग्रेस ने भी पत्ता नहीं खोला है. माना जा रहा है कि दोनों दलों से नाम घोषित होने के बाद स्थिति ज्यादा स्पष्ट होगी. लेकिन कांग्रेस की कोशिश होगी कि गैर साहू प्रत्याशी को उतारकर साहू वर्सेज ऑॅल की स्थिति पैदा की जाए, जिससे अरुण साव को उनके ही घर में घेरा जा सकें। उधर, भाजपा इस बात को लेकर आशान्वित है कि लोरमी सीट से चार बार धर्मजीत सिंह ने प्रतिनिधित्व किया. उनकी क्षेत्र में पकड़ थी, इसीलिए वे कांग्रेस की बजाय जोगी कांग्रेस से लड़कर जीते थे. इसका फायदा भाजपा को मिलेगा. 2018 में कांग्रेस का ही वोट बैंक जोगी कांग्रेस में शिफ्ट हुआ था, इसलिए यहां भाजपा कांग्रेस में ही मुकाबला होगा. अरुण साव को दूसरा फायदा पार्टी प्रेसिडेंट के चलते सीएम फेस का मिलेगा। जाहिर है, उनके समर्थक अरुण को मुख्यमंत्री का चेहरा सामने रखकर वोट मांगेंगे। ये अलग बात है कि पार्टी अभी सीएम का कोई फेस क्लियर नहीं किया है। मगर पार्टी अध्यक्ष के नाते साव की दावेदारी तो रहेगी।

जानें... कौन कौन रहे लोरमी के विधायक Chhattisgarh Assembly Election

वर्ष

विधायक

पार्टी

1957

गंगा प्रसाद

आरआरपी

1962

यशवंत राज सिंह

आरआरपी

1967

राजेंद्र प्रसाद शुक्ल -

कांग्रेस

1972

राजेंद्र प्रसाद शुक्ल

कांग्रेस

1977

फूलचंद जैन

जनता पार्टी

1980

बैजनाथ चंद्राकर

कांग्रेस

1985

भूपेंद्र सिंह

भाजपा

1990

निरंजन केशरवानी

भाजपा

1993

मुनीराम साहू

भाजपा

1998

धर्मजीत सिंह

कांग्रेस

2003

धर्मजीत सिंह

कांग्रेस

2008

धर्मजीत सिंह

कांग्रेस

2013

तोखन साहू

भाजपा

2018

धर्मजीत सिंह

जकांछ


Sanjeet Kumar

संजीत कुमार: छत्‍तीसगढ़ में 23 वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय। उत्‍कृष्‍ट संसदीय रिपोर्टिंग के लिए 2018 में छत्‍तीसगढ़ विधानसभा से पुरस्‍कृत। सांध्‍य दैनिक अग्रदूत से पत्रकारिता की शुरुआत करने के बाद हरिभूमि, पत्रिका और नईदुनिया में सिटी चीफ और स्‍टेट ब्‍यूरो चीफ के पद पर काम किया। वर्तमान में NPG.News में कार्यरत। पंड़‍ित रविशंकर विवि से लोक प्रशासन में एमए और पत्रकारिता (बीजेएमसी) की डिग्री।

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