Chhattisgarh Assembly Election 2023 Pamgarh Assembly Seat: 38. पामगढ़ विधानसभा: यहां बसपा ही बेस्ट, 4 में से 2 चुनाव में इसी की जीत, 1-1 बार कांग्रेस और भाजपा, पढि़ए एनपीजी की चुनाव स्पेशल कवरेज
Chhattisgarh Assembly Election 2023 Pamgarh Assembly Seat:
- राज्य गठन के पहले हुए 8 चुनाव, 5 में कांग्रेस की जीत, 3 में बसपा रही आगे
एनपीजी एक्सक्लूसिव
रायपुर। छत्तीसगढ़ का जांजगीर लोकसभा क्षेत्र बसपा का गढ़ माना जाता है। इसमें सक्ती जिले की जैजैपुर और पामगढ़ विधानसभा सीट फिलहाल बसपा के कब्जे में है और पिछले कई सालों से काफी मजबूत स्थिति में है। यही कारण है कि फिलहाल पामगढ़ में बसपा ही बेस्ट मानी जा रही है और इसका कारण है, यहां के चुनावी आंकड़े। छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद से यहां कुल 4 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं। इन चुनावों में दो बार बसपा ने जीत दर्ज की है तो कांग्रेस और भाजपा के हिस्से 1-1 जीत आई है।
हालांकि राज्य गठन के पहले बसपा पर कांग्रेस भारी रही और 8 में से 5 विधानसभा चुनाव कांग्रेस और 3 बसपा ने जीता। पामगढ़ में सबसे बुरी स्थिति भाजपा की रही है। भाजपा को इस सीट से अब तक केवल 1 जीत मिली है। तो आइए जानते हैं पामगढ़ विधानसभा क्षेत्र में अब तक हुए चुनावों के बारे में…
1967 में पहली बार हुआ चुनाव, 1985 तक कांग्रेस लगातार जीती
पामगढ़ विधानसभा सीट का गठन साल 1962 के परिसीमन के बाद 1967 में हुआ। इसी साल यहां पहली बार विधानसभा चुनाव हुए। पहले चुनाव में कांग्रेस ने महावीर को प्रत्याशी बनाया। जबकि भारतीय जनसंघ की ओर से नेतराम चुनावी मैदान में उतरे। इस समय पामगढ़ विधानसभा में कुल मतदाताओं की संख्या थी 71887 और इनमें से 19837 ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। जब परिणाम घोषित हुए तो कांग्रेस को 12202 वोट मिले, वहीं बीजेएस को 5616 वोट। इस तरह 6586 मतों से जीतकर कांग्रेस के महावीर इस क्षेत्र के पहले विधायक चुने गए। इसके बाद 1972, 1977, 1980 और 1985 के चुनाव में भी कांग्रेस की जीत हुई। इस दौरान शिवप्रसाद लगातार तीन बार विधायक रहे।
बसपा के दाऊराम 1990 से 1998 तक 3 बार विधायक चुने गए
पामगढ़ में 1990 में हुए चुनाव में बसपा की एंट्री हुई। इस चुनाव में दाऊराम रत्नाकर बसपा की टिकट पर चुनावी मैदान में उतरे और महज 341 वोट के अंतर से जनता दल के आनंद मिश्रा को हराकर बसपा को पहली जीत दिलाई। इसके बाद उन्होंने 1993 के चुनाव में भाजपा के बिसुन लाल को 8091 वोट के अंतर से और 1998 के चुनाव में भाजपा की शकुंतला सिंह को सिर्फ 86 वोट से हराकर तीसरी बार जीत दर्ज की। छत्तीसगढ़ गठन के बाद साल 2003 में पहली बार विधानसभा चुनाव हुए तो कांग्रेस के महंत रामसुंदर दास ने उन्हें 6734 वोट के अंतर से हराया। इस तरह दाऊराम रत्नाकर की जीत का सिलसिला थम गया।
भाजपा को 2013 में मिली पहली और एकमात्र जीत
पामगढ़ विधानसभा क्षेत्र में वैसे तो भाजपा ने पहला चुनाव 1985 में लड़ा, लेकिन इसके बाद भी उसे पहली जीत के लिए 2013 का इंतजार करना पड़ा। साल 2013 में भाजपा को पहली और अब तक की एकमात्र जीत मिली। इस साल हुए चुनाव में भाजपा के अम्बेश जांगड़े ने बसपा के दूजराम बौद्ध को 8125 वोट के अंतर से हराकर विधानसभा पहुंचे। हालांकि इसके पहले 1998 में भाजपा प्रत्याशी शकुंतला सिंह जीत के काफी करीब रहीं और उन्हेें महज 86 वोट के अंतर से हार का सामना करना पड़ा था।
2018 का चुनाव: पांच साल पहले ही चुनाव जीतने वाले अम्बेश, तीसरे नंबर पर
साल 2018 के विधानसभा चुनाव में पांच साल पहले चुनाव जीतकर विधायक बनने वाले अम्बेश तीसरे स्थान पर रहे। इस चुनाव में लड़ाई बसपा, कांग्रेस और भाजपा के बीच रही। इन्हें मिलाकर कुल 14 प्रत्याशी पामगढ़ विधानसभा में किस्मत आजमाने उतरे थे, लेकिन इनमें से 11 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई और केवल 3 ही अपनी साख बचा पाए। इसमें पहले पायदान पर बसपा की इंदू बंजारे रहीं। उन्हें इस चुनाव में 50129 वोट मिले। दूसरे स्थान पर कांग्रेस के गोरे लाल बर्मन रहे, जिन्हें 47068 वोट मिले थे। इसी तरह 32676 वोट के साथ भाजपा के अम्बेश जांगड़े तीसरे पायदान पर रहे। यह चुनाव बसपा की इंदू बंजारे ने 3061 वोट से अपने नाम किया।
वर्ष | विधायक | पार्टी |
1967 | महावीर | कांग्रेस |
1972 | कुलपत सिंग | कांग्रेस |
1977 | शिवप्रसाद शर्मा | कांग्रेस |
1980 | शिवप्रसाद शर्मा | कांग्रेस |
1985 | शिवप्रसाद शर्मा | कांग्रेस |
1990 | दाऊराम रत्नाकर | बीएसपी |
1993 | दाऊराम रत्नाकर | बीएसपी |
1998 | दाऊराम रत्नाकर | बीएसपी |
2003 | महंत रामसुंदर दास | कांग्रेस |
2008 | दूजराम बौद्ध | बीएसपी |
2013 | अंबेश जांगड़े | बीजेपी |
2018 | इंदू बंजारे | बीएसपी |