Chhattisgarh Assembly Election 2023 Mahasamund Assembly: 42. महासमुंद विधानसभा: यहां कुर्मी वोटर ही किंगमेकर, इसलिए 15 में से 8 चुनाव में इसी समाज के प्रत्याशी जीते
Chhattisgarh Assembly Election 2023 Mahasamund Assembly:
Chhattisgarh Assembly Election 2023 Mahasamund असेंबली 42 साल 2013 के चुनाव में पहली बार निर्दलीय प्रत्याशी ने दर्ज की थी जीत
एनपीजी एक्सक्लूसिव
रायपुर। जिला मुख्यालय की सीट महासमुंद हमेशा से ही छत्तीसगढ़ की राजनीति का केंद्र रही है। महासमुंद लोकसभा सीट से ही पंडित विद्याचरण शुक्ल जैसे कद्दावर नेता चुनाव लड़ते आए हैं तो पूर्व सीएम अजीत जोगी भी यहां से सांसद रह चुके हैं। यही नहीं पुरुषोत्तम लाल कौशिक जैसे बड़े समाजवादी नेता यहां से विधायक रह चुके हैं। इसलिए महासमुंद विधानसभा सीट हमेशा से ही दोनों ही प्रमुख पार्टियों के लिए काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है।
वैसे तो महासमुंद विधानसभा क्षेत्र में काफी सामाजिक समरसता नजर आती है, लेकिन जब बात विधानसभा चुनाव की हो तो कुर्मी समाज का वर्चस्व साफ नजर आता है। यह हम नहीं महासमुंद विधानसभा में अब तक हुए चुनाव के आंकड़े बता रहे हैं। इस सीट में आजादी के बाद से अब तक कुल 15 चुनाव हुए हैं, जिसमें से 8 चुनाव में कुर्मी समाज के प्रत्याशी ने जीत दर्ज की है। वहीं अन्य समुदाय से 7 चुनाव में जीत हुई है। यही कारण है कि आगामी विधानसभा चुनाव के लिए भी महासमुंद से दोनों दलों में जिन लोगों ने अपनी दावेदारी की है, उनमें सर्वाधिक संख्या कुर्मी समुदाय से ही है।
नेमीचंद श्रीश्रीमाल, मकसूदन और अग्रि ने एक से अधिक चुनाव जीता
महासमुंद विधानसभा क्षेत्र में तीन ही ऐसे विधायक हुए हैं, जिन्होंने एक से अधिक बार चुनाव में जीत दर्ज की। इसमें अग्रि चंद्राकर का नाम सबसे पहले है, क्योंकि उन्हें तीन बार क्षेत्र की जनता ने मौका दिया। अग्रि चंद्राकर पहली बार 1993 में विधायक बनें। इसके बाद 1998 में दोबारा उन्होंने जीत दर्ज की और 2008 में एक बार फिर विधायक चुने गए। इसी तरह नेमीचंद श्रीश्रीमाल ने 1957 और 1967 में जीत दर्ज की। मकसूदन चंद्राकर ने 1980 और 1985 का विधानसभा चुनाव जीता।
छत्तीसगढ़ गठन के बाद से जनता हर चुनाव में पार्टी और प्रत्याशी दोनों बदल देती है..
छत्तीसगढ़ गठन के बाद से अब तक कुल 4 विधानसभा चुनाव संपन्न हुए हैं। राज्य बनने के बाद पहला चुनाव साल 2003 में हुआ। इस चुनाव में महासमुंद के मतदाताओं ने भाजपा का साथ दिया और पूनम चंद्राकर विधायक चुने गए। पांच साल बाद 2008 में हुए विधानसभा चुनाव में महासमुंद की जनता कांग्रेस के साथ गई और अग्रि चंद्राकर यहां से विधायक बनें। इसी तरह 2013 के चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी डॉ विमल चोपड़ा को जनता ने अपना विधायक चुना। साल 2018 में जनता ने फिर से कांग्रेस पर भरोसा जताया और विनोद सेवनलाल चंद्राकर यहां के विधायक बनें।
एक नजर साल 2018 के चुनाव परिणाम पर
साल 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने नए प्रत्याशी पर दांव खेला। यहां से कांग्रेस ने विनोद सेवनलाल चंद्राकर को मौका दिया। इसके विपरीत भाजपा ने पूर्व विधायक पूनम चंद्राकर को मैदान में उतारा। इस बीच पूर्व विधायक डॉ विमल चोपड़ा निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनावी मैदान में थे। वहीं जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जोगी) ने त्रिभुवन महिलांग को प्रत्याशी बनाया। इसे अलावा क्षेत्र के कद्दावर नेता मनोजकांत साहू भी निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव में कूद पड़े थे। यही कारण है कि महासमुंद विधानसभा सीट पूरे जिले में काफी हाईप्रोफाइल हो गई थी। 191035 मतदाताओं वाली इस विधानसभा सीट में जब वोटिंग पूरी हुई तो 154805 ने मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। जब चुनाव परिणाम सामने आए तो जनता का समर्थन कांग्रेस के हिस्से में दिखा और विनोद चंद्राकर ने 23066 वोट के अंतर से जीत दर्ज की। इस चुनाव में उस समय के विधायक डॉ विमल चोपड़ा अप्रत्याशित रूप से 21160 वोट के अंतर से पांचवे पायदान पर थे।
जानिए, महासमुंद सीट से अब तक कौन-कौन रहे विधायक
वर्ष | विधायक | पार्टी |
1951 | अजोध्या प्रसाद | कांग्रेस |
1957 | नेमीचंद श्रीश्रीमाल | कांग्रेस |
मिरी बाजीराव | कांग्रेस | |
1962 | परन | प्रजा सोशलिस्ट पार्टी |
1967 | नेमीचंद श्रीश्रीमाल | कांग्रेस |
1972 | पुरुषोत्तम लाल कौशिक | सोशलिस्ट पार्टी |
1977 | मो. याकूब करीम | कांग्रेस |
1980 | मकसूदन लाल चंद्राकर | कांग्रेस |
1985 | मकसूदन लाल चंद्राकर | कांग्रेस |
1990 | संतोष कुमार | जनता दल |
1993 | अग्रि चंद्राकर | कांग्रेस |
1998 | अग्रि चंद्राकर | कांग्रेस |
2003 | पूनम चंद्राकर | भाजपा |
2008 | अग्रि चंद्राकर | कांग्रेस |
2013 | डॉ विमल चोपड़ा | निर्दलीय |
2018 | विनोद सेवनलाल चंद्राकर | कांग्रेस |
(साल 1957 में महासमुंद से दो विधायक चुने गए थे। एक सामान्य से और दूसरा एससी कैटेगरी से)