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अविश्वास प्रस्ताव या खानापूर्तिः भूपेश सरकार के खिलाफ पौने चार साल में पहला अविश्वास प्रस्ताव, नतीजा...भाषण के अलावा कुछ और नहीं, कांग्रेस के 20 विधायक पड़ेंगे प्रस्ताव पर भारी

अविश्वास प्रस्ताव या खानापूर्तिः भूपेश सरकार के खिलाफ पौने चार साल में पहला अविश्वास प्रस्ताव, नतीजा...भाषण के अलावा कुछ और नहीं, कांग्रेस के 20 विधायक पड़ेंगे प्रस्ताव पर भारी
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By NPG News

रायपुर। भूपेश बघेल सरकार के खिलाफ पहले अविश्वास प्रस्ताव पर कुछ देर बाद चर्चा शुरू हो जाएगी। विपक्ष ने अविश्वास प्रस्ताव में सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। जाहिर है, सदन में इस पर आरोप-प्रत्यारोपों के तीर छोड़े जाएंगे। स्पीकर चरणदास महंत ने अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के लिए पांच घंटे का टाईम मुकर्रर किया है। मगर बताते हैं, देर रात के पहले प्रस्ताव पर चर्चा खतम नहीं होगी। इसके बाद वोटिंग होगी। रिजल्ट सबको पता है।

दरअसल, अविश्वास प्रस्ताव दो तरह के होते हैं। एक वाकई सरकार अल्पमत जैसी स्थिति में दिखाई पड़ रही है। तब विपक्ष की कोशिश होती है कि किसी तरह संख्या बल जुगाड़कर सरकार को गिराइ्र्र जा सकें। दूसरा, होता है अविश्वास प्रस्ताव के नाम पर रस्म अदायगी। विपक्ष इसमें अपना विपक्षी धर्म निभाती है। सरकार पर हमले किए जाते हैं। उसकी नाकामियों को गिनाया जाता है। कुल मिलाकर खानापूत्रि की कोशिश होती है कि लगे कि पांच साल में कम-से-कम एक बार अविश्वास प्रस्ताव तो पेश हुआ। छत्तीसगढ़ में आज अविश्वास प्रस्ताव पर होने वाली चर्चा को सियासी पंडित खानापूत्रि ही मान रहे हैं। क्योंकि, रिजल्ट सबको पता है। कांग्रेस के पास 72 सीटें हैं। और बीजेपी के पास मात्र 14। जोगी कांग्रेस और बसपा को मिला दें, तब भी सीटों की संख्या 18 से उपर नहीं। कांग्रेस के 72 में से 20 विधायक भी सदन में मतदान में हिस्सा ले लिया तो अविश्वास प्रस्ताव खारिज हो जाएगा और सरकार विश्वास जीत लेगी। वास्तव में होना भी यही है। यही वजह है कि अविश्वास प्रस्ताव को लेकर न तो सरकारी खेमे में कोई घबराहट है और न ही विपक्षी खेमे में कोई उत्साह।

ज्ञातव्य है, विपक्ष ने अविश्वास प्रस्ताव में जनता के साथ वादाखिलाफ का आरोप लगाया है। कहा गया है कि घोषणापत्र के बिंदुओं से सरकार मुकर रही है। सरकार के पौने चार साल पूरे होने जा रहे हैं, मगर घोषणा पत्र के कई बातें आज तक पूरी नहीं हुई है। राज्य के संविदा, दैनिक वेतन भोगी और अनियमित कर्मचारियों को रेगुलर करने कहा गया था, मगर आज तक नहीं हुआ। सरकार किसानों को भी घोखा दे रही है।

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