जोगी कांग्रेस-BRS का विलय रद्द : छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव से पहले बड़े राजनीतिक घटनाक्रम का पटाक्षेप, फिर बेबस जोगी कांग्रेस
Chhattisgarh Assembly Election 2023
रायपुर. छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव से पहले जोगी कांग्रेस और बीआरएस (भारत राष्ट्र समिति) के बीच पर्दे के पीछे चल रही विलय का कहानी का पटाक्षेप हो गया है. दोनों दलों के बीच बात नहीं बनी है. तेलंगाना की सत्तारूढ़ पार्टी बीआरएस की ओर से जोगी कांग्रेस के साथ होने वाले विलय अब नहीं होगा. सागौन बंगले में बुधवार शाम हुई बैठक के बाद यह तय किया गया है कि पार्टी समान विचारधारा वाली गोंडवाना गणतंत्र पार्टी, सर्व आदिवासी समाज, छत्तीसगढ़ स्वाभिमान मंच आदि के साथ मिलकर चुनाव लड़ने पर विचार कर रही है.
2018 में हुए विधानसभा चुनाव से पहले अस्तित्व में आई जोगी कांग्रेस और तेलंगाना की सत्तारूढ़ पार्टी बीआरएस के बीच विलय की खबरों ने राजनीतिक गलियारे में सुर्खियां बटोरी थी. इस पर छत्तीसगढ़ की सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी की भी नजर थी, क्योंकि किसानों के मुद्दे पर दोनों ही राज्यों की योजनाएं देश में चर्चा में हैं. खबर यह है कि कुछ दिनों पहले छत्तीसगढ़ दौरे पर पहुंचे तेलंगाना के किसानों से जो फीडबैक सामने आया, उसमें छत्तीसगढ़ की योजनाओं को बेहतर बताया गया था. यह बात भी आई कि किसानों के हित में काम कर रही सरकार के विरुद्ध गठबंधन करने से अच्छा संदेश नहीं जाएगा.
इसके बाद बीआरएस की ओर से जोगी कांग्रेस के साथ संवाद बंद कर दिया गया. जोगी निवास सागौन बंगले में कोर ग्रुप में हुई बैठक को बीआरएस के साथ चर्चा बंद होने के बाद आपात बैठक के रूप में देखा जा रहा है, जिससे पार्टी की छवि पर कोई असर न पड़े. बैठक में तिलकराम देवांगन, अमित जोगी, महेश देवांगन, जरनैल सिंह भाटिया, ऋचा जोगी, गीतांजलि पटेल, संतोष गुप्ता, डॉ. अमीन खान, भगवानू नायक, प्रदीप साहू, रवि चंद्रवंशी आदि मौजूद थे.
18 जुलाई को घेरेंगे विधानसभा
इधर, पार्टी ने शक्ति प्रदर्शन के लिए 18 जुलाई को विधानसभा के घेराव का निर्णय लिया है. प्रदेश की समस्याओं और सत्तारूढ़ कांग्रेस की वादाखिलाफी के विरोध में घेराव किया जाएगा.
संसाधन जुटाने की बड़ी चुनौती
बीआरएस के साथ चल रही वार्ता विफल होने के बाद अब जोगी कांग्रेस के सामने फिर से संसाधन जुटाने की चुनौती रहेगी. यह माना जा रहा था कि जोगी कांग्रेस का विलय इस आधार पर किया जा रहा है कि बीआरएस की ओर से संसाधन उपलब्ध कराए जाएंगे. बीआरएस के मुखिया और तेलंगाना के सीएम केसीआर भी दूसरे राज्यों में अपने विस्तार के लिए छत्तीसगढ़ से आशान्वित थे, क्योंकि यहां पूरा संगठन का सेटअप मिल रहा था.