बाघ के बाद हाथी पर हमला : पूर्व वन मंत्री ने पूछा – जन घोषणा पत्र के वादे का क्या हुआ, मानव-हाथी द्वंद्व रोकने क्या किया?
रायपुर. छत्तीसगढ़ के जंगलों में बाघ (Tiger) पर पूर्व और वर्तमान वन मंत्री के बीच सियासी नोंक-झोंक के बाद अब हाथियों के मुद्दे पर राजनीति गरमाने के आसार हैं. पूर्व वन मंत्री महेश गागड़ा ने वनमंत्री मोहम्मद अकबर को पत्र लिखकर पूछा है कि जन घोषणा पत्र में जो वादे किए गए थे, उसका क्या हुआ? मानव-हाथी द्वंद्व रोकने के लिए सरकार ने क्या-क्या किया है?
दरअसल, वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने विधानसभा में जानकारी दी थी कि तीन साल में बाघों के संरक्षण में 183.77 करोड़ खर्च किए गए हैं. अखिल भारतीय बाघ गणना 2018 में छत्तीसगढ़ में कुल बाघों की संख्या 19 थी. 2020 से दिसंबर 2022 तक दो बाघों की मौत हुई है. इसे लेकर पूर्व वन मंत्री गागड़ा ने सवाल खड़े किए थे. इस पर पलटवार करते हुए अकबर ने सवाल पूछा था कि गागड़ा के कार्यकाल में 46 से घटकर हाथियों की संख्या 19 कैसे रह गई थी?
वनमंत्री अकबर के जवाब के बाद अब गागड़ा ने पत्र लिखा है. उन्होंने लिखा है कि बाघों पर छत्तीसगढ़ में पिछले तीन वर्षों में खर्च राशि को लेकर उठाए गए मेरे प्रश्न पर आपने छत्तीसगढ़ की पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के कार्यकाल की चर्चा कर प्रतिप्रश्न किया है. सवाल का जवाब सवाल नहीं हो सकता. विशेषकर तब जबकि आपकी प्रदेश सरकार में मंत्री के तौर पर जवाबदेही है. आप सत्ता में हैं, इसलिए सवाल करने के बजाय आपको उत्तर देना चाहिए. पिछले लगभग साढ़े 4 सालों से प्रदेश में कांग्रेस की सत्ता है और बात-बात पर जांच कमेटियां गठित करना तो प्रदेश की कांग्रेस सरकार की कार्यशैली रही है, तो बजाय सवाल करने के आप हमारे कार्यकाल की जांच करा लें, आपको सटीक जवाब मिल जाएगा.
गागड़ा ने इससे आगे गजराज योजना के बारे में बात की है. उन्होंने लिखा है कि पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने अपने जन घोषणा पत्र में छत्तीसगढ़ में लेमरु, कोरबा जैसे वन क्षेत्रों में हाथी और वन्य जीव अभ्यारण स्थापित करने और हाथी व मानव के संघर्षों को कम करने के लिए वाइल्ड लाइफ कॉरिडोर से जोड़ने का वादा किया था. पत्र के साथ घोषणा पत्र की कॉपी भेजकर गागड़ा ने पूछा है कि आखिर इस योजना का क्या हुआ? पिछले साढ़े 4 सालों में प्रदेश सरकार के वन मंत्रालय ने कितने हाथी और अन्य वन्य जीव अभ्यारण स्थापित किए हैं? इस योजना की जमीनी सच्चाई पर प्रदेश सरकार चुप्पी साधे क्यों बैठी है?
3 साल में 55 हाथियों की मौत
गागड़ा ने वनमंत्री अकबर को लिखा है कि आपने विधानसभा में एक प्रश्न के उत्तर में बताया था कि पिछले 3 वर्षों में प्रदेश में 55 हाथियों की मौत हुई और 2019-20 में 11 हाथियों की मृत्यु हुई है. इसका साफ मतलब है कि साढ़े 4 वर्षों में कांग्रेस शासन काल में 66 से ज्यादा हाथियों की मौत हो चुकी है. 58 हजार से ज्यादा मानव-हाथी द्वंद्व के प्रकरण दर्ज हुए, यानी रोजाना 50 से ज्यादा मामले दर्ज हुए. प्रदेश यह भी जानना चाहता है कि गजराज योजना और मानव-हाथी द्वंद्व को रोकने के लिए प्रदेश सरकार और वन मंत्रालय ने क्या काम किया है?