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CG Election 2025: रायगढ़ नगर निगम- महापौर पद के लिए ये हैं दावेदार, दोनों दलों में दावेदारी को लेकर रोचक सियासी उठापटक

CG Election 2025: नगरीय निकाय चुनाव को लेकर जैसे-जैसे सरगर्मी बढ़ रही है उसी अंदाज में महापौर से लेकर पार्षद पद के दावेदारों की धड़कनें भी बढ़ने लगी है। रायगढ़ नगर निगम की बात करें तो भाजपा व कांग्रेस में दावेदारों की लंबी कतार देखी जा रही है। दाेनों दलों में कमतर आधा दर्जन दावेदार टिकट को लेकर जोर आजमाइश करते दिखाई दे रहे हैं। सभी को अपने दावे और संपर्क सूत्रों पर भरोसा है। तभी तो अब तक किसी ने अपना कदम पीछे नहीं हटाया है।

CG Election 2025: रायगढ़ नगर निगम- महापौर पद के लिए ये हैं दावेदार, दोनों दलों में दावेदारी को लेकर रोचक सियासी उठापटक
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By Radhakishan Sharma

CG Election 2025: रायगढ़। आरक्षण की प्रक्रिया ने सामान्य वर्ग के दावेदारों की राजनीतिक संभावनाओं को जहां पूरी तरह खत्म कर दिया है वहीं अब एससी वर्ग के दावेदारों की सक्रियता पूरी तरह नजर आ रही है। चुनावी मैदान में भाजपा व कांग्रेस से महापौर पद के आधा-आधा दर्जन दावेदार अब भी सक्रिय नजर आ रहे हैं। सभी को अपने संपर्क सूत्रों और अपने नेताओं के वायदों पर भरोसा है। सियासत में इसी भरोसे के खेल का तो अपना असली मजा है। बहरहाल आधा दर्जन दावेदारों के बीच टिकट को लेकर सियासी प्रतिस्पर्धा और दौड़ जारी है। किस्मत किसका साथ देती है और टिकट किसके नाम आता है यह तो वक्त ही बताएगा। बहरहाल लाबिंग और संपर्कों की राजनीति ने जोर पकड़ लिया है।

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय का अपना पुराना लोकसभा क्षेत्र और पड़ोसी जिला होने के नाते छत्तीसगढ़ की राजनीति में रायगढ़ नगर निगम का अपना खास महत्व है। यह महत्व तब और बढ़ जाता है जब यहां के स्थानीय विधायक राज्य मंत्रिमंडल में अहम भूमिका निभाने के साथ ही वित्त मंत्री के महत्वपूर्ण पद पर काबिज हैं। महापौर से लेकर पार्षद की टिकट में उनकी चलेगी इसमें कोई दो राय नहीं है। पार्टी और संगठन की अपनी एक अलग परिपाटी और कायदे हैं। कायदे और तय मापदंडों का असर भी टिकट वितरण में दिखाई देगा। रायगढ़ नगर निगम महापौर और पार्षदों की टिकट में सतर्कता और सामंजस्य दोनों का ही बराबर का जोर दिखाई देगा। कारण भी साफ है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और वित्त मंत्री ओपी चौधरी दोनों की राजनीतिक साख भी बराबर लगी रहेगी। टिकट वितरण में विवाद की स्थिति ना बने और शहर सरकार में भाजपा का कब्जा हो, ये दोनों ही बड़े मापदंड सामने आ रहा है। मापदंडों और सियासी साख के बीच दावेदारों के अपने दावे भी मजबूत हैं। वित्त मंत्री से लेकर संगठन के पदाधिकारियों के करीबी होने का राजनीतिक फायदे से लेकर कायदे तक की चर्चा यहां होने लगी है। कमोबेश कुछ इसी अंदाज में कांग्रेसी दावेदार भी अपनी संभावनाएं टटालने लगे हैं।

क्या है सर्वे रिपोर्ट

भाजपा का उम्मीदवार तय करने का अपना अलग पैटर्न है। उम्मीदवारी तय करने से पहले सर्वे रिपोर्ट की अहम भूमिका रहती है। रिपोर्ट के आधार पर ही सबकुछ तय करने की बात कही जा रही है। सर्वे को लेकर दावेदारों की धड़कनें भी बढ़ी हुई है। कांग्रेस में भी इस बार सर्वे की बात कही जा रही है। आंतरिक सर्वे रिपोर्ट के आधार पर उम्मीदवारी तय करने की बात सामने आने लगी है।

कब्जे की होगी कोशिश

सत्ताधारी दल की कोशिश अपरी शहर सरकार बनाने की होगी। बीते चुनाव में कांग्रेस ने कब्जा कर लिया था। राजनीतिक परिस्थितियां भाजपा के पक्ष में है। यही कारण है कि रणनीतिकार भी फूंक-फूंककर कदम रख रहे हैं। टिकट वितरण में अपनी तरफ से कोई झमेला खड़ा करना नहीं चाहते। सामंजस्य और समझौते की राजनीति पर जोर देते नजर आ रहे हैं।

ये हैं कांग्रेस महापौर पद के दावेदार

जानकी काटजू, रानी चौहान, अमृत काटजू , लखेश्वर मिरी , संजय चौहान ,विनोद महेश ,मनोज सागर , नारायण घोरे , रजत गोयल सोनकर।

ये हैं भाजपा के महापौर पद के दावेदार

नरेश गोरख, सुशीला चौहान , जीवर्धन चौहान ,प्रदीप श्रींगी, राकेश रात्रे , शशि भूषण, रमेश चौहान,रामजाने भारद्वाज, सुशीला चौहान।

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