CG Election 2025: परिवारवाद से पस्त हुए कार्यकर्ता, चुनाव मैदान में नेताओं व पूर्व पार्षदों के रिश्तेदार आ रहे नजर
CG Election 2025: प्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव का माहौल बन गया है। टिकट वितरण के बाद दोनों ही दलों के उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतर चुके हैं। प्रत्याशियों के चेहरे को देखने से एक बार फिर साफतौर पर झलक रहा है कि सत्ताधारी दल हो या फिर विपक्षी दल कांग्रेस। परिवारवाद से दोनों ही पार्टियां उबर नहीं पाई है। रिश्तेदारों के अलावा नेताओं के समर्थकों की भीड़ भी नजर आ रही है। कांग्रेस में उम्मीदवारी चयन में जो कुछ हुआ वह किसी से छिपा हुआ नहीं है। बिलासपुर से लेकर रायपुर और उत्तर छत्तीसगढ़ से लेकर बस्तर तक हंगामा ही हंगामा। भाजपा में कमतर कुछ ऐसा ही माहौल रहा। पार्टी कार्यालय में तोड़फोड़ और आगजनी की घटना अब भी सोशल मीडिया में जमकर वायरल हो रहा है।

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CG Election 2025: बिलासपुर। बिलासपुर नगर निगम मेयर का पद ओबीसी के लिए आरक्षित है। सत्ताधारी दल भाजपा की बात करें तो मेयर उम्मीदवार के फैसले में ही रणनीतिकारों ने परिवारवाद को महत्व दे दिया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हर चुनाव में परिवारवाद को लेकर अपना स्टैंड क्लियर करते आ रहे हैं। पीएम के क्लियर स्टैंड के बाद रणनीतिकारों की ऐसी क्या मजबूरी रही होगी कि परिवारवाद से टिकट देने की शुरुआत की। यह तो वे ही जाने। सवाल यह उठ रहा है कि पीएम के क्लियर पालिटिकल स्टैंड के बाद ऐसी क्या सियासी मजबूरी रही होगी, कि उनकी ही बातों का मखौल उड़ा दिया गया। बहरहाल इस बात की चर्चा आम से लेकर खास तो कर रही हैं,अब चौक-चौराहों पर भी यह टाकिंग पाइंट बनने लगा है। परिवारवाद को लेकर चर्चा के बीच लोग उंगलियांं में ऐसे लोगों के नाम गिनाने लगे हैं जिन चेहरे को चुनावी मैदान में उतार दिया गया है।
भाजपा व कांग्रेस दोनों में ही परिवारवाद जमकर हावी है। इसे लेकर ना तो सत्ताधारी दल और ना ही विपक्ष कांग्रेस के नेता व रणनीतिकार एक दूसरे पर उंगली उठा सकते हैं। परिवारवाद को लेकर दोनों दलों में कमोबेश एक जैसी स्थिति है। बिलासपुर नगरीय निकाय के लिए बिछी चुनावी बिसात पर नजर डालते हैं तो पूर्व नेता प्रतिपक्ष अशोक विधानी की पत्नी पद्मजा विधानी मेयर केंडिडेट बन गई है। अशोक विधानी सामान्य वर्ग से आते हैं पर पत्नी पद्मजा ओबीसी हैं। विधानी मेयर पद के दौड़ से बाहर थे, लिहाजा पत्नी को टिकट देकर राजनीतिक रूप से उपकृत करने का काम किया गया। मेयर केंडिडेट से शुरू हुआ परिवारवाद पार्षदों की टिकट में भी साफतौर पर नजर आया। वार्ड 14 मिनीमाता नगर से बीते निकाय चुनाव में आरती मरकाम को टिकट मिला था। इस बार उनके पति हेमंत मरकाम को मिल गया। वार्ड 27 से किरण गोस्वामी केंडिडेट हैं। पूर्व में पति मंजीत गोस्वामी यहां से पार्षद रह चुके हैं। वार्ड 49 बीआर यादव नगर से पूर्व में अहिल्या वर्मा पार्षद थीं। इस चुनाव में उनके पति राकेश वर्मा को टिकट दिया है। वार्ड नंबर 57 अशोक नगर से रेखा पांडेय को टिकट मिला है। पूर्व में इस वार्ड से उनके पति ओम प्रकाश पांडेय पार्षद थे।
कांग्रेस भी कम नहीं
परिवारवाद के मामले में कांग्रेस भी कम नहीं है। वार्ड क्रमांक 26 से निवृतमान सभापित शेख नजरुद्दीन पार्षद थे, सीट महिला होने के कारण पत्नी असगरी बेगम को टिकट मिल गया। वार्ड क्रमांक 25 से रामा बघेल पार्षद थे, सीट महिला हो गया, पत्नी संतोषी बघेल को टिकट मिल गया। वार्ड क्रमांक 62 से एमआईसी मेंबर राजेश शुक्ला पार्षद थे, सीट महिला हो गया, पत्नी सीमा शुक्ला को टिकट मिल गया। वार्ड नंबर 5 से गायत्री लक्ष्मीनाथ साहू व वार्ड नंबर 11 से रवि साहू पार्षद थे। सीट महिला होने के कारण पत्नी निधि साहू को कांग्रेस ने चुनाव मैदान में उतार दिया है।
रायपुर नगर निगम में भी हावी है परिवारवाद
नगर निगम के निवृतमान सभापित प्रमोद दुबे की पत्नी दीप्ति दुबे, पूर्व मेयर एजाज ढेबर और उनकी पत्नी अर्जुमन ढेबर, बंजारी माता वार्ड से नागभूषण राव की पत्नी राधिका राव, दानवीर भामाशाह वार्ड से सुंदरलाल जोगी की पत्नी रूखमणि जोगी को चुनाव मैदान में उतार दिया है। इसी तरह पूर्व पार्षद धनश्याम तिवारी की पत्नी नीतू तिवारी को राजीव गांधी वार्ड टिकट दिया गया है। उत्तम साहू की पत्नी पूर्णिमा साहू, अमित दास की पत्नी कविता दास, प्रकाश जगत की पत्नी रोनीता, अमितेष भारद्वाज के परिवार से प्रियंका भारद्वाज, पूर्व पार्षद राकेश धोतरे के परिवार से दिशा धोतरे को टिकट दिया गया है।