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CG Congress: CG एक और कांग्रेस नेता पर लटकी निलंबन की तलवार: पीसीसी ने जारी किया कारण बताओ नोटिस, 3 दिन में मांगा जवाब...

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By Sanjeet Kumar

CG Congress: रायपुर। प्रदेश कांग्रेस में पार्टी विरोधी बयानबाजी और नोटिस का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा है। पार्टी के अंदर एक के बाद एक बम फूट रहे हैं। राजधानी से लेकर जिला और ब्‍लॉक स्‍तर तक पार्टी के नेता बगावती तेवर दिखा रहे हैं। ऐसे लोगों को प्रदेश संगठन की तरफ से नोटिस भी जारी किया जा रहा है।

प्रदेश कांग्रेस ने अब पूर्व महामंत्री अरुण सिंह सिसोदिया को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। सिसोदिया पर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कोष का षडयंत्रपूर्वक गबन को लेकर सार्वजनिक बयानबाजी करने का आरोप लगा है। पार्टी संगठन ने इसे गंभीरता से लेते हुए नोटिस जारी करके सिसोदिया से 3 दिन में जवाब मांगा है।

बता दें कि सिसोदिया ने पीसीसी चीफ दीपक बैज को लिखे पत्र में कहा कि छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी में कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल द्वारा अपने मित्र और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के राजनितिक सलाहकार विनोद वर्मा के बेटे की कंपनी टेसू मीडिया लैब गाजियाबाद को 5 करोड़ 89 लाख रुपए बिना प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम व प्रभारी महामंत्री की जानकारी व अनुमति के भुगतान किया गया जबकि कोषाध्यक्ष को कार्यादेश जारी करने अनुमति नहीं और पार्टी बायलोज के अनुसार प्रदेश कार्यकारणी में प्रस्ताव लाकर पास करना आवश्यक है और प्रदेश अध्यक्ष के नोट शीट ऐप्रूवल लिया जाना जरूरी है।

उन्‍होंने आगे लिखा है कि सरकार आने के बाद भी संगठन को किसी प्रकार आर्थिक सहयोग नहीं दिया जाता था हमारे द्वारा कई बार बैठक में और प्रभारी कुमारी सैलजा से अनुरोध व मांग करने के बावजूद ब्लाक अध्यक्ष व जिला अध्यक्ष को 5-10 हजार मासिक संगठन के कार्य करने नहीं दिया गया पर अपने परिवार के लोगों को एक कमरे में बैठकर कार्यादेश व गवाह निजी लोगों को बनाकर भुगतान कर दिया गया। साथ ही जो रकम 10 लाख 6 लाख व 3 लाख कुल 19 लाख प्रति माह मुगतान किया गया वो वर्तमान में 10 गुना है यानी प्रति माह 20 लोगों की टीम 3 लाख में कार्य कर रही है जैसा की आपको पूर्ण विदित है। आपसे अनुरोध है की 5 साल में ही सरकार और सगठन में मनमानी करने वाले गिरोह को पार्टी से बाहर किया जाए व हार के जिम्मेदार लोगो को सक्रिय राजनीति व पार्टी से दूर रखा जाए तभी पार्टी का उत्थान संभव है।


जानिए कौन है अरुण सिसोदिया

पार्टी के नेताओं पर 5 करोड़ 89 लाख रुपये गबन का गंभीर आरोप लगाने वाले कांग्रेस के प्रदेश महासचिव सिसोदिया को पूर्व पीसीसी चीफ मोहन मरकाम के कार्यकाल में चर्चा में आए थे। पार्टी में संगठन और प्रशासन की अलग-अलग जिम्‍मेदारी संभाल रहे अपने दो बेहद करीबियों को हटाकर पीसीसी चीफ मरकाम ने अकेले सिसोदिया को एक साथ पार्टी के संगठन और प्रशासन की जिम्‍मेदारी सौंप दी है। इसकी वजह से अचानक सिसोदिया चर्चा में आ गए। सिसोदिया भिलाई (दुर्ग) के रहने वाले हैं। सिसोदिया पूर्व सैनिक हैं। सेना से सेवानिवृत्‍त होने के बाद भिलाई स्थित केंद्र सरकार के उपक्रम फेरो स्‍क्रैप निगम लिमिटेड से कर्मचारी राजनीति की शुरुआत की। इंटक के दुर्ग जिलाध्‍यक्ष और प्रदेश सचिव रहे। एक समय वो तम्रध्‍वज साहू के बेहद करीबी माने जाते थे। मरकाम के पीसीसी अध्‍यक्ष बनने के बाद सिसोदिया उनके करीब आ गए। इसके बाद संगठन में उनकी भूमिका बढ़ने लगी। मरकाम ने ही उन्‍हें राजनांदगांव का प्रभारी महामंत्री बनाया था। खैरागढ़ उपचुनाव में सिंह की महत्‍वपूर्ण भूमिका रही।

इसी साल जनवरी में दिया था इस्‍तीफा

एआईसी सदस्‍य और पीसीसी महासचिव सिसोदिया ने इस साल जनवरी में इस्‍तीफा दे दिया था, हालांकि उनका इस्‍तीफा मंजूर नहीं हुआ था, लेकिन अपने इस्‍तीफा में भी उन्‍होंने पूर्व सीएम भूपेश बघेल के राजनीतिक सलाहकार विनोद वर्मा पर ही आरोप लगाया था। उन्‍होंने वर्मा पर दबाव बनाने और काम में हस्‍तक्षेप करने का आरोप लगाया था। विधानसभा चुनाव के दौरान वे वैशाली नगर से टिकट की दावेदारी की थी, लेकिन टिकट दिया गया। अपने इस्‍तीफा में सिसोदिया ने कहा था कि साजिश के तहत मुझे प्रदेश महामंत्री व प्रदेश महामंत्री संगठन व प्रशासन से हटा दिया गया। यह सब कुछ चुनिंदा लोगों के इशारों पर हुआ। वर्मा पर आरोप लगाते हुए कहा था कि विधानसभा चुनाव के दौरान बूथ गठन व अन्य डेटा विनोद वर्मा के पास साफ्ट और हार्ड कापी में उपलब्ध है। यह पीसीसी की गोपनीय जानकारी है। इसे सुरक्षित किया जाना चाहिए।

भूपेश ने बताया बीजेपी का स्‍लीपर सेल

छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि प्रदेश कांग्रेस कमेटी में किसी तरह का कोई ग़बन या घोटाला नहीं हुआ है। जो भी भुगतान प्रदेश कांग्रेस कमेटी की ओर से किया गया वह एक वैधानिक अनुबंध के तहत किया गया। प्रदेश कांग्रेस के एक पूर्व पदाधिकारी ने जो भी शिकायत की है वह दरअसल भाजपा स्लीपर सेल का दुष्प्रचार है।

बघेल ने कहा है कि पार्टी की अंदरूनी और वैधानिक अनुबंध पर इस तरह की शिकायत करना और फिर उसे मीडिया में प्रचारित प्रसारित करना पार्टी के अनुशासन के ख़लिफ़ है और यह निश्चित तौर पर पार्टी के भीतर रहकर भाजपा के स्लीपर सेल के लिए काम कर रहे लोगों को काम है। इसीलिए भाजपा पार्टी के इस अंदरूनी मामले को इतना तूल भी दे रही है। उन्होंने कहा है, “मैंने प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रभारी महासचिव सचिन पायलट और अध्यक्ष दीपक बैज जी से इस संबंध में बात की है और उनसे अनुशासनात्मक कार्रवाई करने का अनुरोध किया है।”

उन्होंने कहा है कि कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल ने इस अनुबंध से पहले मुझसे विस्तृत चर्चा की थी और मेरी जानकारी के अनुसार इसके लिए प्रदेश कांग्रेस कमेटी के तत्कालीन अध्यक्ष से बाक़ायदा स्वीकृति भी ली गई थी। बघेल ने कहा है कि मुख्यमंत्री के रूप में मेरे, प्रदेश कांग्रेस कमेटी के और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के सोशल मीडिया प्रबंधन के लिए यह अनुबंध हुआ था।

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा है कि हर राजनीतिक दल अपने प्रचार प्रसार के लिए किसी न किसी प्रोफ़ेशनल कंपनी के ज़रिए काम करती है। इसमें कुछ भी नया नहीं है. कांग्रेस पार्टी ने भी सोशल मीडिया प्रबंधन और अन्य कार्यों के लिए टेसू मीडिया लैब से अनुबंध किया तो यह पार्टी का अंदरूनी मामला है।

बघेल ने कहा है कि प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के हस्ताक्षर से ही हर महीने भुगतान होता रहा इसलिए यह कहना बेबुनियाद है कि उनको अंधेरे में रखकर कुछ किया गया. जो भी भुगतान हुआ है वह वैधानिक है और इसके लिए टीडीएस काटने और जीएसटी भुगतान जैसी सारी वैधानिक औपचारिकताएं भी पूरी की गई हैं. इस पूरे लेनदेन में किसी तरह की गड़बड़ी होने के कोई आसार ही नहीं हैं।

Sanjeet Kumar

संजीत कुमार: छत्‍तीसगढ़ में 23 वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय। उत्‍कृष्‍ट संसदीय रिपोर्टिंग के लिए 2018 में छत्‍तीसगढ़ विधानसभा से पुरस्‍कृत। सांध्‍य दैनिक अग्रदूत से पत्रकारिता की शुरुआत करने के बाद हरिभूमि, पत्रिका और नईदुनिया में सिटी चीफ और स्‍टेट ब्‍यूरो चीफ के पद पर काम किया। वर्तमान में NPG.News में कार्यरत। पंड़‍ित रविशंकर विवि से लोक प्रशासन में एमए और पत्रकारिता (बीजेएमसी) की डिग्री।

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