CG assembly elections 2023: जोगी कांग्रेस को संजीवनी: विलय की राह पर बढ़ चुकी जोगी कांग्रेस की वाइल्ड कार्ड एंट्री, कई सीटों पर कांग्रेस-भाजपा के लिए सिचुएशन टाइट
इस बार आम आदमी पार्टी को गेमचेंजर माना जा रहा था, लेकिन जोगी कांग्रेस ने ऐन चुनाव से पहले क्लाइमेक्स में जो माहौल बनाया है, उसने सियासी पंडितों को भी सोच में डाल दिया है.
Chhattisgarh Assembly Election 2023
रायपुर. छत्तीसगढ़ के पहले सीएम अजीत जोगी ने जब 2016 में अपनी नई पार्टी बनाने का ऐलान किया था, तब कई विधायक, पूर्व विधायक और नेता उनके साथ जुड़ गए थे. जोगी के साथ जाने वाले जो भी नेता थे, उन्हें देखकर चौंकने वाले लोग कम थे, क्योंकि सीएम नहीं रहने के दौरान भी जोगी ने समय-समय पर कांग्रेस को यह अहसास कराया था कि कुछ विधायक तो उनके हिसाब से ही चलेंगे. इनमें वर्तमान के कई मंत्री भी हैं.
2018 के चुनाव के समय जोगी कांग्रेस को किंगमेकर माना गया. हालांकि ऐसी परिस्थिति नहीं बनी कि जोगी कांग्रेस द्वारा ऐसा कोई दावा किया जा सके. इसके बावजूद 5 सीटें जीतकर अपनी बखत साबित कर दी थी. 5 साल बाद जब फिर चुनाव का माहौल शुरू हुआ, तब पहले जैसी स्थिति नहीं थी. जोगी कांग्रेस की आर्थिक जरूरत के मुताबिक संसाधन भी नहीं थे, इसलिए जिलों के दफ्तरों को बंद कर दिया गया. कई जगहों पर पूरी तरह संगठन को भंग कर दिया गया था.
इस बीच जोगी कांग्रेस की ओर से दूसरे दलों के साथ गठबंधन की कोशिशें की गईं, जिससे मिल-जुलकर चुनाव लड़ें. इसके बाद तय मान लिया गया था कि तेलंगाना की भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के साथ विलय होना है. हालांकि बाद में विलय या गठबंधन दोनों ही नहीं हो पाया और एक बार फिर जोगी कांग्रेस की ओर सबने टकटकी लगानी शुरू कर दी कि अब उनका अगला मूव क्या होगा. लंबी खामोशी के बाद आखिरकार एक बार फिर जोगी कांग्रेस ने चुनौती खड़ी कर दी है. कोटा, अकलतरा, पामगढ़, सराईपाली जैसी सीटों पर गौर करें तो कांग्रेस और भाजपा की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं.
कुछ महीने पहले की ही बात है, जब आप की ओर से यह दावा किया गया था कि कांग्रेस और भाजपा के कई नेता और विधायक उनके संपर्क में हैं. आप ने इस बीच पूरे पांच साल काफी मेहनत किया. ग्राउंड लेवल पर अपनी टीम बनाई है. यह माना गया था कि 2003 के चुनाव में एनसीपी या 2018 में जोगी कांग्रेस की जो भूमिका थी, वह आप की होती है, लेकिन ऐसा नहीं हो सका. बड़े नाम नहीं मिलने तो आप ने अपने प्रत्याशियों को मौका दिया. इसके विपरीत जोगी कांग्रेस ने कई बड़े चेहरों के अपने पाले में लाकर यह साबित कर दिया है कि अभी भी अजीत जोगी का नाम काफी है.
जोगी कांग्रेस के अचानक सक्रिय होने और ताबड़तोड़ बल्लेबाजी को देखकर अब कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं. लोग यहां तक कहने लगे हैं कि एक दल ने जोगी कांग्रेस की फिर से मदद की है, ताकि चुनाव में सहयोग मिल सके. हालांकि जोगी कांग्रेस के नेता इसे गलत करार देते हैं. उनका कहना है कि कांग्रेस और भाजपा दोनों ही एक-दूसरे को नीचा दिखाने के लिए जोगी कांग्रेस को बी टीम बताने में जुटी है. जो भी हो विलय के मुहाने पर खड़ी पार्टी के लिए यह किसी संजीवनी बूटी से कम नहीं है.